मुख्य समस्या कच्चे चमड़े, विशेष रूप से भैंस की खाल की उपलब्धता में कमी है। इस कमी के कारण शहर की टेनरियों में उत्पादन प्रभावित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग एक हजार करोड़...
कानपुर का चमड़ा उद्योग संकट में : कच्चे माल की कमी से रुके निर्यात, कारोबारियों ने मांगी सरकार से मदद
Jul 28, 2024 15:24
Jul 28, 2024 15:24
- कानपुर का प्रतिष्ठित चमड़ा उद्योग इन दिनों गंभीर संकट का सामना कर रहा है
- कच्चे चमड़े के निर्यात पर 100 प्रतिशत शुल्क और इसके मूल्य नियंत्रित करने की मांग है
स्थानीय कारोबारियों की सरकार से मांग
स्थानीय कारोबारियों का आरोप है कि शहर और प्रदेश के अन्य स्लॉटर हाउस कच्चे चमड़े का निर्यात कर रहे हैं, जिससे स्थानीय उद्योग को पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए, व्यापारियों ने सरकार से कच्चे चमड़े के निर्यात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने और इसके मूल्य को नियंत्रित करने की मांग की है।
पीएम की सौ दिवसीय कार्य योजना से राहत की उम्मीद
कानपुर और उन्नाव में लगभग 400 टेनरियां हैं, जिनमें से 240 अकेले कानपुर में स्थित हैं। यह उद्योग न केवल बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करता है, बल्कि सरकार के लिए महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा का भी स्रोत है। प्रधानमंत्री की 100 दिवसीय कार्य योजना में श्रम-आधारित उद्योगों को शामिल किया गया है, जिससे इस क्षेत्र को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
कारोबारियों के अनुसार, 2014 से पहले कच्चे चमड़े के निर्यात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगता था, जो धीरे-धीरे घटाकर वर्तमान में 40 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कमी के कारण, अब उत्तर प्रदेश में उत्पादित कच्चे चमड़े का लगभग 80 प्रतिशत निर्यात किया जा रहा है। यह स्थिति स्थानीय उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन्हें कच्चा माल अधिक कीमत पर खरीदना पड़ रहा है।
कच्चे चमड़े का महत्व
चमड़े के व्यापार में कच्चे चमड़े का महत्व अत्यधिक है। इससे सेना के जवानों के लिए जूते, सैडलरी, हारनेस, बेल्ट और अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं। इन उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है। उन्नाव, झांसी, अलीगढ़ और रामपुर में स्थित स्लॉटर हाउस इस कच्चे माल के प्रमुख स्रोत हैं।
कोविड के बाद हुआ सुधार
चर्म निर्यात परिषद के आंकड़ों के अनुसार, चमड़ा निर्यात में पिछले कुछ वर्षों में उतार-चढ़ाव देखा गया है। 2019-20 में कोविड-19 महामारी के कारण निर्यात में गिरावट आई, लेकिन उसके बाद तेजी से सुधार हुआ। 2022-23 में निर्यात का मूल्य 7,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हालांकि, कच्चे माल की कमी और वैश्विक राजनीतिक स्थिति, जैसे रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष, निर्यात को प्रभावित कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री से की चर्चा
उद्योग के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ चर्चा की है। वे चाहते हैं कि सरकार कच्चे चमड़े के निर्यात पर शुल्क बढ़ाए और इसकी कीमतों को नियंत्रित करे। इसके अलावा, उन्होंने प्रति किलोग्राम के हिसाब से कीमतें तय करने की भी मांग की है, ताकि कच्चे चमड़े की उपलब्धता बढ़ सके।
चमड़ा उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है
वर्तमान में, कच्चा चमड़ा इंडोनेशिया, वियतनाम, नाइजीरिया, टोगो, मलेशिया, फिलीपींस, कंबोडिया, जर्मनी, यूके और ओमान जैसे देशों को निर्यात किया जा रहा है। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार समय पर हस्तक्षेप नहीं करती है, तो आने वाले समय में चमड़ा उद्योग को और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था बल्कि देश के निर्यात को भी प्रभावित कर सकता है।
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