अल्जाइमर रोग के लिए 70 प्रतिशत डिमेंशिया जिम्मेदार : विशेषज्ञ बोले- बीमारी से बचने के लिए खेल को दिनचर्या में करें शामिल

विशेषज्ञ बोले- बीमारी से बचने के लिए खेल को दिनचर्या में करें शामिल
UPT | अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल चिकित्सा विशेषज्ञ।

Sep 24, 2024 20:11

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मंगलवार को विश्व अल्जाइमर दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयो​जित की गई। इस अवसर पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने बीमारी के प्रति सचेत किया।

Sep 24, 2024 20:11

Lucknow News : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मंगलवार को विश्व अल्जाइमर दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयो​जित की गई। साल 2024 में विश्व अल्जाइमर दिवस की थीम 'डिमेंशिया-अल्जाइमर पर कार्रवाई करने का समय' है। इस अवसर पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने बीमारी के प्रति सचेत किया। साथ ही इससे बचने के उपाय साझा किए। इसके अतिरिक्त मानव विकास और परिवार अध्ययन विभाग की ओर से दो दिवसीय एसेसमेंट और गेमिंग जोन का भी उद्घाटन किया गया। 

शारीरिक गतिविधियों पर जोर
संगोष्ठी में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एजीपीजीआई) के प्रसिद्ध न्यूरो सर्जन डॉ. अनंत महरोत्रा ने डिस्लेक्सिया (लर्निंग डिसऑर्डर) और डिस्कैलकुलिया (संख्याएं समझने में कठिनाई) बीमारी के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि अल्जाइमर हमारे मस्तिष्क के कॉग्निटिव हायर मेंटली फंक्शन को प्रभावित करता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने डिमेंशिया के विभिन्न पहलुओं एवं सेंसरी स्टिमुलेशन पर भी चर्चा की और सभी को शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। 



डिमेंशिया के होते हैं तीन स्तर
केजीएमयू की जीरियाट्रिक डॉ. आकांक्षा सोनल ने कहा कि डिमेंशिया एक प्रकार का सिंड्रोम है और अल्जाइमर बीमारी 70 प्रतिशत तक डिमेंशिया का कारण बनती है। उन्होंने डिमेंशिया के संज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक एवं प्रभावित गतिविधि इन तीन स्तरों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि इमोशनल सपोर्ट, ट्रेनिंग एवं राहत सेवाएं इस प्रकार की मानसिक बीमारियों में सहायता देती हैं।

युवाओं को दिनचर्या सुधारने की जरूरत 
श्रीराम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय, अयोध्या के प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय में युवाओं को अपनी दिनचर्या सुधारने की जरूरत है। उन्होंने वायु प्रदूषण को भी डिमेंशिया का कारण बताया और कहा कि नीति निर्माता को एयर क्वालिटी इंडेक्स पर भी ध्यान देना होगा। आम आदमी में इसके प्रति जागरूकता को बढ़ाने की जरूरत है। खेलों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके इस प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है।

बीमारी से बचाव के लिए जागरुकता जरूरी
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने कहा कि आज के समय में अल्जाइमर को सामान्य रूप से देखा जा सकता है। लेकिन अगर इसका समय पर निदान और प्रबंधन नहीं किया गया, तो यह सीखने, सोचने, तर्क करने, याद रखने, समस्या-समाधान, निर्णय लेने की क्षमता पर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जागरूकता से इस बीमारी से इससे काफी हद तक बचा जा सकता है।

सोचने-समझने की क्षमता हो जाती है खत्म
अल्जाइमर रोग एक दिमागी विकार है जो लगातार बढ़ता है। स्मृति, विचार प्रक्रियाओं और व्यवहार पैटर्न जैसे सोचने, समझने और दिमागी कार्यों को प्रभावित करता है। इसके कारण दिमाग के भीतर तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरॉन्स को नुकसान होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, अल्जाइमर रोग डिमेंशिया या मनोभ्रंश का सबसे आम रूप है और 60 से 70 फीसदी मामलों में यह इस रोग के लिए जिम्मेदार होता है।

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