दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का फैसला सरकार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। निजीकरण के खिलाफ लड़ाई ने आंदोलन की शक्ल ले ली है और विभिन्न संगठन अपने-अपने स्तर पर आंदोलन को धार देने में जुट गए हैं।
UPPCL Privatisation : देशभर से अभियंता-कर्मचारी, ट्रेड यूनियन कल पंचायत में करेंगे शक्ति प्रदर्शन, उपभोक्ता परिषद ने मांगी राय
Dec 21, 2024 13:28
Dec 21, 2024 13:28
उपभोक्ता परिषद ने मांगे सुझाव
उपभोक्ता परिषद इस वेबिनार में बिजली समस्याओं पर खुली चर्चा के आधार पर धरातल पर हकीकत को सरकार के सामने रखेगा। इसमें उपभोक्ताओं के अधिकारों पर मार्गदर्शन और समाधान व सेवा सुधार के सुझाव लिए जाएंगे। संगठन ने उपभोक्ताओं से खुलकर अपने विचार रखने की अपील की है, जिससे उनके फीडबैक के आधार पर सरकार के दावों और धरातल पर स्थिति सामने आ सके। साथ ही समाधान की दिशा में कदम उठाने की पहल हो।
यूपी पावर ऑफिसर एसोसिएशन करेगा महासम्मेलन
यूपी पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने निजीकरण के विरोध में बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार की है। इसके लिए जल्द ही पूर्वांचल व दक्षिणांचल में विशाल महासम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। एसोसिएशन का कहना है कि निजीकरण से बाबा साहेब की संवैधानिक व्यवस्था आरक्षण पर कुठाराघात होगा, इसलिए इसे किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दिन में काम और रात में अभियान को देंगे धार
बैठक में तय किया गया कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल में बहुत जल्द ही एक विशाल सम्मेलन किया जाएगा। इसके बाद जन आंदोलन के रूप में अपनी लड़ाई को जन-जन के बीच में ले जाने के लिए सभी सदस्य पदाधिकारी शाम 6 बजे से अपना अभियान शुरू करेंगे। इसके तहत सभी लोग दिन भर रोज की तरह काम करेंगे और रात में अभियान को गति प्रदान की जाएगी। इस तरह आंदोलन को हर जगह धार दी जाएगी।
निजीकरण और सरकारी संपत्ति बेचने पर लगे पूरी तरह से रोक
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने निजीकरण बंद करने और सरकारी संपत्तियों को बेचने पर रोक के लिए सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी कर ली हे। इसके लिए अभियंता संघ निजीकरण के विरोध में लोगों को के बीच जन जागरण अभियान चला रहा है। अभियंता संघ का आरोप है कि निजीकरण सिर्फ चुनिंदा पूंजीपंतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। बिजली का निजीकरण किसी भी दशा में हितकारी नहीं साबित होगा। संगठन का दावा है कि अभियंताओं, कर्मचारियों के साथ आम उपभोक्ता और किसानों भी इस लड़ाई में उसके साथ हैं।
बिजली पंचायत में ट्रेड यूनियन और कर्मचारी संघों के पदाधिकारी भी रहेंगे मौजूद
बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में आयोजित पंचायत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में सैकड़ों बिजलीकर्मी, संविदाकर्मी और अभियंता हिस्सा लेंगे। देशभर के कई ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संघों के राष्ट्रीय पदाधिकारी इस आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। बिजली पंचायत में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन और अन्य राष्ट्रीय संघों के अध्यक्ष व महामंत्री हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति जनजागरण अभियान भी चला रही है। कार्यालयों में जाकर कर्मचारियों को इस आंदोलन के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है। समिति का कहना है कि यह पंचायत बिजलीकर्मियों की एकजुटता और शक्ति का प्रतीक बनेगी।
ऊर्जा मंत्री पर भ्रामक आंकड़े पेश करने का आरोप
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री बिजली कंपनियों के घाटे को लेकर भ्रामक आंकड़े पेश कर रहे हैं। समिति ने उनके बयान को गलतबयानी करार देते हुए कहा कि मंत्री निजीकरण के पक्ष में झूठी तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं। संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि यूपी में निजीकरण के दोनों मॉडल पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। ग्रेटर नोएडा की नोएडा पावर कंपनी का लाइसेंस रद्द कराने के लिए प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है, जबकि आगरा की टोरेंट पावर कंपनी पर सीएजी ने अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं। इन कंपनियों के खिलाफ विरोध के बावजूद ऊर्जा मंत्री इनका गुणगान कर रहे हैं, जिसे समिति ने समझ से परे बताया।
आगरा में टोरेंट पावर से हुआ भारी नुकसान
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि आगरा में टोरेंट पावर कंपनी के निजीकरण के कारण पावर कॉर्पोरेशन को 2,434 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके साथ ही आगरा जैसे औद्योगिक और व्यावसायिक शहर से होने वाले राजस्व की हानि 5,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।
योगी सरकार के दौरान घाटे में आई कमी
संघर्ष समिति ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सात साल के शासन में एटीएंडसी (AT&C) हानियों में 24 प्रतिशत की कमी आई है। इसके बावजूद ऊर्जा मंत्री निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए गलत आंकड़े पेश कर रहे हैं। निजीकरण के कारण हुए नुकसान की तुलना में, सरकारी मॉडल अधिक प्रभावी साबित हुआ है।
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