यूपी की इन दो सीटों पर माया का जाल : एकला चलो की आवाज बुलंद कर अकेले चुनाव लड़ने वाली मायावती, बीजेपी को देंगी टक्कर  

एकला चलो की आवाज बुलंद कर अकेले चुनाव लड़ने वाली मायावती, बीजेपी को देंगी टक्कर  
UPT | बसपा सुप्रीमो मायवती

Apr 02, 2024 20:07

चुनाव जीतने की होड़ सभी पार्टियों के बीच लगी हुई है। जीत के लिए किसी भी हद तक जाना फिर चाहे साम ,दाम ,दण्ड भेद कुछ भी आजमाना पड़े। इस दौरान यूपी की 80 सीटों पर मुकाबला जबरदस्त है। 

Apr 02, 2024 20:07

Short Highlights
  • कौन सा जाल बुन रही हैं मायावती ?
  • बसपा कानपुर में बीजेपी पर भारी पड़ेगी?
  • इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को होगा फायदा
  • अकबरपुर सीट से भी बसपा भाजपा पर भारी
  • क्या माया सफल होंगी अपने चुनावी रणनीति में ? 
UP Loksabha Election 2024 : चुनाव का समय अब नज़दीक है ऐसे में एक कहावत जो राजनीतिक पार्टियों पर बखूबी जंचता है। कहते हैं 'मोहब्बत और जंग' में सब जायज है। ठीक वही हाल अभी चुनाव से पहले पार्टियों का भी है। इस बार लोकसभा चुनाव खासकर यूपी की सीटों पर और भी रोमांचक होने वाला है। चुनाव जीतने की होड़ सभी पार्टियों के बीच लगी हुई है। जीत के लिए किसी भी हद तक जाना फिर चाहे साम ,दाम ,दण्ड भेद कुछ भी आजमाना पड़े। इस दौरान यूपी की 80 सीटों पर मुकाबला जबरदस्त है। 

कौन सा जाल बुन रही हैं मायावती ?
यूपी की 80 सीटों पर क्योंकि बीजेपी लगातार विपक्ष के खेमे में सेंधमारी कर रही है। जिससे विपक्ष कमजोर पड़ जाए। लेकिन सपा और कांग्रेस भी अपने तरकीब से एकजुट होकर लड़ती हुई दिख रही है। हालांकि यूपी में इंडिया गठबंधन और बीजेपी की इस लड़ाई में मायावती के जाल को कोई समझ नहीं पा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है की इस बार माया किसकी होगी। राजनीति में खामोशी का खेल मायावती खेल रही हैं। खामोशी अख्तियार किए बड़ी ही सावधानी से बसपा सुप्रीमो मायावती चुपी साधे प्रदेश की 80 सीटों पर रणनीति से काम कर रही हैं।  जइसे समझना फिलहाल आसान नहीं है। इस दौरान अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं ,एकला चलो की आवाज बुलंद कर अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करके मायावती अब कौन सा जाल बुन रही हैं। बिना गठबंधन, बिना समर्थन और बीजेपी का साथ भी नहीं। फिर क्या है मायावती की चाल?

बसपा कानपुर में बीजेपी पर भारी पड़ेगी?
बसपा की तरफ से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी लगातार उतार रही है। हालांकि मायावती के प्रत्याशी किसका खेल और समीकरण खराब कर रहे हैं या चुनौती दे रहे हैं यह पता लगाना सबके लिए नामुमकिन हो रहा है। लेकिन कहा जा रहा है की माया की चाल बड़ी ही गंभीरता के साथ बीजेपी को कमजोर करती नजर आ रही है। उदाहरण के लिए यदि देखा जाए तो कानपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है। जबकि इंडिया अलायन्स में इस सीट को कांग्रेस के खाते में दिया गया है। कांग्रेस पार्टी ने भी ब्राह्मण प्रत्याशी (आलोक मिश्रा) को मैदान में उतारा है। वहीं इस सब के बीच कानपुर सीट पर माया ने अपनी अलग रणनीति के मद्देनजर क्षत्रिय प्रत्याशी पर दांव लगाया है। जिसके बाद यह कयास लगाएं जा रहे हैं की क्षत्रिय प्रत्याशी बीजेपी का खेल बिगाड़ सकता है। 

इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को होगा फायदा
बता दें बीजेपी को मुख्यतः वोट देने वाले ज्यादातर ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाता हैं। लकिन अगर बसपा ने इस सीट पर क्षत्रिय उम्मीदवार उतारा है तो यहां से क्षत्रिय कट भी सकता है। जोकि बीजेपी के लिए नुकसानदायक हैं। बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशी ब्राह्मण है जो ब्राह्मण वोटरों को दो हिस्सों में बाटेंगे जो पूरी तरह से बीजेपी को नहीं मिल पाएगा ,और गठबंधन के प्रत्याशी को कांग्रेस, सपा, मुस्लिम ,यादव कुछ हिस्सा ब्राह्मण वोट मिलना तय है। इस रणनीति से भाजपा अभी भी पीछे दिखाई दे रही है। जबकि बसपा कैंडिडेट इस चुनाव में डमी के रूप में नजर आ रहा है। 

अकबरपुर सीट से भी बसपा भाजपा पर भारी 
अकबरपुर सीट की बात करें तो यहां से बीजेपी के प्रत्याशी दो बार जीत हासिल कर चुके है। वहीं तीसरी बार फिर से मैदान में उतरे हैं जो क्षेत्रीय प्रत्याशी हैं। जबकि सपा ने इस सीट पर पूर्व सांसद राजाराम पाल को उतारा है। बता दें राजाराम पाल ओबीसी हैं। और इस सीट से जीत भी चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस ,सपा का फिक्स वोट तो गठबंधन के प्रत्याशी को मिलना तय है। बीएसपी ने यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर बीजेपी का ब्राह्मण वोट दो हिस्सों में बांट दिया है जो बीएसपी बीजेपी से काट लेगी। जिसका फायदा गठबंधन को हो सकता है। 

क्या माया सफल होंगी अपने चुनावी रणनीति में ?
चुनाव के दौरान सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि बीएसपी बिना गठबंधन के बीजेपी को नुकसान पहुंचा रही है। जबकि सपा कांग्रेस गठबंधन को आंतरिक दृष्टि से मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है। हलांकि इस समीकरण के सफल होने से बीजेपी यूपी में विपक्ष के दांव से चारों खाने चित्त कर सकती है। अब देखना है की बीएसपी सुप्रीमो की चुनावी रणनीति किसके लिए कारगर साबित होगी और इस बार माया किसके हिस्से में आएगी । 

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