महाकुंभ में साध्वी हर्षा रिछारिया पर हुए विवाद पर उनकी दादी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हर्षा बचपन से अध्यात्म से जुड़ी है। साधु-संतों को ऐसा नहीं कहना चाहिए।" जानें हर्षा के बचपन, धार्मिक झुकाव और परिवार की प्रतिक्रिया।
Jhansi News : प्रयागराज महाकुंभ में हर्षा रिछारिया पर हुए विवाद के बाद उनकी दादी विमला देवी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। विमला देवी ने कहा, मेरी पोती बचपन से अध्यात्म से जुड़ी है। साधु-संतों को उसे लेकर गलत टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
बचपनसेहीधार्मिकझुकाव
हर्षा रिछारिया मूल रूप से झांसी के मऊरानीपुर तहसील के धवाकर गांव की रहने वाली हैं। दादी ने बताया कि बचपन से ही हर्षा का भगवान के प्रति गहरा झुकाव रहा है। गांव में अच्छे स्कूल नहीं होने के कारण परिवार पहले झांसी और फिर भोपाल शिफ्ट हो गया। हर्षा की दादी ने कहा, बचपन में वह भगवान शिव की पूजा करती थी और शिव चालीसा पढ़ती थी।
महाकुंभमेंविवादकाकारण
4 जनवरी को महाकुंभ के निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान हर्षा रिछारिया संतों के साथ रथ पर बैठी थीं। इस पर शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने कहा था कि संतों को दिखावा नहीं करना चाहिए। हर्षा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, महिला होने के कारण मेरा अपमान किया गया।
दादी का संतों पर संदेश
हर्षा की दादी ने कहा, हर्षा को टारगेट करना गलत है। उसने दीक्षा ली है और आध्यात्मिक मार्ग पर चल रही है। भगवान की पूजा करना कोई गलत काम नहीं है।
चाचा का समर्थन और हर्षा की सफाई
हर्षा के चाचा राजेश रिछारिया ने कहा, वह बचपन से शिव भक्त रही है। भगवा कपड़ा हर सनातनी को पहनना चाहिए। इंस्टाग्राम पर हर्षा के 10 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। वह धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों से जुड़े पोस्ट साझा करती हैं। महाकुंभ में विवाद के बाद हर्षा ने मीडिया के सामने कहा, मैं साध्वी नहीं हूं, केवल दीक्षा ग्रहण कर रही हूं।
परिवार का संदेश
दादी और चाचा ने स्पष्ट किया कि हर्षा का धार्मिक झुकाव नया नहीं है और साधु-संतों को ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए। ईश्वर सब देख रहा है, गलत करने वालों को उसका फल मिलेगा, दादी ने कहा।