लड़कियों का सपना ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर भारत का नाम रोशन करना है। वे हर रोज़ अपने गांव के पोखर में तैराकी का अभ्यास करती हैं। इस पोखर में तैराकी के लिए न तो कोई उचित व्यवस्था है और न ही उन्हें सही तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए कोई कोच …
गांव की बेटियां तैराकी में ओलंपिक मेडल लाने की कर रही तैयारी : तालाब में करती हैं प्रैक्टिस, सरकार से की उचित सुविधाओं की मांग
Sep 05, 2024 02:36
Sep 05, 2024 02:36
पोखर में तैराकी का अभ्यास
इन लड़कियों का सपना ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर भारत का नाम रोशन करना है। वे हर रोज़ अपने गांव के पोखर में तैराकी का अभ्यास करती हैं। इस पोखर में तैराकी के लिए न तो कोई उचित व्यवस्था है और न ही उन्हें सही तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए कोई कोच मौजूद है। इसके बावजूद भी ये बेटियाँ अपने सपनों को साकार करने के लिए जी-जान से मेहनत कर रही हैं।
चुनौतियों का सामना
इन लड़कियों को तैराकी के लिए किसी स्विमिंग पूल का लाभ नहीं मिल पाता है, न ही उनके पास स्विमिंग किट्स या अन्य आवश्यक उपकरण उपलब्ध हैं। पोखर का पानी साफ नहीं होता, फिर भी वे बिना किसी डर और झिझक के पानी में उतरकर तैराकी का अभ्यास करती हैं। हर रोज़ कई तरह की मुश्किलों का सामना करते हुए भी इन लड़कियों का हौसला कभी नहीं टूटता। उनका लक्ष्य स्पष्ट है - ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना और मेडल जीतकर अपने गाँव और देश का नाम ऊंचा करना।
तैराकी की प्रैक्टिस
वर्तमान में, राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रंजीत शर्मा इन युवाओं को तैराकी के गुर सिखाते हैं। सुबह और शाम के समय, रंजीत इन बच्चों को तालाब में तैराकी की प्रैक्टिस कराते हैं। इन सभी का सपना ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना और मेडल जीतना है। रंजीत शर्मा बताते हैं कि तालाब में कुछ कमियों के कारण वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मात खा जाते हैं। मुख्य समस्या तालाब में टर्निंग प्वाइंट की है, जिससे उनकी प्रैक्टिस में कमी रह जाती है। यह कमी उन्हें उच्च स्तरीय प्रतियोगिताओं में आगे बढ़ने से रोकती है।
रधिया ताल के तैराकों की उपलब्धियां
इस तालाब में प्रैक्टिस कर चुके सैकड़ों बच्चे राज्य और राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में भाग ले चुके हैं। एक वर्ष पूर्व, भुवनेश्वर में आयोजित राष्ट्रीय सब जूनियर तैराकी प्रतियोगिता में रधिया ताल के अजीत यादव ने 50 मीटर बटरफ्लाई में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था। अजीत ने 2023 में एक स्वर्ण और तीन कांस्य पदक अपने नाम किए। उनके पिता रामज्ञान, जो दूध के व्यवसाय से जुड़े हैं, अपने बेटे की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हैं। अजीत जैसे सैकड़ों युवाओं ने तैराकी के बल पर खेल कोटे से सेना, अर्धसैनिक बल, दिल्ली पुलिस, रेलवे, शिक्षक और निजी कंपनियों में नौकरी प्राप्त की है।
सरकारी सहयोग की आवश्यकता
सरकार और संबंधित विभाग इन होनहार तैराकों की प्रतिभा को पहचानें और उन्हें वह समर्थन प्रदान करें, जिसकी उन्हें आवश्यकता है। यदि रधिया देवरिया में ओलंपिक स्तर के तरणताल का निर्माण किया जाए और उचित कोचिंग की व्यवस्था की जाए, तो ये तैराक निश्चित रूप से अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
Also Read
23 Nov 2024 03:24 PM
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस अवसर पर वह दीपेश नायर को 'प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार' प्रदान करेंगे। और पढ़ें