बस एक मिनट में रुकेगा बहता खून : IIT कानपुर ने तैयार किया समुद्री घास से बना खास स्पंज, कई सालों तक हुआ शोध

IIT कानपुर ने तैयार किया समुद्री घास से बना खास स्पंज, कई सालों तक हुआ शोध
UPT | IIT कानपुर

Dec 24, 2024 17:25

कई बार ऐसा देखा जाता है कि हादसे में लोगों की मौत ज्यादा खून बहने के कारण हो जाती है। क्योंकि आमजन के पास बहते खून को रोकने के लिए कोई दवा पास में नहीं होती। वहीं अब आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने एक नया स्पंज विकसित किया है, जो बहते खून को महज एक मिनट में रोकने में सक्षम है।

Dec 24, 2024 17:25

Short Highlights
  • समुद्री घास और सेलुलोज की मदद से तैयार किया गया खास स्पंज
  • बहते खून को महज एक मिनट में रोकने में सक्षम
  • रेड सी घास आम घास की तुलना में मोटी और घनी
IIT Kanpur : कई बार ऐसा देखा जाता है कि हादसे में लोगों की मौत ज्यादा खून बहने के कारण हो जाती है। क्योंकि आमजन के पास बहते खून को रोकने के लिए कोई दवा पास में नहीं होती। वहीं अब आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने एक नया स्पंज विकसित किया है, जो बहते खून को महज एक मिनट में रोकने में सक्षम है। इस स्पंज को आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोधार्थियों ने समुद्री घास (रेड सी) और सेलुलोज की मदद से तैयार किया है। यह स्पंज खून को थक्का जमने से भी रोकता है, जिससे दुर्घटनाओं में खून बहने के कारण होने वाली मौतों के जोखिम को कम किया जा सकता है। इस नई खोज से आपातकालीन स्थितियों में खून रोकने की प्रक्रिया को बहुत सरल और प्रभावी बनाया जा सकेगा।

शोधार्थी कौशल शाक्य ने दी जानकारी
आईआईटी कानपुर के शोधार्थी कौशल शाक्य ने बताया कि उनकी लैब में पॉलीमर पैकेजिंग पर काम किया जाता था, इसी दौरान स्पंज बनाने की प्रक्रिया पर भी शोध जारी था। उन्होंने देखा कि यदि पानी को सोखा जा सकता है, तो खून क्यों नहीं? इसके बाद, उन्होंने रेड सी घास और बायोडिग्रेडेबल मैटीरियल सेलुलोज की मदद से स्पंज तैयार किया और एनीमल ट्रायल किया। ट्रायल में यह पाया गया कि स्पंज खून को पूरी तरह से एब्सॉर्ब कर लेता है। अब ह्यूमन ट्रायल बाकी है और जैसे ही यह पूरा होगा, यह स्पंज भारतीय बाजारों में उपलब्ध हो जाएगा।


कैसी होती है रेड सी घास
शोधार्थी कौशल शाक्य ने बताया कि रेड सी घास आम घास की तुलना में मोटी और घनी होती है और जब इसमें सेलुलोज मिलाया जाता है, तो ऐसा स्ट्रक्चर बनता है जिसमें खून के सेल फंस जाते हैं। इससे चोट लगने पर स्पंज को लगाने से तुरंत खून बहना बंद हो जाता है। इस स्पंज का उपयोग फर्स्ट ऐड के तौर पर भी किया जा सकता है। इसके निर्माण को लेकर डीआरडीओ में एक पेटेंट फाइल हो चुका है, जबकि आईआईटी कानपुर में इसके दो पेटेंट भी फाइल किए गए हैं।

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