पर्यावरण संरक्षण में प्रमुख सफलता : इटावा में गौरैया की संख्या में आई वृद्धि, वन विभाग अधिकारियों में उत्साह और खुशी की लहर

इटावा में गौरैया की संख्या में आई वृद्धि, वन विभाग अधिकारियों में उत्साह और खुशी की लहर
UPT | गौरैया

Sep 16, 2024 17:43

दस साल पहले, इटावा में गौरैया का अस्तित्व लगभग खत्म हो चुका था, लेकिन आज गौरैया की बढ़ती संख्या ने सभी को प्रसन्न कर दिया है। यहा अब केवल एक या दो घरों में ही नहीं, बल्कि लगभग 200 घरों में गौरैया ने घोंसला बना लिया है, और उनके बच्चे खुले आसमान में उड़ने लगे हैं...

Sep 16, 2024 17:43

Etawah News : कई इलाकों से गौरैया लुप्त होती जा रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में इस पक्षी की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है। इससे वन विभाग अधिकारियों में उत्साह और खुशी की लहर है। वन विभाग और पर्यावरणीय संगठनों की साझा कोशिशों से इटावा में गौरैया की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है,इसके साथ ही यह क्षेत्र गौरैया संरक्षण में एक प्रमुख उदाहरण बन गया है।

बता दें लगभग दस साल पहले, इटावा में गौरैया का अस्तित्व खत्म हो चुका था, लेकिन आज गौरैया की बढ़ती संख्या ने सभी को प्रसन्न कर दिया है। यहां अब केवल एक या दो घरों में ही नहीं, बल्कि लगभग 200 घरों में गौरैया ने घोंसला बना लिया है, और उनके बच्चे खुले आसमान में उड़ने लगे हैं।


गौरैया की संख्या में निरंतर वृद्धि
आवास विकास कॉलोनी की निवासी माधवी ने बताया कि चार-पांच साल पहले उन्हें अपने घर में गौरैया का एक घोंसला मिला था। इसके बाद से हर साल गौरैया उनके घर पर अंडे देती है और बच्चे भी जन्म लेते हैं। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। इसी प्रकार, फ्रेंड्स कॉलोनी के एडवोकेट विक्रम सिंह ने साझा किया कि पिछले दस वर्षों से उनके घर में गौरैया घोंसला बनाती हैं और हर साल 10-11 बच्चों का जन्म होता है, जो बाद में खुले आसमान में उड़ जाते हैं।

गौरैया संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदम
गौरैया की घटती संख्या को देखते हुए, 2010 से गौरैया दिवस मनाया जा रहा है। 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद, उत्तर प्रदेश में गौरैया संरक्षण के लिए वन विभाग ने कई पहल कीं, जिससे लोगों में जागरूकता बढ़ी और संरक्षण के प्रयासों में तेजी आई। इटावा में लोगों की जागरूकता और संरक्षण के प्रयासों के कारण गौरैया अब हर घर में घोंसला बना रही है। कई परिवारों ने पुष्टि की है कि पिछले पांच वर्षों से उनके घरों में गौरैया घोंसला बना रही है और प्रजनन कर रही है।

पर्यावरण संरक्षण में गौरैया की भूमिका
एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक इटावा में लोग अपने घरों में कृत्रिम घोंसले स्थापित कर रहे हैं, जहां गौरैया अंडे देकर प्रजनन कर रही है। इन छोटे पक्षियों को देखकर लोग न केवल खुश हो रहे हैं, बल्कि गौरैया संरक्षण में सक्रिय भूमिका भी निभा रहे हैं। इस तरह के प्रयासों से न केवल गौरैया की संख्या में वृद्धि हो रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिल रहा है।

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