झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र में 15 नवंबर को हुए भीषण अग्निकांड के बाद मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। हादसे के बाद से लापरवाही और सुरक्षा उपायों की कमी पर सवाल उठ रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर।
झांसी अग्निकांड : कब थमेगा मौत का सिलसिला? 18 बच्चों की मौत, घाव अब भी हरे
Nov 26, 2024 08:09
Nov 26, 2024 08:09
क्या हुआ था उस भयावह रात?
15 नवंबर की रात करीब सवा 10 बजे एसएनसीयू वार्ड में आग लग गई थी। वार्ड में उस समय 49 नवजात शिशु भर्ती थे। भीषण आग में 10 बच्चों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 39 बच्चों को बचाकर इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। बचाए गए बच्चों में से इलाज के दौरान एक-एक कर आठ और नवजातों ने दम तोड़ दिया।
कैसे बरपा था कहर?
मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के अनुसार, आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है। घटना के दौरान वहां मौजूद स्टाफ ने बचाव कार्य शुरू किया और 39 बच्चों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। लेकिन हादसे के बाद से बचाए गए बच्चों में से कई की हालत गंभीर बनी रही, जिससे उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
परिवारों का दर्द और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस हादसे ने प्रभावित परिवारों को गहरे जख्म दिए हैं। कई परिवारों ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को हादसे की मुख्य वजह बताया है। स्थानीय प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि, पीड़ित परिवारों को अब तक न्याय का इंतजार है।
हादसे के बाद क्या बदला?
हादसे के बाद मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा उपायों को लेकर सवाल खड़े हुए। अधिकारियों ने वार्ड में फायर सेफ्टी उपकरण लगाने और बिजली आपूर्ति प्रणाली को सुधारने का दावा किया है। लेकिन पीड़ित परिवारों का कहना है कि ये दावे हादसे से पहले किए जाते तो शायद उनके बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
आगे का रास्ता?
इस त्रासदी ने स्वास्थ्य सेवाओं और आपदा प्रबंधन में लापरवाही को उजागर किया है। अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाएगा या यह हादसा भी बाकी हादसों की तरह सिर्फ एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा।