बसपा सुप्रीमो ने कहा कि को डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के कहे गए शब्दों से पूरे देश में सर्वसमाज के लोग काफी उद्वेलित, आक्रोशित व आंदोलित हैं।
आंबेडकर विवाद : अमित शाह के बयान के विरोध में बसपा का 24 दिसंबर को देशव्यापी आंदोलन, मायावती बोलीं- सर्वसमाज आक्रोशित
Dec 21, 2024 11:49
Dec 21, 2024 11:49
लोगों को दिलों को आहत पहुंचाता है डॉ. आंबेडकर का अनादर
मायावती ने शनिवार को सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि देश के दलित, वंचित व अन्य उपेक्षितों के आत्म-सम्मान व मानवीय हकूक के लिए अति-मानवतावादी व कल्याणकारी संविधान के रूप में असली ग्रंथ के रचयिता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर भगवान की तरह परमपूजनीय है। उनका अमित शाह द्वारा किया गया अनादर लोगों के दिलों को आहत पहुंचाता है।
सर्वसमाज के लोग उद्वेलित, आक्रोशित व आंदोलित
उन्होंने कहा कि ऐसे महापुरुष को लेकर संसद में इनके द्वारा कहे गए शब्दों से पूरे देश में सर्वसमाज के लोग काफी उद्वेलित, आक्रोशित व आंदोलित हैं। आंबेडकरवादी बसपा ने इस क्रम में उनसे बयान वापस लेने व पश्चाताप करने की मांग की है, जिस पर अभी तक भी अमल नहीं किया जा रहा है।
देशव्यापी आंदोलन के जरिए माहौल बनाएगी बसपा
मायावती ने कहा कि ऐसे में मांग न पूरी होने पर फिर पूरे देश में आवाज उठाने की बात बीएसपी द्वारा की गई। इसीलिए अब पार्टी ने अपनी इस मांग के समर्थन में 24 दिसंबर 2024 को देशव्यापी आंदोलन करने का फैसला लिया है। उस दिन देश के सभी जिला मुख्यालयों पर पूर्णतः शान्तिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
बसपा के सिवाय दूसरे दल नहीं करते डॉ. अंबेडकर का आदर
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि दलित-बहुजनों को अपने पैरों पर खड़े होकर आत्म-सम्मान के साथ जीने के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष व आरक्षण सहित उनको अनेकों कानूनी हक दिलाने वाले उनके सच्चे मसीहा बाबा साहब के नहीं रहने पर उनके अनुयाइयों का हित व कल्याण ही उनका सबसे बड़ा सम्मान है, जिसके लिए बीएसपी समर्पित है। उन्होंने कहा कि इसलिए कांग्रेस, भाजपा आदि पार्टियां अगर बाबा साहेब का दिल से आदर-सम्मान नहीं कर सकती हैं तो उनका अनादर भी न करें। बाबा साहेब के कारण एससी, एसटी एवं ओबीसी वर्गों को जिस दिन संविधान में कानूनी अधिकार मिले उसी दिन उन्हें सात जन्मों का स्वर्ग भी मिल गया है।
Also Read
21 Dec 2024 01:27 PM
दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का फैसला सरकार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। निजीकरण के खिलाफ लड़ाई ने आंदोलन की शक्ल ले ली है और विभिन्न संगठन अपने-अपने स्तर पर आंदोलन को धार देने में जुट गए हैं। और पढ़ें