खुर्जा और बुलंदशहर दो अलग-अलग विकास प्राधिकरण के रूप में गठित हैं, जबकि दोनों में आर्थिक, वाणिज्यिक, औद्योगिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समानता है।
UP News : खुर्जा और बुलंदशहर को मिलाकर बनेगा नया विकास प्राधिकरण, बड़े प्रोजेक्ट पूरा करने को सीएम योगी का फैसला
![खुर्जा और बुलंदशहर को मिलाकर बनेगा नया विकास प्राधिकरण, बड़े प्रोजेक्ट पूरा करने को सीएम योगी का फैसला](https://image.uttarpradeshtimes.com/cm-yogi-adityanath-meeting-46954.jpg)
Jun 14, 2024 02:32
Jun 14, 2024 02:32
- सीमा विस्तार में शामिल नए गांव आबादी के रूप में किए जाएंगे दर्ज
- सिरेमिक उद्योग से जुड़े उद्यमियों को मिलेंगी नई सुविधाएं
दोनों प्राधिकरण में कई समानता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुर्जा, बुलंदशहर और मुरादाबाद विकास प्राधिकरणों की जीआईएस आधारित महायोजना-2031 के प्रस्तुतिकरण के बाद इसके निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि खुर्जा और बुलंदशहर दो अलग-अलग विकास प्राधिकरण के रूप में गठित हैं, जबकि दोनों ही विकास प्राधिकारणों में आर्थिक, वाणिज्यिक, औद्योगिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समरूपता है।
एक जनपद में आते हैं दोनों प्राधिकरण
खुर्जा और बुलंदशहर विकास प्राधिकरण की बात करें तो ये पूरा क्षेत्र एक ही जनपद के अन्तर्गत आता है। विकास के लिए दीर्घकालिक योजनाओं को बनाने और उनके सुगम क्रियान्वयन के लिए यह जरूरी है कि दोनों प्राधिकरणों को मिलाकर एक बड़े विकास प्राधिकरण का गठन किया जाए। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस सम्बन्ध में जरूरी कदम तेजी से उठाने को कहा है।
दुनिया में प्रसिद्ध है खुर्जा का सिरेमिक उद्योग
खुर्जा का सिरेमिक उद्योग देश-विदेश में विशेष पहचान रखता है। वर्ष 2021 में 23 मिलियन यूएस डॉलर मूल्य के सिरेमिक उत्पाद निर्यात किए गए। इस सेक्टर में अभी बहुत सम्भावना है। जरूरत है कि इससे जुड़े उद्यमियों, शिल्पियों की अपेक्षाओं के अनुसार सुविधाओं का विस्तार किया जाए तथा उन्हें मार्केट उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए सिरेमिक हाट का निर्माण कराया जाए।
खुर्जा के करीब है जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट खुर्जा के समीप ही है। ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर का लाभ भी खुर्जा को मिल रहा है। यह विशेष स्थिति खुर्जा को भविष्य में निर्यात का हब बनने में बड़ी भूमिका निभाएगा। पॉटरी उद्योग के उद्यमियों के लिए एक नए इंडस्ट्रियल एरिया का विकास भी किया जाना चाहिए।
सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर ठोस कार्ययोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल की नीति के साथ सभी नगरों में सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए ठोस कार्ययोजना होनी चाहिए। इसे महायोजना में स्थान दिया जाए। एसटीपी-सीईटीपी का निर्माण कराया जाए। लैंडफिल साइट पहले से चिन्ह्ति हों। नई तकनीक अपनायी जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि हर नगर की महायोजना में हरित क्षेत्र के लिए स्थान आरक्षित हो। जहां कहीं भी ग्रीन बेल्ट है, वहां किसी भी हालत में नई कॉलोनी न बसने दी जाए। सीमा विस्तार में शामिल नए गांवों को महायोजना में आबादी के रूप में ही दर्ज किया जाए। किसी भी स्थिति में इसे ग्रीन बेल्ट न कहा जाए। इस सम्बन्ध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद कर आवश्यक कार्यवाही आगे बढ़ाई जानी चाहिए।
नदियों को कराया जाए अतिक्रमण मुक्त
मुरादाबाद में रामगंगा नदी के किनारे अतिक्रमण की स्थिति है। ऐसी ही स्थिति काशी, सहारनपुर आदि जनपदों में भी देखी जा सकती है। अभी लखनऊ में कुकरैल नदी के पुनर्जीवन का काम हो रहा है। अवैध बसावट को हटा कर उन्हें अन्यत्र पुनर्वासित कराया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार, अन्य जिलों में भी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यवाही की जानी चाहिए। नदी बेसिन में कोई बसावट न हो। पुराने तालाबों, पोखरों व अन्य जलाशयों को संरक्षित किया जाए। अतिक्रमण हो तो तत्काल हटाया जाए।
सभी शहरों में इनर रिंग रोड होंगी विकसित
सभी नगरों में इनर रिंग रोड का विकास किया जाना चाहिए। इनर रिंग रोड्स के बगल में विभिन्न लिंक रोड पर सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए। नगर के अंदर के कंजेशन को दूर करने के लिए यह जरूरी है कि रिंग रोड के किनारे पर अलग-अलग व्यावसायिक गतिविधियों का विकास करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। महायोजना में स्पोर्ट्स सिटी, मेडिसिटी, नॉलेज सिटी, नेचर पार्क, आयुष पार्क आदि का विकास किया जाना चाहिए।
महायोजना में दर्ज होगा धार्मिक स्थान
मुख्यमंत्री ने कहा कि महायोजना में शामिल नई कॉलोनी के विकास पर ध्यान दिया जाए। वहां सड़क, सीवर, बिजली, पानी जैसी सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता हो। महायोजना को अन्तिम रूप देते समय यह ध्यान रखा जाए कि यदि कोई धार्मिक स्थान है, तो उसे उसी रूप में दर्ज करें।
ट्रैफिक मैनेजमेंट पर बेहतर तरीके से हो काम
शहरों में यातायात प्रबन्धन एक महत्वपूर्ण विषय है। हमें इसके लिए ठोस प्रयास करने की जरूरत है। सड़कों के चौड़ीकरण करते समय ड्रेनेज और यूटिलिटी डक्ट की व्यवस्था बेहतर ढंग से की जाए। जनसमस्याओं के निस्तारण में तेजी लाएं। नक्शा पास कराने जैसे कार्यों में बेवजह देरी नहीं हो। प्राधिकरणों में अच्छे टाउन प्लानर की तैनाती की जाए। प्राधिकरण अपना दायरा बढ़ाने के साथ आय के नए स्रोत सृजित करें।
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