कानपुर कमिश्नरेट की साइबर टीम ने बड़ी सफलता हासिल कर साइबर ठगों से 91.5 लाख रिकवर करने में सफलता हासिल की है। ठगों ने कंपनी के गेटवे से छेड़छाड़ कर 1.68 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर लिए थे।
साइबर धोखाधड़ी : कंपनी के 1.68 करोड़ रुपये की ठगी में साइबर पुलिस को मिली बड़ी सफलता, 91.5 लाख रुपये बरामद
Aug 15, 2024 00:53
Aug 15, 2024 00:53
गेटवे से छेड़छाड़ कर उपभोक्ताओं की जमा की गई धनराशि को 22 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर लिया
घटना 27 जुलाई 2023 को प्रकाश में आई, जब आईटी एक्ट की धारा 66 डी और आईपीसी की धारा 406, 419, 420 के तहत कोतवाली में मामला दर्ज किया गया। इस घटना में ठगों ने केस्को के गेटवे से छेड़छाड़ कर उपभोक्ताओं द्वारा जमा की गई धनराशि को 22 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर लिया। आईसीआईसीआई बैंक के रीजनल हेड राजीव रंजन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जून से जुलाई 2023 के बीच केस्को के उपभोक्ताओं द्वारा अपने बिजली बिलों का भुगतान ऑनलाइन किया गया था, लेकिन भुगतान के बाद यह धनराशि केस्को के खाते में नहीं पहुंची। इसके बजाय, ठगों ने पेमेंट गेटवे के यूआरएल में बदलाव कर यह रकम अपने खातों में ट्रांसफर कर ली।
साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने मामले की गहन जांच की
साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने मामले की गहन जांच की, जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि ठगी के पीछे एक संगठित साइबर अपराधी गिरोह का हाथ है। इस जांच में ठगों द्वारा इस्तेमाल किए गए खातों का पता लगाया गया, जो कि बागपत के ठेकेदार विवेक शर्मा के माध्यम से खोले गए थे। विवेक शर्मा ने इन खातों को खोलने के लिए सुमन और उसके पति योगेंद्र की मदद ली थी, जिनका उपयोग ठगी की धनराशि को ट्रांसफर करने के लिए किया गया।
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर पूरी ठगी के नेटवर्क का खुलासा किया
इस मामले में दिल्ली एनसीआर के जसोला सेक्टर 7 निवासी सोहेल खान, बागपत के बड़ौत निवासी विवेक शर्मा, अनिल कुमार, करन राणा, योगेंद्र और शक्ति को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर पूरी ठगी के नेटवर्क का खुलासा किया और यह भी बताया कि ठग हर एक-दो घंटे के बाद केस्को के गेटवे के यूआरएल में छेड़छाड़ कर धनराशि को अपने खातों में ट्रांसफर कर रहे थे। कानपुर कमिश्नरेट की साइबर पुलिस की इस सफलता ने न केवल इस बड़े साइबर ठगी के मामले का पर्दाफाश किया है, बल्कि 91.5 लाख रुपये की धनराशि को भी वापस केस्को के खाते में जमा कराकर न्यायालय के माध्यम से सही कदम उठाए हैं। हालांकि, 76 लाख 78 हजार रुपये अभी भी ठगों के कब्जे में हैं, लेकिन पुलिस का कहना है कि वे इस रकम को भी जल्द ही बरामद कर लेंगे। इस मामले ने साइबर सुरक्षा और सावधानी की आवश्यकता को और भी बढ़ा दिया है।
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