उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद को लेकर रविवार को शुरू हुआ विवाद उग्र हिंसा में बदल गया। मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की भीड़ ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर पथराव किया और...
संभल हिंसा : क्या मंदिर तोड़कर बनाई गई थी मस्जिद, जानिए क्या कहते हैं साक्ष्य
Nov 25, 2024 14:07
Nov 25, 2024 14:07
हिंसा की शुरुआत और घटनाक्रम
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद तब गहराया जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि यह एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। इस दावे पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। सर्वे टीम ने 19 नवंबर को रात में अपना पहला सर्वे पूरा किया था। इसके बाद 24 नवंबर को दूसरी बार सर्वे किया जाना था। रविवार को जब सर्वे टीम मस्जिद पहुंची तो बड़ी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे। स्थिति तब बिगड़ी जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सर्वे टीम पर पथराव कर दिया। उग्र भीड़ ने सड़क किनारे खड़ी मोटरसाइकिलों और अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया। हिंसा में एक कांस्टेबल को सिर में गंभीर चोट लगी जबकि डिप्टी कलेक्टर के पैर में फ्रैक्चर हुआ। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।
NSA के तहत की जाएगी कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने दो महिलाओं सहित 15 लोगों को हिरासत में लिया है। हिंसा में शामिल उपद्रवियों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी है। इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध और स्कूलों को बंद रखने का आदेश सोमवार तक लागू रहेगा।
सर्वे को लेकर शुरू हुआ विवाद
संभल जिले की शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताने वाली याचिका पर कोर्ट ने मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। सर्वे में मस्जिद के ऐतिहासिक और स्थापत्य संरचना की जांच की जा रही है। मस्जिद कमेटी ने सर्वे के लिए सहमति दे दी थी और सर्वे दोनों पक्षों की उपस्थिति में किया जाना था। इसके बावजूद मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। भीड़ के उग्र होने के बावजूद सर्वे टीम ने अपना काम पूरा कर लिया है। रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश की जाएगी। जिसमें दोनों पक्षों को अपनी राय रखने का मौका मिलेगा।
ASI रिपोर्ट में दावा
यह विवाद धार्मिक और ऐतिहासिक दावों से जुड़ा हुआ है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद का निर्माण एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर किया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 1875 की एक रिपोर्ट में भी मस्जिद की संरचना में हिंदू मंदिर के अवशेष होने का दावा किया गया है। ASI की रिपोर्ट में कहा गया कि मस्जिद के खंभों पर हिंदू मंदिरों की वास्तुकला के चिह्न पाए गए थे। जिन्हें प्लास्टर से ढक दिया गया था। मस्जिद में एक शिलालेख भी है। जिसमें उल्लेख है कि इसका निर्माण बाबर के दरबारी मीर हिंदू बेग ने किया था।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
मस्जिद के खंभे : रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जामा मस्जिद के अंदर और बाहर इस्तेमाल किए गए खंभे प्राचीन हिंदू मंदिर के हैं। ये खंभे विशुद्ध हिंदू वास्तुकला के प्रतीक हैं, जिन पर जटिल नक्काशी मौजूद है। इन्हें प्लास्टर लगाकर ढकने का प्रयास किया गया था। जब एक खंभे से प्लास्टर हटाया गया, तो प्राचीन लाल रंग के खंभे दिखाई दिए, जो हिंदू स्थापत्य के डिजाइन से मेल खाते हैं।
पुरातात्विक अवशेष : मस्जिद की दीवारों और गुंबदों में हिंदू मंदिर के कई चिह्न और संरचनात्मक अवशेष मिले। इन चिह्नों को बाद में मुस्लिम शैली में परिवर्तित करने की कोशिश की गई थी।
गुंबद का जीर्णोद्धार : रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि मस्जिद का गुंबद हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के दौरान जीर्णोद्धार के प्रमाण दिखाता है।
मस्जिद का शिलालेख : मस्जिद में लगे शिलालेख के अनुसार, इसका निर्माण 933 हिजरी (1526-27 ईस्वी) में मीर हिंदू बेग द्वारा पूरा किया गया था। मीर हिंदू बेग मुगल सम्राट बाबर के दरबार का एक प्रमुख अधिकारी था। शिलालेख में उल्लेख है कि यह मस्जिद एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।
बाबरनामा : बाबरनामा जिसे बाबर ने खुद लिखा था और ब्रिटिश अनुवादक एनेट बेवरिज ने अनुवादित किया, में भी इस घटना का उल्लेख मिलता है। बाबरनामा के पृष्ठ 687 पर लिखा गया है कि बाबर के आदेश पर मीर हिंदू बेग ने संभल के प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद में परिवर्तित किया।
क्या कहता है हिंदू और मुस्लिम पक्ष?
हिंदू पक्ष का दावा : याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन का कहना है कि जामा मस्जिद कभी भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन हरिहर मंदिर थी। उनका दावा है कि मंदिर को 16वीं शताब्दी में मुगल आक्रमण के दौरान तोड़कर मस्जिद में बदला गया।
मुस्लिम पक्ष का तर्क : मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद हमेशा से इस्लामिक स्थल रही है और इस तरह के दावे साम्प्रदायिक तनाव फैलाने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि यह मस्जिद धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है और इसे विवादित बनाना अनुचित है।
कोर्ट और सर्वे का आदेश
संभल की जामा मस्जिद पर कोर्ट में चल रहे इस विवाद पर हाल ही में आदेश दिया गया कि मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाए। 19 नवंबर को पहली बार सर्वे हुआ, जिसमें मस्जिद के अंदरूनी हिस्से की जांच की गई। 24 नवंबर को दूसरी बार सर्वे हुआ। जिसके दौरान हिंसक झड़पें हुईं। इसके बावजूद सर्वे टीम ने अपना काम पूरा कर लिया है और रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश की जाएगी।
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