महापर्व की भव्य तैयारी : महाराजगंज में पांच सौ घाटों पर होगी पूजा, ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे से पुलिस रखेगी नजर

महाराजगंज में पांच सौ घाटों पर होगी पूजा, ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे से पुलिस रखेगी नजर
UPT | छठ पर्व की तैयारियां तेज हुईं

Nov 06, 2024 11:34

बिहार राज्य के साथ ही पूर्वांचल में काफी धूमधाम से मनाया जाने वाले छठ पर्व को लेकर जनपद महराजगंज में तैयारी जोरों पर है। स्थानीय लोगों के द्वारा घुघली नगर के बैकुंठी घाट पर छठ माता की बेदी को तैयार कर अलग-अलग कलर में सजाया गया है। जनपद के साढ़े पांच सौ घाटों पर छठ माता की पूजा -अर्चना किया जाएगा।

Nov 06, 2024 11:34

Maharajganj News : छठ पूजा वैसे तो मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन अब इसकी ग्लोबल पहचान बन चुकी है। लोग आस्था के इस पर्व में उगते और डूबते हुए सूर्य की आराधना की जाती है। बता दें दीपावली के छठे दिन से शुरू होने वाले इस छठ पर्व की तैयारियां तेज हो गई हैं। 

पांच सौ घाटों पर होगी पूजा
बिहार राज्य के साथ ही पूर्वांचल में काफी धूमधाम से मनाया जाने वाले छठ पर्व को लेकर जनपद महराजगंज में तैयारी जोरों पर है। स्थानीय लोगों के द्वारा घुघली नगर के बैकुंठी घाट पर छठ माता की बेदी को तैयार कर अलग-अलग कलर में सजाया गया है। जनपद के साढ़े पांच सौ घाटों पर छठ माता की पूजा -अर्चना किया जाएगा। छठ पर्व को लेकर सभी सुरक्षा बलों को अलर्ट मोड में रखा गया है। पीएसी के मोटर बोट और प्रशिक्षित गोताखोरों को भी घाटों पर तैनात किया गया है ताकि कोई भी अप्रिय घटना होने पर तत्काल कार्रवाई की जा सके। भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए प्रत्येक आयोजन स्थल पर बैरिकेडिंग और पार्किंग की उचित व्यवस्था की गई है और इसके साथ ही पुलिस ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से भी घाटों पर नजर रखेगी।

 
36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं महिलाएं

यह पर्व अपने पुत्र और पति की लम्बी आयु के लिए होती है। जिसमें महिलाएं 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखती हैं. कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद छठ पूजा का समापन होता है। फिर व्रत का पारण किया जाता है। 
छठ के दिन नाक से माथे तक सिंदूर लगा कर घाट पर बैठी वृत्ति अपनी हजारों पीढ़ी की छाया में होती है, बल्कि वह उन्ही का स्वरूप होती है। इनके दउरे में केवल फल नहीं होते, समूची प्रकृति होती है। इसलिए इस पर्व को प्रकृति का महापर्व कहा जाता है।

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