धनप्रकाश ने ईडी को अपने बयान में बताया कि उन्हें तीन बार बंधक बनाकर मंत्री आवास पर ले जाया गया। हर बार उनसे कहा गया कि उनकी भूमि बड़े नेता को पसंद आ गई है और उसे एमआई बिल्डर्स के कादिर अली और लवी अग्रवाल उर्फ लवी कबीर के नाम पर सौंपने के लिए कहा गया। तीसरी बार जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें मारपीट कर धमकी दी गई।
गायत्री प्रजापति पर भूमि स्वामी को बंधक बनाकर मारपीट का आरोप : एमआई बिल्डर्स के खिलाफ ईडी की जांच में खुलासा
Nov 19, 2024 09:24
Nov 19, 2024 09:24
प्रजापति को दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है।
मंत्री आवास पर हुई गुप्त चर्चा
घटना के दौरान, गायत्री प्रजापति और सपा नेता के बीच कुछ कानाफूसी हुई। इसके बाद, धनप्रकाश को जमीन चुपचाप देने की धमकी देकर छोड़ दिया गया। यह पूरी घटना ईडी द्वारा एमआई बिल्डर्स के खिलाफ चल रही जांच में सामने आई है, जिसमें धनप्रकाश ने अपनी शिकायत में इन तथ्यों को उजागर किया है।
ईडी के समक्ष दर्ज कराया बयान
धनप्रकाश ने ईडी को अपने बयान में विस्तार से बताया कि उन्हें तीन बार बंधक बनाकर मंत्री आवास पर ले जाया गया। हर बार उनसे कहा गया कि उनकी भूमि बड़े नेता को पसंद आ गई है और उसे एमआई बिल्डर्स के कादिर अली और लवी अग्रवाल उर्फ लवी कबीर के नाम पर सौंपने के लिए कहा गया। तीसरी बार जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें मारपीट कर धमकी दी गई।
एफआईआर दर्ज कराने में आई मुश्किलें
जब धनप्रकाश से एफआईआर के संबंध में सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि सपा सरकार के दौरान शिकायत दर्ज कराना जान का जोखिम था। सत्ता परिवर्तन के बाद एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की गई। लेकिन, पुलिस अधिकारियों ने राजनेताओं के नाम हटाने की शर्त रखी। मजबूरी में उन्हें नेताओं का नाम हटाकर शिकायत दर्ज करानी पड़ी। हालांकि, अदालत में दायर याचिका में उन्होंने गायत्री प्रजापति और एक अन्य सपा नेता का नाम दिया है। गायत्री प्रजापति को वर्ष 2017 में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपों के बाद गिरफ्तार किया गया था। अदालत प्रजापति को उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। इसके बाद से वह जेल में बंद है। प्रजापति की ओर से जमानत के लिए कई बार अर्जी याचिका डाली जा चुकी है, लेकिन हर बार कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।
न्यायिक प्रक्रिया और आगे की जांच
अब ईडी के अधिकारी बुद्धराजा के बयानों की सत्यता की जांच कर रहे हैं। मामले में मंत्री और पार्टी नेताओं के संभावित संलिप्तता की जांच से यूपी की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है।
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