पूर्वांचल क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग से पहले समाजवादी पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रमुख और पूर्व मंत्री नारद राय ने सोमवार को समाजवादी पार्टी छोड़ने...
पूर्वांचल से बड़ी खबर : अखिलेश के करीबी नारद राय की बगावत, अमित शाह से मिलकर भाजपा के खेमे में शामिल
May 28, 2024 11:16
May 28, 2024 11:16
"मोदी का परिवार" में शामिल हुए नारद राय
गृह मंत्री अमित शाह और नारद राय के बीच की इस मुलाकात में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। इस मुलाकात के बाद नारद राय भाजपा के खेमे में पहुंच गए हैं। उन्होंने एक्स पर नाम के साथ मोदी का परिवार जोड़ लिया है और अमित शाह से मुलाकात की फोटो ट्वीट कर संकेत दिए हैं कि चुनाव में भाजपा का समर्थन करेंगे।
दुनिया में भारत का डंका बजाने वाले मा• प्रधानमंत्री श्री .@narendramodi जी और भारत के यशस्वी गृह मंत्री, राजनीति के चाणक्य मा• @AmitShah जी के संकल्प की समाज के अंतिम पंक्ति में बसे ग़रीब को मज़बूत करने वाली सोच और राष्ट्रवादी विचारधारा को मज़बूत करूँगा।
— Narad Rai (Modi Ka Parivar) (@NARADRAIBALLIA) May 27, 2024
जय जय श्री राम। 🙏🏻 pic.twitter.com/ACrwKXfUKg
मुलायम के करीबी नारद को अखिलेश ने भी दिया सम्मान
नारद राय एक वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता हैं, जिन्होंने बलिया नगर विधानसभा सीट से दो बार विधायक के रूप में कार्य किया है। वे भूमिहार समुदाय से आते हैं और पूर्वांचल क्षेत्र में इस समुदाय में उनकी अच्छी पैठ है। विशेष रूप से बलिया में वे पहले समाजवादी पार्टी के जुझारू नेताओं में गिने जाते थे। नारद राय को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी के रूप में भी जाना जाता था। इसी वजह से उन्हें अखिलेश यादव की कैबिनेट में मंत्री पद मिला था। नारद राय पहली बार 2002 में विधायक बने थे और फिर 2012 में एक बार फिर विधायक चुने गए। 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें मंत्री पद भी प्राप्त हुआ था।
नारद पर बीजेपी का बड़ा दांव
पूर्वांचल की राजनीति में नारद राय किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। पूर्वांचल के बलिया, गाजीपुर, मऊ और वाराणसी में भूमिहारों की संख्या बहुत ज्यादा है। ये किसी भी चुनाव को प्रभावित करने में सक्षम माने जाते हैं। नारद राय खुद भूमिहार बिरादरी से आते हैं। उनका सियासी कद भी छोटा नहीं है। उन्हें अधिक शोहरत तब मिली, जब वह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आए। कहा जाता है कि मुलायम के सानिध्य में आने के बाद वह पूर्वांचल के बड़े नेताओं में शुमार हो गए। उन्होंने विधायक से मंत्री तक का सफर तय किया है। नारद राय के बीजेपी में जाने को सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अभी गाजीपुर, वाराणसी और आसपास की सीटों पर एक जून को आखिरी चरण का मतदान होना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी का यह दांव कितना कारगर साबित होता है।
सपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहें नारद राय
नारद राय ने हाल ही में समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। वे उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दिग्गज हस्ती हैं और लंबे समय से समाजवादी पार्टी में सक्रिय थे। हालांकि, अब उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी का एक नया मोड़ ले लिया है। नारद राय कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं और समाजवादी पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। लम्बे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे नारद राय की गिनती पूर्वांचल के बड़े भूमिहार नेताओं में होती है। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण से ऐन पहले उनकी बगावत समाजवादी पार्टी के लिए नुकसान का सबब बन सकती है।
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