कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट का उपचुनाव बड़ा ही दिलचस्प हो गया है। एक तरफ सीएम योगी और बीजेपी नेताओं की सभाओं में जमकर भीड़ देखी जा रही है। वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव की सभा में कम भीड़ होने से इसके सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। मतदाताओं की खामोशी बहुत कुछ बयां कर रही है।
Sisamau By-Election: रामपुर की तर्ज पर बीजेपी जीतना चाहती है सीसामऊ उपचुनाव, अखिलेश की सभा में कम भीड़-सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज
Nov 15, 2024 16:02
Nov 15, 2024 16:02
- कानपुर में अखिलेश यादव की जनसभा में कम भीड़ होने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
- रामपुर की तरफ सीसामऊ में कमल खिलाने की तैयारी।
- सीसामऊ विधानसभा सीट पर मतदाताओं की खामोशी को नहीं समझ पा रही हैं राजनीतिक पार्टियां।
सपा मुखिया अखिलेश यादव की जनसभा में भीड़ कम होने पर इस बात की अटकलें लगने लगी हैं कि सपा की सीसामऊ सीट पर सियासी पकड़ कमजोर पड़ गई है। जिसकी चर्चा सियासी गलियारों में भी हो रही है। बीजेपी ने 28 साल से सीसामऊ सीट पर जीत का स्वाद नहीं चखा है। बीजेपी के लोग इसे सपा के प्रति लोगों का मोह भंग होना बता रहे हैं। वहीं सपाई इसका ठीकरा शासन प्रशासन पर फोड़ रहे हैं।
बीजेपी जीरो या दहाई का अंक पार नहीं कर सकी थी
सपा मुखिया अखिलेश यादव की बुधवार को चुन्नीगंज स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में जनसभा हुई थी। उससे सटे वो इलाके जो सपा के गढ़ माने जाते हैं। आसपास के डेढ़ से दो किलोमीटर के दायरे में 60 से अधिक ऐसे बूथ हैं, जहां पर बीजेपी जीरो या फिर दहाई का अंक नहीं पार कर पाती थी। चाहे लोकसभा या विधानसभा का चुनाव हो बीजेपी को निराशा ही मिलती थी।
अखिलेश की सभा में कुर्सीयां खाली
इसी वजह से सपा मुखिया की जनसभा स्थल को चुना गया था। सपा और कांग्रेस इस बात को मानकर चल रहे थे कि इस मैदान में भीड़ जुटेगी। जबकि इसका एक दम उल्टा हुआ। चमनगंज, यतीमखाना, तलाक महल से सटे मैदान में तमाम कुर्सीयां खाली रहीं। अखिलेश के पहुंचने तक सपा नेता माइक पर बोलते रहे कि प्रशासन उनके लोगों को मैदान में आने से रोक रहा है।
विपरीत परिस्थितियों में लग रहीं चुनाव
लेकिन एक तरफ यह भी माना जा रहा है कि यदि इस क्षेत्र के लोग बूथ तक गए, तो सपा और कांग्रेस के लिए ही मतदान करेंगे। सभा में इस लिए ना आए हों की सामने से बात बिगड़ सकती है। मतदान केंद्र में सपा-कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने पर कोई समझ नहीं पाएगा। मतदाताओं की चुप्पी और अखिलेश की सभा में कम भीड़ कई सवाल खड़े कर गई। सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी विपरीत परिस्थितियों में चुनाव लड़ रही हैं।
रामपुर का सियासी गणित
रामपुर विधानसभा सीट सपा का गढ़ मानी जाती थी। इस सीट पर आजम खान 10 बार चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट को बीजेपी के आकाश सक्सेना ने छीन ली थी। आकाश के कारण से आजम और उनके बेटे अब्दुल्ला की सदस्यता रद्द हुई थी। जिसकी वजह थी 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खान का भड़काऊ भाषण देना। वहीं अब्दुल्ला का चुनाव के समय फर्जी जन्म प्रमाण का इस्तेमाल करना। उनके गले की फांस बन गया।
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