अखिलेश यादव ने मंगलवार को सोशल साइट एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल दो साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनाने वाले खुद दो साल रहेंगे या नहीं।
डीजीपी की नियुक्ति के योगी सरकार के फैसले पर अखिलेश का तंज : बोले- दिल्ली के हाथ से लगाम लेने की कोशिश तो नहीं
Nov 05, 2024 09:55
Nov 05, 2024 09:55
अखिलेश यादव का सवाल: दिल्ली से नियंत्रण अपने हाथ में लेने की कोशिश?
अखिलेश यादव ने मंगलवार को सोशल साइट एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सुना है किसी बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल दो साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनाने वाले खुद दो साल रहेंगे या नहीं। कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। अखिलेश यादव ने आगे इसे 'दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0' बताया है।
डीजीपी की नियुक्ति के लिए नियमावली को मंजूरी
दरअसल पुलिस महानिदेशक चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस नियमावली के अनुसार, अब डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक मनोनयन समिति गठित की जाएगी, जिसमें एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीश अध्यक्ष होंगे। इस समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नियुक्ति की प्रक्रिया स्वतंत्र और पारदर्शी हो।
डीजीपी चयन के मानदंड और समिति में सदस्यता
डीजीपी के चयन के लिए मनोनयन समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग का नामित अधिकारी, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या नामित अधिकारी, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, और पूर्व डीजीपी का एक सदस्य शामिल होगा। समिति ऐसे उम्मीदवारों के नामों पर विचार करेगी जिनकी सेवा में छह माह से अधिक का समय शेष हो।
सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश और नियुक्ति की स्वतंत्रता
इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित दिशा-निर्देशों का पूर्ण पालन किया गया है। यदि डीजीपी पर कोई आपराधिक या भ्रष्टाचार का मामला सामने आता है, तो राज्य सरकार को अधिकार होगा कि वह दो वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले भी उन्हें पद से हटा सके।
वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से सुधार की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में पुलिस सुधारों को लेकर आदेश जारी किया था, जिसमें राज्य सरकारों को नए पुलिस अधिनियम लाने की सलाह दी गई थी ताकि पुलिस प्रणाली को स्वतंत्र रखा जा सके। इस निर्णय का उद्देश्य पुलिस विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप को समाप्त करना और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
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