राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा है। 2023-24 में कृषि का योगदान 5.98 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024 में बढ़कर करीब 7.24 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
यूपी को वन ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने में कृषि सेक्टर की अहम भूमिका : जीडीपी में पिछले वर्ष रहा 5.98 लाख करोड़ योगदान
Oct 01, 2024 13:16
Oct 01, 2024 13:16
किसानों को उन्नत तकनीक मुहैया करवा रही सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के लिए बीज से लेकर बाजार तक हर स्तर पर मदद कर रही है। राज्य में किसानों को उनके उत्पादों का उचित दाम मिले, इसके लिए सरकार ने व्यापक योजनाएं तैयार की हैं। सरकार न केवल किसानों को उन्नत बीज और तकनीक मुहैया करवा रही है, बल्कि उनकी उपज को बाजार तक पहुंचाने के लिए भी जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास कर रही है। एक्सप्रेसवे, राष्ट्रीय राजमार्ग और जलमार्ग जैसे आधारभूत सुविधाएं किसानों की पैदावार को देश के विभिन्न हिस्सों में आसानी से पहुंचाने में मददगार साबित हो रही हैं। सरकार का फोकस कृषि क्षेत्र की समस्याओं को समझने और उन्हें सुलझाने पर है। इसके लिए अलग-अलग जिलों में पैदावार की न्यूनतम और अधिकतम दरों का विश्लेषण किया जा रहा है। जिन जिलों में फसल उत्पादन राष्ट्रीय औसत से कम है, वहां पर सरकार ने विशेष योजनाएं शुरू की हैं, ताकि उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक लाया जा सके। वहीं, जहां उत्पादन पहले से ही बेहतर है, वहां इसे और बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
बुंदेलखंड और पूर्वांचल पर फोकस
बुंदेलखंड और पूर्वांचल जैसे अपेक्षाकृत कम उत्पादन वाले क्षेत्रों पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। इन क्षेत्रों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से उत्तर प्रदेश कृषि विकास एवं ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण (UP AGRISE) योजना शुरू की है। यह योजना 6 वर्षों तक चलेगी और इसकी लागत चार हजार करोड़ रुपये है। इस योजना के तहत संबंधित जिलों की उत्पादकता में लगभग 30 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की उम्मीद है। सरकार की ओर से लागू की गई बीज पार्क योजना और हॉर्टिकल्चर के लिए वन ब्लॉक, वन क्रॉप जैसी नीतियां भी राज्य के कृषि क्षेत्र में बदलाव ला रही हैं। इसके साथ ही, राज्य सरकार दुग्ध समितियों के पुनर्गठन और मत्स्य पालन विभाग में सुधार कर किसानों की आय में वृद्धि के लिए लगातार काम कर रही है।
तकनीकी शिक्षा का विस्तार
कृषि के विकास के लिए सरकार तकनीकी सुधार पर भी खास जोर दे रही है। किसानों को आधुनिक तकनीकों से लैस करने के लिए प्रदेश में पांच कृषि विश्वविद्यालयों के साथ-साथ 89 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीकेएस) काम कर रहे हैं, जो कि अलग-अलग विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं। इन केंद्रों पर किसानों को उन्नत खेती के तौर-तरीकों की जानकारी दी जा रही है। द मिलियन फार्मर्स स्कूल नामक योजना के तहत रबी और खरीफ सीजन के दौरान न्याय पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा मंडल और जिला स्तर पर किसान गोष्ठियां और मेले भी लगाए जाते हैं, जिनसे किसानों को नई तकनीक और उन्नत फसलों के बारे में जागरूक किया जाता है। सरकार गोंडा में कृषि महाविद्यालय, कुशीनगर में कृषि विश्वविद्यालय, भदोही और गोरखपुर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय का भी निर्माण करवा रही है। यह सभी प्रयास किसानों को नए अवसर प्रदान कर रहे हैं और राज्य के कृषि क्षेत्र को समग्र विकास की ओर ले जा रहे हैं।
यूपी में 166 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि
यूपी की कृषि भूमि और जलवायु परिस्थितियां कृषि के लिए बेहद अनुकूल हैं। राज्य में नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) हैं, जो विभिन्न फसलों, बागवानी और सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त हैं। गंगा, यमुना, सरयू जैसी नदियों में सालभर भरपूर जल उपलब्ध रहता है, जिससे सिंचाई की कोई कमी नहीं होती। यूपी में 166 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र सिंचित है। राज्य के लगभग तीन करोड़ परिवारों की आजीविका कृषि पर निर्भर है। खाद्यान्न और दूध के उत्पादन में यूपी देश में अग्रणी है, वहीं फलों और फूलों के उत्पादन में भी यह शीर्ष राज्यों में से एक है। सरकार इन संभावनाओं को और बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है, ताकि कृषि क्षेत्र राज्य की एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में भी प्रमुख भूमिका निभा सके।
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