राइट टू एजुकेशन यानि आरटीई के तहत स्कूल में प्रवेश को लेकर प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी सामने आ रही है। जिसके चलते इस श्रेणी में आने वाले बच्चों के अभिभवकों को काफी समस्या का सामना करना...
Kanpur News : आरटीई के तहत स्कूलों में नहीं हो रहे दाखिले, नाराज एमएलसी बीएसए के पास पहुंचे...
Jul 11, 2024 17:36
Jul 11, 2024 17:36
बीएसए के पास पहुंचे एमएलसी
बीजेपी एमएलसी अरुण पाठक ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि सरकार की मंशा के अनुरूप जो गरीब और वंचित बच्चे हैं, उनका आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश होना था। अभी तक इस प्रक्रिया के तहत 8300 बच्चे आये हैं। अभी एक या डेढ़ हजार बच्चे रह गए हैं, जिनका स्कूलों में एडमिशन होना है। लेकिन, कुछ प्राइवेट स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं। वे अभिभावकों को दौड़ा रहे हैं, एडमिशन नहीं ले रहे हैं। ऐसे स्कूलों की सूची बीएसए को सौंपी है। साथ ही 14 प्रार्थना पत्र भी उनको सौंपे हैं, जो अभिभावक साथ आये थे। उन्होंने आश्वासन दिया है कि मंगलवार तक सभी एडमिशन हो जाएंगे। जो नियमानुसार स्कूल संचालक कार्य नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अगले हफ्ते हो जाएगा समाधान
बीएसए सुजीत कुमार ने बताया कि आरटीई से संबंधित कुछ शिकायतें थीं, जो एमएलसी अरुण पाठक ने की थी। जिन बच्चों के प्रवेश प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत नहीं हो पा रहे है, हमने उनको आश्वासन दिया है कि मंगलवार तक सभी बच्चों के एडमिशन हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि कानपुर के 13 से 14 स्कूल ऐसे हैं, जो मनमानी कर रहे हैं। उनकी शिकायतें आ रही हैं। इसको लेकर जिलाधिकारी से भी बात की जा रही है। इसके पहले 40 से 45 स्कूल थे, जो मनमानी कर रहे थे, लेकिन काफी हद तक शिकायतों का निस्तारण हो चुका है। जो अन्य स्कूलों की समस्या है, उनका भी निस्तारण जल्द ही कर दिया जाएगा। अभी तक आरटीई के तहत 3700 बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में किया जा चुका है।
साल 2010 में लागू हुआ था कानून
देश में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE) लाया गया था। यह 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा की गारंटी देता है। भारत की संसद ने 4 अगस्त 2009 को इस एक्ट को अधिनियमित किया और यह 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ। इस एक्ट के बाद भारत दुनिया के उन 135 देशों में शामिल हो गया, जिनके पास शिक्षा का मौलिक अधिकार है। हालांकि इसके बाद भी कई ऐसी खामियां व चुनौतियां हैं, जिसके कारण देश के हजारों बच्चे अनिवार्य शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। अगर हम राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 के महत्व पर बात करें, तो इस एक्ट का देश की शिक्षा प्रणाली के लिए गहरा महत्व है, क्योंकि भारत की शिक्षा प्रणाली में इसने एक आदर्श बदलाव किया है।
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