नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल के विकास ने इस क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। यह टूल न केवल फेफड़ों में होने वाली 16 विभिन्न प्रकार की बीमारियों का पता लगा सकता है...
AI Tool in Xray : गोरखपुर के इंजीनियर ने बनाया फेफड़े की बीमारी के लिए एआई टूल, खुद-ब-खुद आएगी रिपोर्ट
![गोरखपुर के इंजीनियर ने बनाया फेफड़े की बीमारी के लिए एआई टूल, खुद-ब-खुद आएगी रिपोर्ट](https://image.uttarpradeshtimes.com/uu-23-16222.jpg)
Jun 30, 2024 15:57
Jun 30, 2024 15:57
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गोरखपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बनाई ये तकनीक
इस तकनीक को गोरखपुर के एक प्रतिभाशाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर डॉ. सात्विक वत्स और उनके सहयोगी डॉ. विक्रांत शर्मा ने विकसित किया है। दोनों वर्तमान में देहरादून के ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। इस महत्वपूर्ण शोध में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डॉ. करन सिंह और एम्स गोरखपुर के चिकित्सकों का भी योगदान रहा है।
ऐसे बनाई ये तकनीक
इस एआई टूल को विकसित करने की प्रक्रिया के दौरान शोधकर्ताओं ने पांच देशों - भारत, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया, इटली और स्पेन - के डेढ़ लाख से अधिक मरीजों का विस्तृत आंकड़ा एकत्र किया। इन आंकड़ों को एकीकृत कर, विभिन्न बीमारियों में फेफड़ों में होने वाले बदलावों के विशिष्ट लक्षणों को एआई सिस्टम में समाहित किया गया। इस प्रक्रिया में तीन विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट, चेस्ट फिजिशियन और मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट की विशेषज्ञता का भी लाभ लिया गया।
इन पैटर्न को पहचानने में सक्षम
डॉ. सात्विक के अनुसार, यह एआई टूल फेफड़ों में होने वाले 16 विभिन्न प्रकार के पैटर्न को पहचानने में सक्षम है। इन पैटर्न में निमोनिया, एडिमा, फाइब्रोसिस, डायाफ्राम की हर्निया, कोविड-19, कैंसर, फेफड़ों की झिल्ली में सूजन, जलोदर (हाइड्रोथोरैक्स) और फेफड़ों में गांठ जैसी गंभीर बीमारियां शामिल हैं। यह टूल इन बीमारियों के लक्षणों को पहचानकर, त्वरित और सटीक निदान में सहायक होगा।
इसकी सटीकता कम से कम 70% रहेगी
इस नवीन तकनीक की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह स्वयं अपनी सटीकता का आकलन करती है। यदि किसी मामले में इसकी सटीकता 70 प्रतिशत से कम होती है, तो यह स्वचालित रूप से चिकित्सक से परामर्श की सलाह देती है। यह विशेषता इस टूल को अत्यंत विश्वसनीय बनाती है। साथ ही एक्स-रे के तुरंत बाद, यह टूल फेफड़ों में होने वाले बदलावों को पहचान लेता है और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है। यह रिपोर्ट चिकित्सकों को रोग की पहचान और उपचार योजना बनाने में महत्वपूर्ण मदद करेगी।
तकनीक को कराया गया पेटेंट
इस अभिनव तकनीक को पेटेंट कराया जा चुका है और इससे संबंधित पहला शोध पत्र एक प्रतिष्ठित अमेरिकी चिकित्सा जर्नल में प्रकाशित हो चुका है। यह उपलब्धि न केवल भारतीय वैज्ञानिक प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
फेफड़े में इन बदलाव को पकड़ लेगा एक्सरे
- फेफड़ों के किसी हिस्से का दब जाना
- हृदय का आकार बढ़ जाना
- फेफड़ों के बाहर की झिल्ली के बीच पानी भर जाना
- फेफड़ों के अंदर किसी संक्रमण का प्रवेश
- गांठ और फेफड़ों की टीबी के अलावा कोविड
- फेफड़ों के बाहर की झिल्ली के बीच हवा भरना
- फेफड़ों के अंदर पानी भरना
- फेफड़ों का सिकुड़ना या जाला बनना
- फेफड़ों के बाहर की झिल्ली का मोटा हो जाना
- डायफ्रॉम में हार्निया
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