उत्तराखंड नहीं...यूपी की रहने वाली हैं हर्षा : मॉडल को लेकर संतों में नाराजगी, इस कारण छोड़नी पड़ी कुंभ नगरी

मॉडल को लेकर संतों में नाराजगी, इस कारण छोड़नी पड़ी कुंभ नगरी
UPT | हर्षा रिछारिया

Jan 18, 2025 17:43

सोशल मीडिया पर ट्रोल होने वालीं हर्षा रिछारिया का विवाद कुंभ मेला से जुड़ा हुआ है। हर्षा, जो कि मूल रूप से झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे की निवासी हैं...

Jan 18, 2025 17:43

Jhansi News : महाकुंभ में यू-ट्यूबर हर्षा रिछारिया को सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया जा रहा है। दरअसल, हर्षा, जो कि मूल रूप से झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे की निवासी हैं। उन्होंने महाकुंभ में भगवा कपड़े पहनकर अखाड़ों के साथ गंगा में स्नान किया था। इस पर महाकुंभनगरी में विवाद उठ खड़ा हुआ था, जिसके बाद हर्षा ने कुंभ नगरी छोड़ने का निर्णय लिया।

उत्तराखंड की नहीं हैं हर्षा
जानकारी के अनुसार, हर्षा का परिवार पहले झांसी से भोपाल चला गया था और अब वह उत्तराखंड में रहती हैं। हर्षा यू-ट्यूबर के तौर पर भी सक्रिय हैं। उन्होंने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से गुरु दीक्षा ली थी। मकर संक्रांति के अवसर पर जब अखाड़ों ने गंगा में अमृत स्नान किया, हर्षा ने भी भगवा वस्त्र पहनकर इसमें हिस्सा लिया। इस घटना के बाद कुंभ नगरी में एक विवाद खड़ा हो गया।



संतों ने किया विरोध
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद और अन्य संतों ने इस कृत्य की आलोचना की और इसे सनातन धर्म का अपमान बताया। शांभवी पीठ के पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने भी हर्षा के इस कार्य का विरोध किया और इसे गलत बताया। उनके अनुसार, हर्षा का भगवा पहनकर स्नान करना सनातन धर्म की त्याग परंपरा को भोग परंपरा में बदलने जैसा था।

इस विवाद के बाद हर्षा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह सनातन धर्म को समझने के लिए कुंभ नगरी आई थीं, लेकिन अपने गुरु को अपमानित होते नहीं देख सकतीं, इस कारण वह समय से पहले कुंभ नगरी छोड़ने का निर्णय ले रही हैं। वहीं, आचार्य महमंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने इस विवाद को पूरी तरह से बेबुनियाद और गैरजरूरी बताया।

इस बीच, हर्षा साध्वी वेश में संगम की रेती पर घूमते हुए नजर आईं। भगवा चोला पहनकर संन्यासिनी बनने के आरोपों के बावजूद हर्षा महाकुंभ में मौजूद थीं। शुक्रवार को वह महाकुंभ के सेक्टर 11-12 में सफेद कार में सफर करती नजर आईं और इस दौरान सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वह रोती हुई महाकुंभ से जाने की बात कर रही थीं।

स्वामी कैलाशानंद के खिलाफ उठाई आवाज
इस विवाद ने एक नया मोड़ लिया जब शांभवी पीठ के आनंद स्वरूप ने स्वामी कैलाशानंद के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कैलाशानंद पर आरोप लगाया कि वह सनातन धर्म की असली परंपराओं से अनभिज्ञ हैं और उन्होंने हर्षा को शाही रथ पर बैठाकर परंपरा का उल्लंघन किया है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर अखाड़ा परिषद और निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष से स्वामी कैलाशानंद को आचार्य पद से हटाने की मांग की है।

क्या बोला हर्षा का परिवार
हर्षा की मां, किरन रिछारिया ने भी इस विवाद में अपनी राय दी। उन्होंने यह कहा कि उनकी बेटी की शादी अगले महीने होनी है और वह उसे कभी संन्यास नहीं लेने देंगी। स्वामी आनंद स्वरूप ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी, कहां कि एक महिला जो अभी यह नहीं तय कर पाई है कि वह संन्यास लेना चाहती है या शादी करना, उसे महाकुंभ में शाही रथ पर स्थान नहीं दिया जा सकता।

श्रद्धालु के रूप में शामिल होती तो उचित था
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इस पूरे मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जो महिला अभी शादी और संन्यास के बीच चयन नहीं कर पाई है, उसे संत-महात्माओं के शाही रथ पर जगह देना पूरी तरह गलत है। अगर वह एक श्रद्धालु के रूप में शामिल होती, तो यह उचित था, लेकिन भगवा वस्त्र पहनकर रथ पर बैठाना गलत था।

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