लोकसभा में उत्तर प्रदेश का जलवा कायम : 25 साल बाद फिर एक ही राज्य से होंगे पीएम और नेता प्रतिपक्ष

25 साल बाद फिर एक ही राज्य से होंगे पीएम और नेता प्रतिपक्ष
UPT | मोदी और राहुल

Jun 08, 2024 16:45

इसके बाद,साल 1999 के लोकसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सांसद चुने गए अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला...

Jun 08, 2024 16:45

Lucknow News :  लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न हो चुका है। एनडीए सरकार बनाने की तरफ आगे बढ़ रही है। कांग्रेस में लोकसभा विपक्ष का नेता चुनने की प्रक्रिया जारी है। एक तरफ जहां सर्वसम्मति  से यूपी स्थित वाराणसी से सांसद नरेंद्र मोदी को अपना नेता और पीएम पद के लिए चुना है तो वहीं कांग्रेस में प्रस्ताव पास कर राहुल गांधी से आग्रह किया जा रहा है वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद को  संभाले।

अगर ऐसा होता है तो राहुल गांधी, अपने पिता और भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस की पूर्व सोनिया गांधी के नक्शे कदम पर चलते दिखेंगे। साल 1952 के बाद से आज तक दो बार ऐसा हुआ जब देश में प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष एक ही राज्य से चुने गए हो। बता दें कि साल 1969 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को आधिकारिक दर्जा नहीं दिया जाता था।

पहली बार जब एक ही राज्य से बने पीएम और नेता प्रतिपक्ष
साल 1989 एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना जब पहली बार देश के प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष एक ही राज्य, उत्तर प्रदेश, से थे। 1989 के चुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देश के सातवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वीपी सिंह की अगुवाई वाली जनता दल सरकार को भारतीय जनता पार्टी और सीपीआईएम ने बाहर से समर्थन दिया था। हालांकि, उस समय कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने 197 सीटें जीतीं, लेकिन कांग्रेस के तत्कालीन नेता राजीव गांधी ने विपक्ष में बैठने का निर्णय लिया। वे खुद सदन में नेता विपक्ष बने और 18 दिसंबर 1989 से 23 दिसंबर 1990 तक इस पद पर रहे। इस दौरान, वीपी सिंह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से सांसद थे और राजीव गांधी अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इस प्रकार, दोनों प्रमुख राजनीतिक पदों पर उत्तर प्रदेश के नेताओं का वर्चस्व था।

दूसरी बार फिर एक ही राज्य से बनें पीएम और नेता प्रतिपक्ष
इसके बाद,साल 1999 के लोकसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सांसद चुने गए अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला। वहीं, अमेठी से चुनाव जीतकर संसद पहुंची सोनिया गांधी ने नेता विपक्ष का पदभार ग्रहण किया। सोनिया गांधी ने 31 अक्टूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 तक नेता विपक्ष का कार्यभार संभाला। इस दौरान, उन्होंने पूरे पांच साल तक लोकसभा में कांग्रेस का नेतृत्व किया।

और अब तीसरी बार...!
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) ने राहुल गांधी से आग्रह किया है कि वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालें। कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीती हैं, और संसदीय दल के नेता को ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा। इस संदर्भ में CWC ने एक प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी से इस भूमिका को स्वीकार करने का अनुरोध किया है।

राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों से सांसद चुने गए हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक यह निर्णय नहीं लिया है कि वे किस क्षेत्र से सांसद बने रहेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, और अपनी मां सोनिया गांधी की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए, राहुल रायबरेली से सांसद बने रह सकते हैं। यदि वे रायबरेली से सांसद रहते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद ग्रहण करते हैं, तो यह तीसरी बार होगा जब देश के प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष का निर्वाचन क्षेत्र एक ही राज्य से होगा। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने CWC के प्रस्ताव पर विचार करने की बात कही है।

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