गोरखपुर स्थित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर डॉ. सुरिंदर सिंह की नियुक्ति की गई है। उनका चयन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है।
Gorakhpur News : महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के नए कुलपति होंगे डॉ. सुरिंदर सिंह, सीएम योगी ने किया चयन
Nov 15, 2024 01:40
Nov 15, 2024 01:40
डॉ. सुरिंदर सिंह का शैक्षिक और प्रशासनिक योगदान
डॉ. सुरिंदर सिंह ने एमबीबीएस और एमडी की डिग्रियां प्राप्त की हैं। उन्होंने हाल ही में 4 नवंबर को जेएसएस एएचईआर मैसूर के कुलपति के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया है। डॉ. सिंह, भारत सरकार के औषधि महानियंत्रक के पद पर भी कार्य कर चुके हैं, जहां उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। वे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बॉयोलॉजिकल के निदेशक, रीजनल ड्रग टेस्टिंग लैब के निदेशक और सेंट्रल ड्रग लैब में अपर निदेशक के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें सराहना प्राप्त हुई है, और वे विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे हैं, जिसमें एम्स नई दिल्ली और सरदार पटेल राजकीय मेडिकल कॉलेज बीकानेर भी शामिल हैं।
उपलब्धियों और सम्मान का सफर
डॉ. सुरिंदर सिंह के नेतृत्व में जेएसएस एएचईआर मैसूर को देश की 25 शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्थान दिलाने का श्रेय जाता है। उनके प्रयासों के कारण विश्वविद्यालय को पांच सालों में 55 करोड़ रुपये का शोध अनुदान भी प्राप्त हुआ। उनकी सेवाओं को देखते हुए उन्हें ग्लोबल फार्मा इंडस्ट्री के क्षेत्र में कई बार विश्व के सर्वाधिक प्रभावी लोगों में स्थान दिया गया है। डॉ. सिंह को फार्मा बायो वर्ल्ड अवार्ड 2011, डॉ. बीसी राय मेमोरियल अवार्ड 2014, इनोवेशन लीडरशिप अवार्ड और 2022 में "टॉप 20 वाइस चांसलर ऑफ इंडिया" अवार्ड सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है।
प्रथम कुलपति डॉ. अतुल वाजपेयी का योगदान
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के रूप में मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी का कार्यकाल भी काफी उपलब्धियों भरा रहा है। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय में बीएएमएस, एमबीबीएस और अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने लगभग तीन दर्जन प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिससे शैक्षिक और अनुसंधान के क्षेत्र में नए अवसर प्राप्त हुए।