महाकुंभ 2025 : श्रद्धालुओं को मिलेगा अद्वितीय अनुभव, योगी सरकार अक्षयवट कॉरिडोर के सौंदर्यीकरण को दे रही तेजी

श्रद्धालुओं को मिलेगा अद्वितीय अनुभव, योगी सरकार अक्षयवट कॉरिडोर के सौंदर्यीकरण को दे रही तेजी
UPT | अक्षयवट

Oct 18, 2024 12:28

प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ-2025 की तैयारियों को लेकर योगी सरकार क्षेत्र का कायाकल्प करने में जुटी है। अक्षयवट जो एक पौराणिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है के सौंदर्यीकरण पर जोर दिया जा रहा है।

Oct 18, 2024 12:28

Prayagraj News : प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ-2025 की तैयारियों को लेकर योगी सरकार पूरे तीर्थ क्षेत्र का कायाकल्प करने में जुटी है। श्रद्धालुओं को कुंभनगरी की भव्यता और नव्यता का अनुभव कराने के लिए प्रदेश सरकार ने व्यापक बजट का प्रावधान किया है। इस दौरान विशेष रूप से अक्षयवट जो एक पौराणिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है के सौंदर्यीकरण पर जोर दिया जा रहा है। माना जाता है कि संगम में स्नान के बाद अक्षयवट के दर्शन किए बिना स्नान का पूरा फल नहीं मिलता। इसलिए हर साल लाखों श्रद्धालु संगम स्नान के बाद इस वृक्ष के दर्शन करते हैं।

अक्षयवट का धार्मिक महत्व
अक्षयवट एक प्राचीन और पौराणिक वटवृक्ष है। जिसका जिक्र अनेक धार्मिक ग्रंथों और यात्रा वृत्तांतों में मिलता है। कहा जाता है कि भगवान राम जब वनवास के दौरान भरद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचे थे तब मुनि ने उन्हें इस वटवृक्ष का महत्व बताया था। मान्यता है कि माता सीता ने इस वटवृक्ष को आशीर्वाद दिया था। जिसके बाद यह अक्षय यानी अमर हो गया। पुराणों के अनुसार, प्रलय के समय जब पूरी पृथ्वी जलमग्न हो गई थी तब भी यह वृक्ष सुरक्षित रहा। इसलिए इसे अक्षयवट कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि अक्षयवट के दर्शन मात्र से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में चार प्रमुख वटवृक्षों का विशेष स्थान है। जिनमें अक्षयवट (प्रयागराज), गृद्धवट (सोरों), सिद्धवट (उज्जैन), और वंशीवट (वृंदावन) शामिल हैं। इन सभी वटवृक्षों का धार्मिक महत्व है, लेकिन अक्षयवट का स्थान सबसे प्रमुख है।



मुगलकाल में अक्षयवट के दर्शन पर प्रतिबंध
अक्षयवट यमुना नदी के किनारे अकबर के किले में स्थित है। मुगलकाल के दौरान इस वृक्ष के दर्शन पर कड़ा प्रतिबंध था। जिससे श्रद्धालुओं के लिए इस स्थान तक पहुंचना मुश्किल था। इसके बाद ब्रिटिश काल और स्वतंत्र भारत में भी यह किला सेना के अधीन रहा। जिससे अक्षयवट के दर्शन दुर्लभ हो गए थे।

योगी सरकार ने खोला जनता के लिए रास्ता
2018 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अक्षयवट के दर्शन और पूजन को आम जनता के लिए खोल दिया। इससे पहले श्रद्धालुओं को इस वृक्ष के दर्शन का अवसर नहीं मिलता था लेकिन सरकार की इस पहल के बाद अब लाखों श्रद्धालु यहां आकर अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं।

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अक्षयवट कॉरिडोर और सौंदर्यीकरण परियोजना
महाकुंभ-2025 के दौरान अक्षयवट को एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में और अधिक सुसज्जित करने के लिए योगी सरकार ने अक्षयवट कॉरिडोर के सौंदर्यीकरण और विकास कार्यों का शुभारंभ किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस परियोजना का निरीक्षण किया और कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अक्षयवट के आसपास के क्षेत्र को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है ताकि महाकुंभ के दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिल सके।

अक्षयवट की अमरता का पौराणिक प्रसंग
अक्षयवट की अमरता के संबंध में कई कहानियां प्रचलित हैं। अयोध्या से प्रयागराज आए प्रसिद्ध संत और श्री राम जानकी महल के प्रमुख स्वामी दिलीप दास त्यागी ने बताया कि मुगलकाल में कई बार इस वटवृक्ष को नष्ट करने के प्रयास किए गए। इसे दर्जनों बार काटा और जलाया गया लेकिन हर बार यह वृक्ष कुछ महीनों के बाद फिर से अपने मूल स्वरूप में आ जाता था। यह वृक्ष अपनी अमरता और धार्मिक महत्व के कारण आज भी श्रद्धालुओं के बीच विशेष स्थान रखता है।

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महाकुंभ के दौरान अक्षयवट का महत्व
महाकुंभ-2025 में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अक्षयवट प्रमुख धार्मिक स्थल होगा। मान्यता है कि संगम में स्नान के बाद अक्षयवट के दर्शन से ही स्नान का पूर्ण फल मिलता है। यही कारण है कि हर महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। योगी सरकार के सौंदर्यीकरण और विकास कार्यों के चलते महाकुंभ के दौरान यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक भव्य और दिव्य अनुभव प्राप्त होगा।

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