पति के खिलाफ क्रूरता साबित होने पर तलाक मंजूर होना चाहिए, ऐसा हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने 37 साल पहले हुए विवाह को भंग कर दिया...
Lucknow News : हाईकोर्ट ने 37 साल पहले हुए विवाह को किया भंग
Jun 11, 2024 19:57
Jun 11, 2024 19:57
- पति ने पत्नि पर लगाया कई आरोप
- हाईकोर्ट ने पलटा निर्णय
पारिवारिक अदालत के निर्णय को हाईकोर्ट ने पलटा
कोर्ट ने पारिवारिक अदालत लखनऊ के उस निर्णय को पलट दिया जिसमें पति के खिलाफ साफ तौर पर क्रूरता के सबूत होने के बावजूद पति का पत्नी से तलाक लेने के दावे को खारिज कर पत्नी के दांपत्य संबंधों के निर्वहन का दावा मंजूर किया गया था। कोर्ट ने इस अहम नजीर के साथ पति पत्नी के बीच 37 साल पहले हुए विवाह को भंग कर दिया।
पति ने पत्नि पर लगाए कई आरोप
पति का कहना था कि वर्ष 1986 में उसकी शादी हुई थी। पति का आरोप था कि बच्चे होने के बाद उसकी पत्नी उसके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने लगी। कभी उसे बाथरूम में बंद करती कभी बच्चों के सामने उससे गाली-गलौज करती। इन सबसे परेशान होकर पति ने वर्ष 2012 में पारिवारिक अदालत में तलाक का दावा दाखिल किया। पति का कहना था इसके बाद पत्नी ने घरेलू हिंसा के आरोपों समेत गुजारा भत्ता मांगने के मुकदमे उसके खिलाफ दाखिल किए। इनमें पत्नी ने दांपत्य संबंधों के निर्वहन का दावा भी दाखिल किया।
अदालत ने पलटा फैसला
कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक अदालत के फैसले में पत्नी द्वारा पति के खिलाफ क्रूरता का मत साफ था। इस मत का तर्कसंगत परिणाम तलाक का दावा मंजूर किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि अगर क्रूरता साबित थी तो ऐसे में क्रूरता की दोषी पत्नी दांपत्य अधिकारों के निर्वहन की पात्र नहीं थी। ऐसे में पारिवारिक अदालत को कानूनी प्रावधानों के तहत तलाक का दावा मंजूर करना चाहिए था और दांपत्य अधिकारों के निर्वहन के दावे को खारिज किया जाना चाहिए था। ऐसा न करके पारिवारिक अदालत ने तथ्यों और कानून के तहत त्रुटि की। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने दंपती के विवाह को भंग कर अपीलें मंजूर कर लीं।
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