कानपुर में इंस्टाग्राम पर रील देखकर भाई के टूटे हुए दांत से बहन ने पहचान लिया। 18 साल पहले युवक परिवार से बिछड़ गया था। समय के साथ ही युवक परिजनों को भूल भी चुका था। बहन ने जब भाई को माता-पिता और भाईयों के बारे में बताया, तो उसकी धुंधली यादें ताजा हुईं।
Kanpur News: इंस्टाग्राम पर भाई की रील देखकर पहचान गई बहन, 18 साल पहले परिवार से बिछड़ा था, परिजनों से मिलकर फूटा दर्द
Jun 28, 2024 18:18
Jun 28, 2024 18:18
फतेहपुर के दुरजा के पुरवा इनायतपुर निवासी संवली खेती किसानी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं। परिवार में पत्नी रामकली, तीन बेटे बाल गोविंद, धीरज लाल और मनीष कुमार हैं। इसके साथ तीन बेटियां हैं रेखा, राजकुमारी और सुलेखा है। रेखा और राजकुमारी की शादी कानपुर के हाथीपुर गांव में हुई है। जबकि सुलेखा अविवाहित है।
गलत ट्रेन पकड़कर राजस्थान पहुंच गया
परिजनों ने बताया कि बालगोविंद जब 15 साल का था, तो गांव के कुछ लोगों के साथ मुंबई रोजगार की तलाश में गया था। सभी के साथ बालगोविंद भी मजदूरी करने लगा था। लेकिन दो महीने बाद गांव के सभी लोग वापस लौट आए, और बालगोविंद वहीं छूट गया। बालगोविंद भी गांव के लिए निकल पड़ा। मुंबई स्टेशन पर गलत ट्रेन पर चढ़ गया, और राजस्थान पहुंच गया। अनजान शहर पहुंच कर बालगोविंद मानसिक-आर्थिक रूप से परेशान हो गया। पेट भरने के लिए मजदूरी करने लगा।
तिरपाल डालकर फुटपाथ पर जीवन व्यतीत किया
बालगोविंद फुटपाथ पर तिरपाल डालकर रहने लगा। इसके बाद समय के साथ धीरे-धीरे वहां के परिवेश ढलने लगा, और परिवार को भूलने लगा। बालगोविंद ने साथ में काम करने वाली इश्वरी बाई से शादी कर ली, और उसके दो बच्चे हो गए। बालगोविंद अपने परिवार को पूरी तरह से भूल चुका था। लेकिन उसे रील बनाने का शौक था। बालगोविंद की बहन राजकुमारी ने इंस्टा पर उसके वीडियो देखे, तो टूटे हुए दांत से पहचान लिया। उसने पिता के चेहरे से मिलान किया, तो हूबहु चेहरा मिल रहा था।
पूरे परिवार ने किया स्वागत
राजकुमारी ने भाई बालगोविंद से फोन पर बात की, तो उसे कुछ याद नहीं आया। उसने माता-पिता भाईयों के बारे में बताया। तब जाकर कुछ धुंधली यादें ताजा हुईं। उसने बहन को पूरी दास्तां बताई। जब गुरूवार को बालगोविंद परिवार के साथ सेंट्रल स्टेशन पर उतरा, तो पूरा परिवार उसके स्वागत में खड़ा था। बिछड़े बेटे को सामने देखकर सभी एक दूसरे से लिपटकर रोने लगे।
पिता बेटे को मुंबई खोजने गए थे
पिता सांवली प्रसाद बेटे बालगोविंद को ढूंढने के लिए मुंबई गए थे। लेकिन उसका कहीं कुछ भी पता नहीं चला। बेटे की घर वापसी के लिए परिवार ने मंदिर बनवाने और उसमें प्रतिदिन घी का दीपक जलाने की मिन्नतें मांगी थी। बिछड़े बेटे को पाकर परिवार में खुशी-जश्न का माहौल है।
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