उत्तर प्रदेश में नकली नोटों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की तीन सदस्यीय टीम ने दो दिन तक गहन जांच-पड़ताल की। एनआईए की यह टीम तस्करों के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन को उजागर करने के लिए आई थी।
जाली नोट मामले की जांच: एनआईए ने जुटाए अहम सुराग, मामले से जुड़े दस्तावेज और फोन रिकॉर्ड अपने साथ ले गई
Sep 30, 2024 18:35
Sep 30, 2024 18:35
नकली नोटों का नेटवर्क : पुलिस और एनआईए की संयुक्त जांच
कुशीनगर पुलिस ने पहले ही इस मामले में 5.62 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए थे और इस सिलसिले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से दो समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता भी शामिल हैं। तस्करों के पास से नेपाली करेंसी और विदेशी सिमकार्ड भी बरामद हुए थे, जो उनके अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं। इन तस्करों के बिहार और नेपाल के साथ भी गहरे संबंध पाए गए हैं।
एनआईए की जांच
सीमावर्ती इलाके और तस्करों की गतिविधियों पर नजर एनआईए की टीम ने बिहार-यूपी सीमा पर स्थित उस स्थान की भी
जांच की, जहां से नकली नोटों की खेप पकड़ी गई थी। टीम ने पुलिस के साथ मिलकर तस्करों की गतिविधियों, उनके विदेशी
संपर्कों और नकली नोटों की छपाई के तरीकों की गहराई से जांच की। टीम ने यह भी पता लगाया कि नकली नोट कितनी
बारीकी से बनाए गए थे, क्योंकि विशेष तरीके से छपे नकली नोटों को असली और नकली में फर्क करना काफी मुश्किल हो
सकता है।
तस्करों की आर्थिक स्थिति की जांच
एनआईए ने तस्करों की आर्थिक स्थिति की भी गहन जांच की। टीम ने इस बात की पड़ताल की कि पिछले 10 सालों में
तस्करों और उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में क्या बदलाव आए हैं। इसका उद्देश्य यह समझना था कि नकली नोटों के
कारोबार से तस्करों की आर्थिक स्थिति में क्या उन्नति हुई है।
गिरफ्तार तस्करों का अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
कुशीनगर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तस्करों का नेपाल और बिहार के साथ-साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा होना
भी जांच में सामने आया है। पुलिस ने तस्करों के पाकिस्तानी और बांग्लादेशी कनेक्शनों की भी जांच शुरू की है। पुलिस का
मानना है कि इस गिरोह का संचालन रफीक उर्फ बबलू खान नामक एक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा था, जो इस धंधे में लंबे
समय से सक्रिय है। हालांकि, स्थानीय सफेदपोशों के संरक्षण के चलते वह अब तक गिरफ्त में नहीं आ सका है।
जांच में शामिल एजेंसियां
इस नकली करेंसी रैकेट की जांच में एनआईए के साथ-साथ आइबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो), एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वॉड) और
स्थानीय पुलिस भी शामिल हैं। एनआईए और एटीएस की जांच बेहद गोपनीय रखी जाती है, और यह एजेंसियां अपने कार्यक्रमों
को स्थानीय पुलिस के साथ साझा नहीं करतीं। एनआईए ने जांच के दौरान कई गोपनीय तथ्य जुटाए हैं, जिनका खुलासा अभी
तक नहीं हुआ है।
उच्च स्तरीय जांच की संभावना
सूत्रों के मुताबिक, अगर इस मामले की जांच गहराई से की गई तो कई बड़े चेहरे भी इस नेटवर्क में शामिल पाए जा सकते हैं।
कुशीनगर में नकली नोटों के इस नेटवर्क का पर्दाफाश करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। एनआईए की
टीम की रिपोर्ट पर उच्चाधिकारी जल्द ही इस पर निर्णय लेंगे कि मामले की आगे की जांच किस स्तर पर की जाएगी।
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