झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए दर्दनाक हादसे में 10 नवजातों की मौत ने अस्पताल प्रबंधन और व्यवस्थागत लापरवाही की पोल खोल दी है। वेंटिलेटर पर क्षमता से अधिक बच्चों को रखना, जर्जर वायरिंग, फायर सेफ्टी की अनदेखी और मेंटेनेंस में गंभीर चूक ने इस घटना को अंजाम दिया।
झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 मौतें : प्रिंसिपल की अनदेखी, CMS की लापरवाही और मेंटेनेंस की चूक से चली गई मासूमों की जान
Nov 18, 2024 08:29
Nov 18, 2024 08:29
लापरवाह प्रबंधन और जिम्मेदार चेहरों की अनदेखी
मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रिंसिपल डॉ. एनएस सेंगर पर है। लेकिन वार्ड में क्षमता से अधिक बच्चों को भर्ती करना, पुरानी और जर्जर वायरिंग को नजरअंदाज करना और फायर सेफ्टी की अनदेखी जैसे मामले उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं।
प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) में 18 वेंटिलेटर पर 49 बच्चों को रखा गया था। संक्रमण और फायर रिस्क के खतरे के बावजूद प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
सीएमएस की चूक
सीएमएस डॉ. सचिन माहोर की जिम्मेदारी वार्ड की निगरानी और समस्याओं को हल करना है। लेकिन घटना के दिन उन्हें यह तक नहीं पता था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती हैं। हादसे के बाद दिए गए उनके बयान में 5 बच्चों के आंकड़ों का अंतर और घटना का समय प्रशासन की रिपोर्ट से मेल नहीं खाता।
एचओडी की अनदेखी
बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. ओम शंकर चौरसिया पर वार्ड की देखभाल की जिम्मेदारी थी। लेकिन जांच में पाया गया कि वार्ड में एक्सपायर हो चुके सिलेंडर और खराब फायर अलार्म का इस्तेमाल हो रहा था। वार्ड का पिछला गेट भी बंद था, जिससे आग लगने पर बच्चों को बाहर निकालने में कठिनाई हुई।
खराब वायरिंग और मेंटेनेंस की लापरवाही
जांच में पाया गया कि वेंटिलेटर के लिए एक्सटेंशन बोर्ड का उपयोग किया जा रहा था, जो ओवरलोडिंग की वजह से गर्म होकर स्पार्किंग करने लगा। इसी से आग लगी और ऑक्सीजन के रिसाव के कारण आग बेकाबू हो गई। नई एसएनसीयू बिल्डिंग बनकर तैयार थी, लेकिन उसे समय पर शुरू नहीं किया गया।
आग लगने के कारण
- ओवरलोड एक्सटेंशन बोर्ड से स्पार्किंग।
- कमजोर वायरिंग और मेंटेनेंस की अनदेखी।
- फायर रेस्क्यू की तैयारी में कमी।
- उपकरणों को लगातार चलाए रखना।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर दुःख व्यक्त करते हुए इसे बड़ी लापरवाही बताया। मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
मजबूत प्रबंधन और मॉनिटरिंग जरूरी है
झांसी मेडिकल कॉलेज का यह हादसा लापरवाही और अनदेखी की कहानी बयां करता है। समय पर उचित कदम उठाए जाते, तो मासूमों की जान बचाई जा सकती थी। अब जिम्मेदारों पर कार्रवाई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत प्रबंधन और मॉनिटरिंग जरूरी है।
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