नाराज अनुदेशकों ने कहा कि वे सरकार की तरफ से दिए गए हर काम को पूरी जिम्मेदारी से करते आए हैं। स्थायी शिक्षकों की तरह वह अपनी ड्यूटी पूरी जिम्मेदारी से निभा रहे हैं। लेकिन, वेतन के मामले में वह उनके आगे कहीं नहीं ठहरते हैं। उन्होंने समान काम के बदले समान वेतन की मांग की।
नियमतीकरण सहित कई मांगों को लेकर अनुदेशक सड़क पर उतरे : अखिलेश यादव बोले- झूठे वादों का हुए शिकार, कांग्रेस ने कसा तंज
Aug 07, 2024 02:06
Aug 07, 2024 02:06
- अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा की है ये पहचान, वादा करके न करते काम
- कांग्रेस बोली-नियमित करने और वेतन बढ़ाने के नाम पर अनुदेशकों को ठगा
अखिलेश यादव बोले- वादे पूरे नहीं करती भाजपा
अखिलेश यादव ने सोशल साइट एक्स पर अनुदेशकों के प्रदर्शन का वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि 'अनुदेशक' भी हैं भाजपा के झूठे वादे के शिकार। भाजपा ने इनके नियमतीकरण का वादा तो किया था, पर कुछ किया नहीं। भाजपा की है ये पहचान, वादा करके न करते काम।
कांग्रेस ने किया कटाक्ष
यूपी कांग्रेस ने कहा कि लखनऊ में बेसिक शिक्षा निदेशालय पर शिक्षक अनुदेशकों का प्रदर्शन जारी है। भाजपा सरकार ने इनको भी नियमित करने और वेतन बढ़ाने के नाम पर ठगा है। भाजपा की केंद्र और प्रदेश दोनों सरकारों ने हर वर्ग को केवल निराश किया है। जनता के विकास के मुद्दे से जुड़ा इनका हर वादा केवल छलावा साबित हुआ है और कुछ नहीं।
वेतन में इजाफा दूर कर दी गई कटौती
परिषदीय अनुदेशक कल्याण एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने बताया कि अगर हमारी मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं होता तो हम आंदोलन को व्यापक रूप देंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी रोजी-रोटी और मूलभूत सुविधाएं के लिए जद्दोजहद करना पड़ रही है। भाजपा की ओर से सरकार में आने से पहले कई वादे किए गए थे। लेकिन, सत्ता में आने पर वह सब भूल गए। अनुदेशकों ने कहा कि मई 2017 में भाजपा ने ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था कि सरकार अनुदेशकों की सैलरी बढ़ाकर 17 हजार कर देगी। लेकिन, इजाफे की जगह उनकी सैलरी से 1470 रुपए काट लिए गए।
समान काम के बदले समान वेतन देने की मांग
नाराज अनुदेशकों ने कहा कि वे सरकार की तरफ से दिए गए हर काम को पूरी जिम्मेदारी से करते आए हैं। जनगणना से लेकर घर-घर जाकर छात्रों को लाने का काम उन्होंने किया है। स्थायी शिक्षकों की तरह वह अपनी ड्यूटी पूरी जिम्मेदारी से निभा रहे हैं। लेकिन, वेतन के मामले में वह उनके आगे कहीं नहीं ठहरते हैं। उन्होंने समान काम के बदले समान वेतन की मांग की। इस दौरान महिला अनुदेशकों ने उन्हें मेटरनिटी लीव से लेकर मेडिकल सुविधाएं नहीं मिलने का भी मुद्दा उठाया।अनुदेशकों ने कहा कि महंगाई के इस दौरान मात्र नौ हजार रुपए में वह किस तरह अपना घर चला सकते हैं। बीमारी जैसी स्थिति में स्कूल नहीं आने पर उनकी तनख्वाह में कटौती कर दी जाती है। ऐसे में हर तरफ से उनका शोषण किया जा रहा है।
अनुदेशकों की मांगें
- शिक्षा अधिकार अधिनियम से नियुक्त अनुदेशक जुलाई 2013 से काम कर रहे हैं। अधिकांश अनुदेशकों की उम्र सीमा 40 वर्ष पार कर चुकी है। उनके पास आय को कोई जरिया नहीं है। इसलिए नवीन शिक्षा नीति के अनुसार अनुदेशकों को नियमित किया जाए।
- नियमितीकरण होने तक तत्काल प्रभाव से 12 माह के लिए समान कार्य, समान वेतन की व्यवस्था लागू की जाए।
- नवीनीकरण के नाम पर अनुदेशकों का अमानवीय शोषण किया जाता है। इसलिए स्वतः नवीनीकरण व्यवस्था लागू हो।
- अनुदेशकों को 10 सीएल के अलावा कोई छुट्टी नहीं है। आकस्मिक अवकाश, चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) एवं चिकित्सकीय अवकाश बाल्य देखभाल मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाए।
- सरकार अनुदेशकों के विरुद्ध अदालतों में चलाई जा रही सभी कार्यवाही अविलंब वापस लेकर सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट डबल बेंच में पारित निर्णय एवं दिशानिर्देर्शों को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
- ऑनलाइन गतिविधियों का संचालन तकनीकी रूप से असंभव हो गया। ऐसे में अनुदेशक कर्मठता और इमानदारी से सभी गतिविधियां ऑफलाइन मोड में ही करेंगे।
- स्थानांतरण में उन सभी विद्यालयों को शामिल किया जाए जहां विद्यार्थियों की संख्या 100 से ज्यादा हो।
- महिला अनुदेशकों का अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण (जिस जनपद में शादी हुई हो) प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।
- अनुदेशकों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए। साथ ही उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा (ईपीएफ) की गारंटी दी जाए।
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