मौसम की खराबी का असर सिर्फ घरेलू उड़ानों पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी पड़ा। मुंबई, बेंगलुरु और अन्य शहरों के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट्स आधे घंटे से लेकर तीन घंटे तक की देरी से रवाना हुईं।
Lucknow Airport : साल के पहले ही दिन कोहरा उड़ानों के लिए बना चुनौती, 6 फ्लाइट कैंसिल, 13 हुईं लेट
Jan 01, 2025 20:24
Jan 01, 2025 20:24
यात्रियों को झेलनी पड़ी परेशानी
नए साल के पहले दिन सुबह-सुबह कई यात्री समय से एयरपोर्ट पहुंच गए। लेकिन, उन्हें पता चला कि उनकी फ्लाइट रद्द हो चुकी है या देरी से उड़ान भरेगी। हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 का प्रस्थान हॉल यात्रियों से भरा हुआ था। लेकिन, फ्लाइट्स के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी। एयरलाइंस के अधिकारियों के मुताबिक, छोटे एयरपोर्टों से आने वाली कई फ्लाइटें कोहरे के कारण समय पर नहीं उड़ सकीं। ये फ्लाइटें दूसरे बड़े एयरपोर्ट्स से कनेक्ट होती हैं, जिससे शेड्यूल बुरी तरह प्रभावित हुआ।
रद्द हुईं फ्लाइट्स की सूची
एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट IX 1101 (सुबह 7:55 बजे) रद्द रही।
चंडीगढ़ फ्लाइट 6E 7939 (शाम 4:45 बजे) रद्द की गई।
दिल्ली फ्लाइट 6E 2318 (रात 10:40 बजे) को भी रद्द कर दिया गया।
दिल्ली-लखनऊ फ्लाइट IX 1552, 6E 7935, और 6E 2058 भी रद्द कर दी गईं।
इंटरनेशनल और अन्य फ्लाइट्स भी हुईं लेट
मौसम की खराबी का असर सिर्फ घरेलू उड़ानों पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी पड़ा। मुंबई, बेंगलुरु और अन्य शहरों के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट्स आधे घंटे से लेकर तीन घंटे तक की देरी से रवाना हुईं। बताया जा रहा है कि कोहरे के कारण छोटे एयरपोर्ट्स से उड़ान भरने वाली फ्लाइट्स ने समय पर ऑपरेशन नहीं किया। इसका असर लखनऊ जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पर भी पड़ा। रद्द और लेट फ्लाइट्स की वजह से यात्रियों का गुस्सा भी बढ़ता दिखा।
कम दृश्यता : टेकऑफ और लैंडिंग में बाधा
दरअसल कोहरा हवाई अड्डों पर दृश्यता (विजिबिलिटी) को बेहद कम कर देता है, जो उड़ानों के संचालन के लिए सबसे आवश्यक पहलुओं में से एक है। पायलट को रनवे और हवाई पट्टी स्पष्ट रूप से देखनी होती है ताकि विमान को सुरक्षित रूप से टेकऑफ और लैंड कराया जा सके। कोहरे के कारण जब यह संभव नहीं होता, तो फ्लाइट रद्द करना या विलंबित करना अपरिहार्य हो जाता है। भले ही आधुनिक विमान एडवांस्ड नेविगेशन और ऑटो-लैंडिंग सिस्टम से लैस होते हैं, लेकिन कोहरे में अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता होती है। कई छोटे हवाई अड्डों पर कैट IIIB या कैट III जैसी आधुनिक इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं, जो बेहद कम दृश्यता में भी लैंडिंग की अनुमति देती हैं। ऐसे में, फ्लाइट रद्द करना ही एकमात्र विकल्प बचता है।
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