पूर्वांचल में किसानों की आय को बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने मखाना की खेती को बढ़ावा देने की योजना शुरू की है। प्रोत्साहन के तहत प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा। यह योजना पूर्वांचल के 14 जिलों में लागू की जा रही है।
मखाना की खेती से बढ़ेगी पूर्वी यूपी के किसानों की आय : योगी सरकार प्रोत्साहन के रूप में प्रति हेक्टेयर 40 हजार का अनुदान देगी
Oct 08, 2024 15:43
Oct 08, 2024 15:43
मखाना की खेती बनी पूर्वांचल में आय का नया स्रोत
मखाना की खेती मुख्य रूप से बिहार के मिथिलांचल में की जाती है, जहां की जलवायु इसे उपजाने के लिए अनुकूल मानी जाती है। परंतु, वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, गोरखपुर मंडल की जलवायु भी मखाना की खेती के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। यहां के तालाबों और निचले जलाशयों में लंबे समय तक पानी भरा रहता है, जो मखाना की खेती के लिए आवश्यक है। ऐसे में सरकार ने गोरखपुर मंडल के चार जिलों में मखाना की खेती का विस्तार करने का निर्णय लिया है, ताकि किसान इसका लाभ उठा सकें और अपनी आमदनी बढ़ा सकें।
देवरिया : मखाना की खेती का प्रारंभिक केंद्र
देवरिया जिले में पिछले वर्ष मखाना की खेती का सफल प्रयोग किया गया था। यहां के प्रगतिशील किसानों ने राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा से मखाना के बीज मंगवाए और इसकी खेती शुरू की। इस प्रयोग की सफलता के बाद, अब देवरिया के अन्य जिलों में भी मखाना की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस वर्ष देवरिया में लगभग 5 हेक्टेयर भूमि पर मखाना की फसल तैयार है, जो इसे पूर्वांचल में मखाना की खेती शुरू करने वाला पहला जिला बनाता है।
गोरखपुर, कुशीनगर और महराजगंज में भी मखाना की खेती का विस्तार
सरकार ने गोरखपुर मंडल के अन्य जिलों में भी मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। गोरखपुर में 10 हेक्टेयर, कुशीनगर में 13 हेक्टेयर और महराजगंज में 10 हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती की जाएगी। इसके तहत, कुशीनगर में 16 किसानों का प्रस्ताव पहले ही स्वीकृत किया जा चुका है, जो 8 हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती करेंगे। इसी प्रकार, गोरखपुर में 2 हेक्टेयर भूमि अनुसूचित जाति के किसानों के लिए आरक्षित की गई है, जबकि 8 हेक्टेयर सामान्य वर्ग के किसानों के लिए लक्षित किया गया है। महराजगंज जिले में 25 किसान इस योजना से जुड़ने के लिए तैयार हैं और उन्हें भी मखाना की खेती के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन दिया जाएगा।
मखाना की खेती के लिए अनुदान की व्यवस्था
सरकार की मखाना खेती योजना के तहत, किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। मखाना की खेती करने में एक हेक्टेयर भूमि पर लगभग एक लाख रुपये की लागत आती है। ऐसे में किसानों को 40 प्रतिशत लागत की भरपाई अनुदान के रूप में हो जाएगी। इसके अलावा, मखाना की पैदावार प्रति हेक्टेयर 25 से 29 क्विंटल तक होती है, जिसका थोक मूल्य लगभग 1,000 रुपये प्रति किलो होता है। इस हिसाब से किसान मखाना की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
मखाना की खेती की प्रक्रिया
मखाना की खेती तालाबों या तीन फीट पानी भरे खेतों में होती है। इसकी नर्सरी नवंबर में डाली जाती है और फरवरी या मार्च में इसकी रोपाई की जाती है। पौधों को बढ़ने और फूल आने में करीब पांच महीने का समय लगता है और अक्टूबर-नवंबर में फसल की कटाई शुरू होती है। कुल मिलाकर मखाना की फसल तैयार होने में 10 महीने का समय लगता है।
मखाना की सुपरफूड के रूप में बढ़ती मांग
मखाना को अब एक सुपरफूड के रूप में मान्यता मिल रही है, जिसके कारण इसकी मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है। मखाना में प्रोटीन, फॉस्फोरस, फाइबर, आयरन, और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है, जो इसे पोषक तत्वों का खजाना बनाते हैं। इसके साथ ही, मखाना का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है, खासकर पाचन तंत्र, हृदय स्वास्थ्य, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के नियंत्रण में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
कोरोना महामारी के बाद लोगों में अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है और मखाना की मांग में वृद्धि हुई है। इसकी कम कैलोरी और उच्च पोषण मूल्य इसे एक स्वस्थ आहार विकल्प बनाते हैं। इसके अलावा, मखाना का उपयोग विभिन्न व्यंजनों में भी किया जाता है, जिससे इसकी बाजार में मांग और भी बढ़ गई है।
किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय
मखाना की खेती उन किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है, जिनके पास निजी तालाब हैं या जिनके खेतों में लंबे समय तक पानी भरा रहता है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो किसानों को मछली पालन के साथ-साथ मखाना की खेती करने का विकल्प देता है। मखाना की खेती से किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि उन्हें जल संसाधनों का भी अधिकतम उपयोग करने का मौका मिलता है।
मखाना की खेती के विस्तार से पूर्वांचल में आर्थिक समृद्धि
सरकार की इस पहल से पूर्वांचल के किसानों को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बड़ी मदद मिलेगी। मखाना की खेती न केवल किसानों को अच्छी आय देने वाली फसल साबित हो रही है, बल्कि इससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। इसके साथ ही, यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रही है, जिससे वे अपने पारंपरिक कृषि तरीकों से हटकर नई फसलों को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
अनुदान और प्रशिक्षण के चलते किसान इस खेती को बड़े पैमाने पर अपना रहे
मखाना की खेती पूर्वांचल के किसानों के लिए एक नया और लाभकारी विकल्प साबित हो रही है। सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदान और प्रशिक्षण के चलते किसान इस खेती को बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। मखाना की बढ़ती मांग और इसकी खेती से होने वाले लाभ को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि आने वाले वर्षों में मखाना की खेती पूर्वांचल की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सरकार की यह योजना न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है, बल्कि क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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