आस्था को सम्मान और श्रद्धार्चना वाले स्थलों के कायाकल्प से पर्वों और त्योहारों की रौनक और बढ़ गई है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण राप्ती नदी के राजघाट के दोनों तटों पर लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान देखने को मिलता है
कायाकल्प से बेहतर हुआ राप्ती घाट : बढ़ गई छठ पूजा की रौनक, 34 करोड़ की लागत से हुआ था जीर्णोद्धार
Nov 07, 2024 17:57
Nov 07, 2024 17:57
2021 में हुआ था लोकार्पण
गोरखपुर की राप्ती नदी का राजघाट मानव जीवन के अंतिम पड़ाव के रूप में भी जाना जाता है। पहले यहां के दोनों तट दलदल और अव्यवस्था से घिरे रहते थे। बदहाल रास्ते, घाटों पर फैली गंदगी, स्नान के लिए पक्के घाट का अभाव और बुनियादी सुविधाओं का न होना, श्रद्धालुओं के लिए असुविधाजनक था। कई वर्षों से लोग यहां पक्के स्नान घाट की मांग कर रहे थे, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके इस अनुरोध को पूरा करते हुए इस स्थान को पर्यटन स्थल की अनूठी सौगात दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर वर्ष 2021 में लगभग 34 करोड़ रुपये की लागत से इन दोनों तटों का जीर्णोद्धार कर इसे राजस्थानी स्थापत्य शिल्प से सजाया गया। पूर्वी तट का नाम 'गुरु गोरक्षनाथ घाट' और पश्चिमी तट का नाम 'रामघाट' रखा गया। 16 फरवरी 2021 को मुख्यमंत्री योगी ने इन दोनों घाटों का लोकार्पण किया था।
श्रद्धालुओं को नहीं होती परेशानी
ये दोनों घाट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज़न से निखरकर संवर गए हैं। अब इन घाटों को न केवल सौंदर्यीकृत किया गया है, बल्कि पुरुषों और महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम, प्रसाधन और अन्य सभी जरूरी सुविधाओं की मुकम्मल व्यवस्था भी की गई है। इससे अब छठ और स्नान पर्वों पर श्रद्धालु काफी प्रसन्न दिखाई देते हैं। पहले जहां छठ और स्नान पर्वों के दौरान अव्यवस्था के बीच पूजा और स्नान की प्रक्रिया होती थी, वहीं अब तीन सालों से श्रद्धा और आस्था का उल्लास देखा जा सकता है। छठ महापर्व के दौरान, राजस्थानी शैली के आकर्षक लघु गुम्बदनुमा ठौर को फूलों और रंगीन कपड़ों से सजाकर और भी आकर्षक बना दिया गया है।
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