Jhansi News : प्रयागराज महाकुंभ… झांसी से जुड़ा है नागा साधुओं का गौरवशाली इतिहास

प्रयागराज महाकुंभ… झांसी से जुड़ा है नागा साधुओं का गौरवशाली इतिहास
सोशल मीडिया | झांसी से जुड़ा है नागा साधुओं का गौरवशाली इतिहास

Jan 20, 2025 08:22

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में नागा साधुओं का अद्भुत इतिहास जानिए, जिसका झांसी से गहरा नाता है। 18वीं शताब्दी में इन्हीं नागाओं ने अफगानियों को खदेड़कर धर्म की रक्षा की थी।

Jan 20, 2025 08:22

Jhansi News : संगम नगरी प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ की भव्यता देखते ही बन रही है। लाखों श्रद्धालु और साधु-संतों का समागम हो रहा है, जिनमें नागा साधु आकर्षण का केंद्र हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा साधुओं का इतिहास झांसी से भी गहरा नाता रखता है? 18वीं शताब्दी में, जब प्रयागराज अफगानी आक्रमणकारियों के आतंक से त्रस्त था, तब झांसी के नागा साधुओं ने ही धर्म और संस्कृति की रक्षा का बीड़ा उठाया था।

18वीं शताब्दी: झांसी से प्रयागराज तक नागाओं का पराक्रम
बात 18वीं शताब्दी की है, जब अफगानी आक्रांताओं ने प्रयागराज पर कब्जा जमा लिया था। लूटपाट और धार्मिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होने से स्थिति गंभीर हो गई थी। इस संकट की घड़ी में, झांसी के नागा साधु राजेंद्र गिरी ने नागा साधुओं को एकत्र कर अफगानियों के विरुद्ध युद्ध की रणनीति बनाई। शास्त्र और शस्त्र दोनों विद्याओं में निपुण नागा साधुओं ने हजारों की संख्या में प्रयागराज के लिए कूच किया। उन्होंने अफगानियों पर ऐसा धावा बोला कि उन्हें खदेड़ कर ही दम लिया। प्रयागराज को अफगानियों से मुक्त कराकर ही वे वापस झांसी लौटे।

100 सालों तक नागा साधुओं का शासन
झांसी का नागा साधुओं से पुराना संबंध रहा है। 17वीं शताब्दी में लगभग 100 वर्षों तक यहां नागा साधुओं का शासन रहा। उन्होंने मोंठ के आसपास के 114 गांवों पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था। इतना ही नहीं, उन्होंने मोंठ में एक किले का निर्माण भी कराया था, जो उनके प्रभुत्व का प्रतीक है।

रानी लक्ष्मीबाई और नागा साधु
नागा साधुओं का शौर्य और बलिदान सिर्फ अफगानियों तक ही सीमित नहीं था। 1858 में, जब रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से अपना अंतिम युद्ध लड़ रही थीं, तब भी नागा साधुओं ने उनका साथ दिया। रानी की मृत्यु के बाद, जब अंग्रेज उनके शव को प्राप्त करने के लिए संत गंगादास के आश्रम पहुंचे, तो नागा साधुओं ने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने न केवल रानी के शव की रक्षा की, बल्कि उनके दत्तक पुत्र दामोदर राव को भी अंग्रेजों से बचाया।

इतिहासकारों की राय
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविंद कुशवाहा के अनुसार, नागा साधु राजेंद्र गिरी, आनंद गिरी, श्रृंगार गिरी और तीरथ गिरी जैसे योद्धाओं का झांसी पर लंबे समय तक आधिपत्य रहा। उन्होंने प्रयागराज को अफगानियों से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं, पूर्व आईएएस एवं इतिहासकार डॉ. पीके जैन का कहना है कि झांसी के इतिहास का एक बड़ा हिस्सा नागा साधुओं से जुड़ा हुआ है। मोंठ का किला और यहां के कई शिव मंदिर नागा साधुओं की देन हैं।
 

Also Read