झांसी में मानसून सीजन के बावजूद बारिश की कमी ने चिंता बढ़ा दी है। गरौठा क्षेत्र में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है, जबकि मौसम वैज्ञानिकों ने इसका मुख्य कारण वनों का कटान और जलवायु परिवर्तन को बताया है।
झांसी में मानसून की कमी : गरौठा क्षेत्र में सबसे कम बारिश, वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को माना कारण
Jul 12, 2024 01:38
Jul 12, 2024 01:38
जुलाई में भी स्थिति चिंताजनक
बुन्देलखण्ड में मानसून 21 जून से पूरी तरह सक्रिय हो जाता है। झांसी में साल भर में औसतन 33 से 36 इंच वर्षा होना चाहिए, लेकिन हर पांच साल में तीन साल औसत से कम बारिश होती है। माहवार बारिश का औसत देखा जाए तो जून में लगभग 3 इंच और जुलाई में 13 इंच वर्षा होना चाहिए। इस साल स्थिति बेहद चिंताजनक है। अब तक 7 इंच से कम बारिश हुई है। इसमें जून में केवल 2 इंच बारिश हुयी है। सबसे कम 1 इंच बारिश गरौठा तहसील क्षेत्र में हुई, जबकि टहरौली तहसील क्षेत्र में डेढ़ इंच, मऊरानीपुर व मोठ में 2.31 इंच तथा झांसी तहसील क्षेत्र में ढाई इंच बारिश हुयी है।
आने वाले दिनों में भारी बारिश की उम्मीद
जुलाई के पहले सप्ताह में हुई बारिश से तगड़े मानसून की उम्मीद जतायी जा रही थी, लेकिन यह धूमिल हो गयी है। आसमान में बादल तो छा रहे हैं, लेकिन बरसने से कतरा रहे हैं। मौसम विभाग ने बुधवार को तापमान अधिकतम 38 डिग्री एवं न्यूनतम 27 डिग्री रिकॉर्ड किया है, जो प्रदेश में सबसे अधिक माना जा रहा है। क्षेत्रीय मौसम इकाई के अनुसार 11 जुलाई को भारी वर्षा हो सकती है, लेकिन अगले चार दिन तक सामान्य वर्षा के आसार हैं। वहीं, मौसम वैज्ञानिक डॉ. मुकेश चन्द्र का कहना है कि मौसम के पूर्वानुमान फेल होने और मानसून के कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य कारण वैश्विक जलवायु परिवर्तन और स्थानीय मौसम पैटर्न में बदलाव होना है। इसके अलावा वनों के अंधाधुंध कटान से भी असर पड़ रहा है।
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