लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद जब बसपा का सूपड़ा साफ हो गया, तो एक बार फिर आकाश आनंद को जिम्मेदारी दिए जाने की अटकलें शुरू हो गईं। अब मायावती ने उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव में उन्हें स्टार प्रचारक बनाया है।
UP Politics: उत्तराखंड के बाद यूपी में होगी आकाश आनंद की वापसी! मायावती के रुख पर टिकी निगाहें
Jun 22, 2024 13:15
Jun 22, 2024 13:15
- लोकसभा चुनाव के दौरान भतीजे आकाश को अपरिपक्व बता चुकी हैं मायावती
- यूपी विधानसभा उपचुनाव को लेकर फैसला करेंगी पार्टी सुप्रीमो
स्टार प्रचारकों की सूची में आकाश नंबर दो पर
बसपा की ओर से मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड को भेजा एक पत्र सोशल मीडिया में सामने आया है, जिसमें पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गई है। इस सूची में कुल 13 नाम हैं, जिनमें पहले नंबर पर मायावती और दूसरे स्थान पर आकाश आनंद का नाम है। पार्टी की ओर से सभी 13 नेताओं को स्टार प्रचारक की श्रेणी में शामिल करने को कहा गया है। इस सूची के बाद आकाश आनंद एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं।
यूपी के लिए फिलहाल खींची गई है लक्ष्मण रेखा
उत्तराखंड में बद्रीनाथ और मैंगलोर विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए मतदान होगा। वहीं 13 जुलाई को मतगणना के बाद नतीजे घोषित किए जाएंगे। इनमें मंगलौर सीट बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण रिक्त हुई है। यूं तो मामला पड़ोसी राज्य का है। लेकिन, मायावती ने जिस तरह से आकाश आनंद को स्टार प्रचारक बनाया है, उससे माना जा रहा है कि निकट भविष्य में उन्हें पार्टी में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि फिलहाल आकाश आनंद को यूपी से दूर रखा गया है। उत्तराखंड में जिम्मेदारी देते हुए एक तरह से उनके लिए यूपी को लेकर लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है।
23 जून को होने वाली बैठक अहम
मायावती ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के शून्य पर सिमटने के बाद 23 जून को अहम बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि इसमें सभी वरिष्ठ पदाधिकारी और नेता शामिल होंगे। आकाश आनंद के बैठक में शामिल होने को लेकर कई तरह ही अटकलें लगाई जा रही हैं। अभी ये साफ नहीं हुआ कि वह इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं, क्योंकि इस समय उनके पास कोई पद नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में विधानसभा की 10 रिक्त सीटों पर उपचुनाव से पहले ये बैठक अहम मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि हार के कारणों की समीक्षा के साथ पार्टी सुप्रीमो उपचुनाव को लेकर बड़ा फैसला कर सकती है।
यूपी उपचुनाव पर मायावती की लगेगी मुहर
बसपा आम तौर पर उपचुनाव लड़ने से परहेज करती है। लेकिन, उत्तराखंड के बाद माना जा रहा है कि यूपी में वह उपचुनाव में अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगी। जिस तरह से गीना लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर आजाद रावण ने अपनी जीत के बाद उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है, उससे ये तय माना जा रहा है कि दलित वोटों का बिखराव रोकने के लिए बसपा अपने प्रत्याशियों को टिकट देगी। चंद्रशेखर आजाद भी इसका दावा कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि बैठक में मायावती उपचुनाव को लेकर अपनी मुहर लगा सकती हैं।
लोकसभा चुनाव में बसपा हो रही कमजोर
इस बार बसपा के प्रदर्शन की बात करें तो बसपा उम्मीदवार कहीं भी मुकाबले में नजर नहीं आए। इस वजह से उसका सूपड़ा साफ हो गया। उत्तर प्रदेश में उसका वोट प्रतिशत खिसककर 9.39 पर सरक गया। वहीं देश में बसपा का वोट प्रतिशत महज 2.04 है। वहीं लोकसभा चुनाव में बसपा के अब तक के प्रदर्शन को देखें तो 1989 में उसे 2 सीटें और 9.90 प्रतिशत वोट मिले। 1991 में 1 सीट और 8.70 प्रतिशत वोट, 1996 में 6 सीटें और 20 प्रतिशत मत, 1998 में 4 सीटें और 20.90 प्रतिशत वोट, 1999 में 14 सीटें और 22.80 प्रतिशत वोट, 2004 में 10 सीटें और 22.17 प्रतिशत वोट, 2009 में 20 सीटें और 27.42 प्रतिशत मत मिले। इसके बाद 2014 में बसपा अपना खाता खोलने में असफल रही और उसके 19.77 फीसदी वोट मिले। 2019 में अखिलेश यादव से दोस्ती का बसपा को फायदा मिले और उसके 10 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। इस लोकसभा चुनाव में पार्टी को 19.43 प्रतिशत वोट मिले। यूपी विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2022 में पार्टी सिर्फ एक सीट पर सिमट गई। इससे पहले 2017 में उसे 19 सीटें और 22.23 प्रतिशत वोट मिले। विधानसभा चुनाव 2012 में पार्टी को 80 सीटें और 25.91 प्रतिशत वोट मिले।
यूपी विधानसभा उपचुनाव के समीकरण
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 रिक्त सीटों पर चुनाव होने हैं। इनमें से एक सीट कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने से रिक्त हुई है। वहीं नौ विधायक इस चुनाव में लोकसभा सांसद बने हैं। सपा के चार विधायकों अखिलेश यादव, अवधेश प्रसाद, लालजी वर्मा और जियाउर रहमान बर्क की सीटें उनके लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद रिक्त हो गई हैं। वहीं भाजपा विधायक अनूप प्रधान वाल्मीकि, गाजियाबाद से अतुल गर्ग और फूलपुर से भाजपा विधायक प्रवीण पटेल, मीरजापुर की मझवा सीट से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद और मीरापुर से रालोद विधायक चंदन चौहान के भी लोकसभा चुनाव जीतने के कारण इनकी सीट पर उपचुनाव होगा। इसके अलावा सपा अपने सात विधायकों की सदस्यता को खारिज कराने का मन बना चुकी है। इनमें मनोज पांडेय, राकेश सिंह, अभय सिंह, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष शामिल हैं। ऐसे में अगर इन सदस्यों की सदस्यता रद्द होती है, तो भविष्य में यहां भी उपचुनाव हो सकता है। ऐसे में बसपा भविष्य की संभावना के मद्देनजर भी रणनीति बनाने में जुट गई है।
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