सीएमओ डॉ. राजेश झा ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित अंगों से द्रव का रिसाव होता है। इस स्थिति में प्रभावित अंगों की सफाई रखना बेहद जरूरी होती है। ऐसे मरीजों को किट दी जा रही है। किट में प्रभावित अंगों की अच्छी तरह से साफ-सफाई के लिए टब, मग, तौलिया, साबुन, गरम पट्टी व एंटी फंगल क्रीम दी जा रही हैं।
Deoria News : जिले में 1900 मिले फाइलेरिया के मरीज, रोग पहचानने में लग जाते हैं 5 से 15 साल, जानें कैसे करें इस बीमारी से बचाव
Jan 24, 2024 15:52
Jan 24, 2024 15:52
- फाइलेरिया रोगियों को दी जा रही है एमएमडीपी किट
- अब तक जिले के 860 फाइलेरिया रोगी हो चुके हैं लाभान्वित
ये हैं फाइलेरिया के लक्षण
डीएमओ सुधाकर मणि ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमण के लक्षण पांच से 15 वर्ष में उभरकर सामने आते हैं। इससे या तो व्यक्ति को हाथ-पैर में सूजन की शिकायत होती है या फिर अंडकोष में सूजन आ जाता है। महिलाओं के स्तन के आकार में असामान्य परिवर्तन हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग चला रहा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले के फाइलेरिया (हाथीपांव) रोगियों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया जा रहा है। इसके साथ ही फाइलेरिया रोगी नेटवर्क, आशा कार्यकर्ता और सीएचओ के सहयोग से मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की सफाई रखने के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। अब तक जिले के 860 फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किट का वितरण किया जा चुका है।
प्रभावित अंगों की सफाई रखना बेहद जरूरी
सीएमओ डॉ. राजेश झा ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित अंगों से द्रव का रिसाव होता है। इस स्थिति में प्रभावित अंगों की सफाई रखना बेहद जरूरी होती है। ऐसे मरीजों को किट दी जा रही है। किट में प्रभावित अंगों की अच्छी तरह से साफ-सफाई के लिए टब, मग, तौलिया, साबुन, गरम पट्टी व एंटी फंगल क्रीम दी जा रही हैं। फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ-सफाई रखने से त्वचा पर संक्रमण का डर नहीं रहता है और सूजन में भी कमी रहती है।
व्यायाम से मिलता है आराम
बैतालपुर ब्लॉक के सिरजमदेइ निवासी फाइलेरिया मरीज पौहारी सिंह (62 वर्ष) ने बताया कि प्रशिक्षण में हाथीपांव के सूजन को कम करने के लिए व्यायाम औऱ प्रभावित अंग के साफ-सफाई के बारे में जानकारी दी गई है। सफाई के लिए एमएमडीपी किट भी मिली है। किट में बाल्टी, बाथ टब, मग, साबुन, तौलिया और क्रीम है। उन्होंने बताया कि मैं सबसे पहले अपने हाथी पांव वाले दाएं पैर को पानी से गीला करता हूं। उसके बाद साबुन का झाग अपने हाथों में बनाकर प्रभावित दाहिने पैर की अंगुलियों सहित सभी हिस्से में धीरे-धीरे अच्छे से लगाता हूं। मग से धीरे धीरे-पानी डालकर साबुन के झाग को साफ कर बाद सूती कपड़े से अंगुलियों सहित पैर को हल्के हाथों से सूखाता हूं।दीवार का सहारा लेकर दिन में दो से तीन बार खड़े होकर पंजे के पिछले भाग को ऊपर-नीचे करके व्यायाम करता हूं।
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