Lalitpur News : सर्दी की आहट के साथ ललितपुर-झांसी पहुंचे हजारों साइबेरियन पक्षी, जानें क्यों?

सर्दी की आहट के साथ ललितपुर-झांसी पहुंचे हजारों साइबेरियन पक्षी, जानें क्यों?
UPT | ललितपुर और झांसी में साइबेरियन पक्षियों का आगमन हुआ है

Nov 21, 2024 07:50

ललितपुर और झांसी में साइबेरियन पक्षियों का आगमन हुआ है। जानिए इन पक्षियों के बारे में रोचक तथ्य, प्रजनन, और इनकी सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में।

Nov 21, 2024 07:50

Lalitpur News : सर्दी के आगमन के साथ ही हजारों साइबेरियन पक्षी पांच हजार किलोमीटर से अधिक की लंबी यात्रा तय कर ललितपुर और झांसी पहुंचने लगे हैं। इन पक्षियों का आना स्थानीय लोगों के लिए उत्सव का मौका होता है। हालांकि, अभी पक्षियों की संख्या कम है लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। ये पक्षी आमतौर पर मार्च के मध्य तक यहां रहते हैं।

क्यों आते हैं ये पक्षी भारत?
यूरोप, साइबेरिया, कजाकिस्तान, रूस और मंगोलिया जैसे देशों में भीषण सर्दी के कारण इन पक्षियों के लिए वहां रहना मुश्किल हो जाता है। इसलिए वे अनुकूल मौसम की तलाश में भारत की ओर रुख करते हैं। भारत में इन पक्षियों को भरपूर भोजन और सुरक्षित रहने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है।

कहां बनाते हैं ये अपना घर?
ये पक्षी मुख्य रूप से राजघाट, माताटीला, गोविंद सागर जैसे बांधों और बेतवा, धसान जैसी नदियों के आसपास डेरा डालते हैं। झांसी में गढ़मऊ झील और सुकवा-ढुकवा बांध पर भी इन पक्षियों को देखा जा सकता है।

कौन-कौन से पक्षी आते हैं?
इनमें प्रमुख रूप से नीलसर, कामन टूथ पिंटेल, सलही, वारनकटा, धारोंदर सवन, ठेकरी, पन कौवा, पनडुब्बी चमचा, सिलही, रिनघुर, कालासिर, बाजा, जल पीपी, सिहो, जांघिल और घीमा आदि पक्षी शामिल हैं। इसके अलावा, साइबेरियन क्रेन, ब्लैक हैडिड गूल और कई अन्य प्रजातियां भी यहां आती हैं।

प्रजनन का समय
भारत में रहने के दौरान ये पक्षी जोड़े बनाते हैं और प्रजनन करते हैं। मार्च के मध्य तक ये अपने बच्चों के साथ अपने देश वापस लौट जाते हैं।

शिकार का खतरा
इन पक्षियों की तासीर गर्म होने के कारण शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं। हालांकि, शिकार पर प्रतिबंध होने के बावजूद भी कुछ पक्षी शिकारियों के शिकार बन जाते हैं।

संरक्षण के प्रयास
इन पक्षियों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। जलाशयों के आसपास ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है और ड्रोन कैमरों की मदद से इन पक्षियों पर नजर रखी जा रही है।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों का मानना है कि इन पक्षियों का आना क्षेत्र के लिए शुभ संकेत है। इन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक भी आते हैं जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।

आगे का रास्ता
इन पक्षियों के संरक्षण के लिए हमें सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। हमें शिकार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और इन पक्षियों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना होगा।

महावीर कौजालगी, वन संरक्षक ने कहा कि "साइबेरियन पक्षी जलाशयों में आना प्रारंभ हो गए हैं। सर्दी बढ़ते ही संख्या बढ़ेगी। इनकी सुरक्षा के लिए जलाशयों के आसपास ग्रामीणों को जागरूक किया गया है, जलाशयों पर ड्रोन कैमरा भी लगाए गए हैं।"

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