हाल ही में ग्रेटर नोएडा में आयोजित यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में गोरखपुर के टेराकोटा उत्पादों ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। यह प्रदर्शनी न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी गोरखपुर के टेराकोटा की पहुंच बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुई। कई शिल्पकारों को बड़े पैमाने पर नए ऑर्डर मिले और अब....
दिवाली पर बढ़ी गोरखपुर के टेराकोटा उत्पादों की मांग : आंध्र, तेलंगाना समेत इन राज्यों के लोग हुए मुरीद
Oct 21, 2024 13:12
Oct 21, 2024 13:12
दूसरे राज्यों में पूरी की मांग
दशहरा और दिवाली के लिए गोरखपुर से टेराकोटा उत्पादों की मांग पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है। त्योहारी मांग की पूर्ति नवरात्रि से पहले ही शिल्पकारों ने कर दी है। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त टेराकोटा शिल्पकार राजन प्रजापति बताते हैं कि इस बार उन्होंने दशहरा और दिवाली के लिए 15 ट्रक उत्पादों की आपूर्ति हैदराबाद, अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली और राजस्थान के शहरों में की है। पिछले साल राजन ने 8 ट्रक टेराकोटा उत्पादों की आपूर्ति दूसरे राज्यों में की थी। राजन प्रजापति के अलावा पन्नेलाल प्रजापति ने 8 ट्रक, हरिओम आजाद ने 2 ट्रक, मोहनलाल और सोहनलाल प्रजापति ने 2 ट्रक और हीरालाल प्रजापति ने एक ट्रक उत्पादों की आपूर्ति की है। इन सभी के पास आए डिमांड नवरात्र और दशहरे के पहले ही पूरे किए जा चुके हैं।
अब फोकस स्थानीय मार्केट पर
टेराकोटा शिल्पकारों का कहना है कि अब वह दिवाली पर लोकल मार्केट की मांग के अनुरूप अपने उत्पादों को अंतिम रूप दे रहे हैं। ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद लोकल मार्केट में भी टेराकोटा शिल्प की मांग दोगुनी से अधिक हो चुकी है।
टेराकोटा के बाजार में बम्पर बदलाव
ये सभी शिल्पकार टेराकोटा के बाजार में आए बम्पर बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देते हैं। राजन प्रजापति कहते हैं कि हमें तो माल बेचने के लिए विज्ञापन की जरूरत ही नहीं पड़ती है। टेराकोटा की ब्रांडिंग खुद सीएम योगी ने इतनी अधिक कर दी है कि हमारे पास काम की भरमार रहती है। अभी 25 से 29 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा में हुई यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में गोरखपुर के टेराकोटा शिल्प ने देश-दुनिया के आगंतुकों के समक्ष अपनी चमक बिखेरी। प्रतिभागी शिल्पकारों और कारोबारियों को काफी नए ऑर्डर भी मिले।
बेहतर संभावना देख नए लोग भी जुड़े
शिल्पकारों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी टेराकोटा शिल्पियों में क्षमता थी, लेकिन सरकारी प्रोत्साहन और उचित मंच न मिलने से इसका दायरा सिमटता जा रहा था। 2017 आते-आते वह विलुप्त हो रही इस मिट्टी की कला के लिए मसीहा बनकर आए। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 2018 में एक जिला एक उत्पाद योजना में टेराकोटा को शामिल किया और तब से यह शिल्प नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। ओडीओपी से जुड़ने के बाद सरकार से मिले प्रोत्साहन की वजह से टेराकोटा का कारोबार साल दर साल बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि आज पुराने शिल्पियों के लिए काम की कोई कमी नहीं है। इतना ही नहीं, टेराकोटा की भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए बड़ी संख्या में नए शिल्पी और कारोबारी भी इससे जुड़ गए हैं।
योगी सरकार की मदद से उत्पादन बढ़ा
वास्तव में टेराकोटा का कायाकल्प तब हुआ जब सीएम योगी ने इसे गोरखपुर का ओडीओपी घोषित किया। ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधनगत, वित्तीय व तकनीकी मदद तो मिली ही, सीएम की अगुवाई में ऐसी जबरदस्त ब्रांडिंग हुई कि इसके बाजार का अपार विस्तार हो गया। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन मशीन आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान और उत्पादकता तीन से चार गुनी हो गई। गुणवत्ता अलग से निखर गई है।