जंगली जानवरों से सुरक्षा : ITM गोरखपुर के छात्रों ने बनाई अद्भुत डिवाइस, भेड़ियों और तेंदुओं को ट्रैक करना होगा आसान

ITM गोरखपुर के छात्रों ने बनाई अद्भुत डिवाइस, भेड़ियों और तेंदुओं को ट्रैक करना होगा आसान
UPT | गोरखपुर में छात्रों की नई डिवाइस से जंगली जानवरों को ट्रैक करना होगा आसान।

Dec 30, 2024 14:11

गोरखपुर के छात्रों ने जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए एक डिवाइस विकसित की है, जो न केवल आदमखोर तेंदुओं और भेड़ियों को ट्रैक करने में मदद करेगी, बल्कि किसानों की फसलों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी।

Dec 30, 2024 14:11

Gorakhpur News : इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा, गोरखपुर के छात्रों ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जो जंगली भेड़ियों और तेंदुओं को ट्रैक करने और पकड़ने में मदद करेगी। आईटीएम के दो छात्रों अंशित श्रीवास्तव और श्याम ने रेडियो इंटरनेट सेंसर गन बनाई है। इससे जंगलों में तेंदुए, भेड़ियों समेत आदमखोर जानवरों को ट्रैक करने और पकड़ने में मदद मिल सकती है। यह डिवाइस किसानों के खेतों में उगने वाली फसलों को जंगली जानवरों से भी बचाएगी। छात्र अंशित ने बताया कि आदमखोर तेंदुए और भेड़ियों का आतंक उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर देखने को मिलता है।

प्रोजेक्ट का प्रदर्शन और सराहना
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में आदमखोर जानवरों के हमलों में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। सरकार और वन विभाग के अधिकारी ऐसे जानवरों को पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं ताकि लोगों को इनसे बचाया जा सके। ऐसे में हमारा उपकरण ऐसे जानवरों को पकड़ने और उन्हें भगाने में मदद कर सकता है। अंशित श्रीवास्तव ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में (यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड सेरेमनी) में अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया। इस प्रोजेक्ट की सराहना मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार में वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने भी की।

डिवाइस की कार्यप्रणाली
छात्रों द्वारा बनाई गई यह सेंसर कैमरा गन दूर से ही भेड़ियों को पहचान लेगी और जंगल या खेतों में भेड़ियों के दिखते ही उन पर लकड़ी की गोलियां दाग कर उन्हें घायल कर देगी और वन विभाग के अधिकारियों को उनके नंबर पर सूचना भी देगी जिससे वन विभाग के अधिकारी अपने मोबाइल फोन से जंगल में घूम रहे आदमखोर भेड़ियों को निशाना बनाकर बेहोश कर उन्हें पकड़ सकेंगे। 

डिवाइस की निर्माण प्रक्रिया
इस डिवाइस को तैयार करने में करीब 5 महीने का समय लगा और इसकी लागत लगभग 80,000 रुपये आई। इसे बनाने में विभिन्न तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया गया, जैसे कि रेडियो सिग्नल, इंटरनेट चिप, गियर मोटर, सोलर गन सिस्टम किट, आर्डुइनो, कैमरा, और ऑनलाइन कैमरा 

संस्थान की सराहना
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. एनके सिंह ने कहा कि संस्थान में छात्रों के नवाचार और तकनीकी प्रयोगों को हमेशा प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने इस परियोजना को उत्कृष्टता की मिसाल बताया। संस्थान के अध्यक्ष, नीरज मातनहेलिया और अन्य शिक्षक भी छात्रों की इस सफलता से प्रसन्न दिखे और उन्हें शुभकामनाएं दीं।  

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