असदुद्दीन ओवैसी के जय फिलिस्तीन पर बवाल: राजू दास ने बताया भावनाओं के खिलाफ, जानें क्या कहता है आर्टिकल 102

राजू दास ने बताया भावनाओं के खिलाफ, जानें क्या कहता है आर्टिकल 102
UPT | Asaduddin Owaisi

Jun 26, 2024 12:29

महंत राजू दास ने कहा कि सरेआम लोक सभा में अल्लाह हू अकबर का नारा लगाना और जय फिलिस्तीन बोलना हमारी भारतीय भावनाओं के खिलाफ है।

Jun 26, 2024 12:29

Short Highlights
  • असदुद्दीन ओवैसी की लोकसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग
  • कानून विशेषज्ञों ने आर्टिकल 102 का दिया हवाला
Lucknow News: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के लोकसभा में शपथ के दौरान 'जय फिलिस्तीन' बोलने को लेकर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सहित अन्य लोग असदुद्दीन ओवैसी का विरोध कर रहे हैं और उनकी सदस्यता समाप्त करने की मांग की है।

राजू दास बोले- ये भारत है, पाकिस्तान या फिलिस्तीन नहीं
अयोध्या की प्राचीन सिद्धपीठ के महंत राजू दास ने बुधवार को असदुद्दीन ओवैसी पर जमकर निशाना साधा और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने लोक सभा अध्यक्ष से असदुद्दीन ओवैसी की संसद सदस्यता खत्म करने की मांग की। महंत राजू दास ने कहा कि सरेआम लोक सभा में अल्लाह हू अकबर का नारा लगाना और जय फिलिस्तीन बोलना हमारी भारतीय भावनाओं के खिलाफ है। ओवैसी को याद रहना चाहिए कि यह भारत है, पाकिस्तान या फिलिस्तीन नहीं।

कानून के जानकारों ने बताया कि खुला उल्लंघन
इस प्रकरण को लेकर कानून विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी और इसे कानून का खुला उल्लंघन बताया है। अयोध्या में राम मंदिर सहित ज्ञानवापी मामले को लेकर सुर्खियों में रहने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों ने मंगलवार को शपथ ली। इस दौरान हैदराबाद से निर्वाचित असदुद्दीन ओवैसी ने जिस तरह से जय फिलिस्तीन का नारा लोकसभा के मंच से लगाया, वह साबित करता है कि वह कहीं ना कहीं विदेशी शक्तियों से मिले हुए हैं और उसके प्रति उनका समन्वय और झुकाव है। 

आर्टिकल 102 का दिया हवाला
हरिशंकर जैन ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 में साफ लिखा है कि इस तरह के मामलों में वह व्यक्ति डिसक्वालिफाइड माना जाएगा। यह बहुत गंभीर मामला है और इसने पूरे देश को झगझोर कर रख दिया हैस, क्योंकि यहां का एक सांसद विदेशी शक्तियों से मिला हो, उसके प्रति उसकी श्रद्धा हो, यह बात यहां बर्दाश्त नहीं हो सकती। इसलिए आर्टिकल 102 बनाया गया है। इसके मुताबिक देश विरोधी लोग यहां के सांसद नहीं हो सकते हैं, इसलिए उन्हें डिसक्वालिफाइड किया जाना चाहिए।

विदेशी शक्तियों के प्रति झुकाव पर जा सकती है सदस्यता
हरिशंकर जैन ने कहा कि इसके लिए उन्होंने पूरे मामले से राष्ट्रपति को अवगत कराने के लिए याचिका दायर की है। इसमें साफ-साफ लिखा है कि आर्टिकल 102 के तहत सांसद असदुद्दीन ओवैसी को डिसक्वालिफाइड किया जाए और मामला निर्वाचन आयोग में भेजा जाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास प्रकरण विचाराधीन है और मुझे उम्मीद है कि सुनवाई के बाद अंत में यह बात निकाल कर सामने आएगी कि फिलिस्तीन का नारा लगाना आर्टिकल 102 का उल्लंघन है और एक सांसद को डिसक्वालिफाइड बनाता है। हरिशंकर जैन ने कहा कि निर्वाचन आयोग के दोनों पक्षों को नोटिस जारी करने पर हम उनके सामने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे और यह साबित करेंगे कि किसी भी विदेशी शक्ति के प्रति अपना झुकाव दिखाना, उससे संबंध रखना यह आर्टिकल 102 का स्पष्ट उल्लंघन है। आर्टिकल 102 को बनाने का मकसद ही यही है कि भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य के साथ किसी प्रकार झुकाव या संबंध नहीं रखे।

ओवैसी को अयोग्य घोषित करने की मांग 
सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता विनीत जिंदल ने भारत के राष्ट्रपति के समक्ष भारत के संविधान के अनुच्छेद 103 के तहत एक शिकायत दर्ज की, जिसमें एक विदेशी राज्य फिलिस्तीन के प्रति अपनी निष्ठा या प्रतिबद्धता दिखाने के लिए अनुच्छेद 102 (4) के तहत सांसद असदुद्दीन ओवैसी को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि असदुद्दीन ओवैसी भारत माता की जय बोलने से मना करते हैं, वो देश की संसद में देश के संविधान व देश की अखंडता को बनाए रखने की शपथ लेते हुए जय फिलिस्तीन बोलते हैं, इससे पता चलता है कि ओवीसी भारत नहीं दूसरे देश के लिए निष्ठा रखते हैं। उनकी लोक सभा सदस्यता निरस्त होनी चाहिए।

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 102 के अंतर्गत सदस्यता के लिए अयोग्यता के बिंदु

कोई व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य चुने जाने और सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा-
  • यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, जो संसद द्वारा विधि द्वारा घोषित किसी ऐसे पद को छोड़कर, जिसके धारक को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
  • यदि वह विकृत चित्त का है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है।
  • यदि वह अनुन्मोचित दिवालिया है
  • यदि वह भारत का नागरिक नहीं है, या उसने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर ली है, या किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुपालना की स्वीकृति के अधीन है।
  • यदि वह संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत या उसके द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
इस खंड के प्रयोजनों के लिए कोई व्यक्ति केवल इस कारण भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ या ऐसे राज्य का मंत्री है। यदि कोई व्यक्ति दसवीं अनुसूची के अंतर्गत अयोग्य घोषित कर दिया जाता है तो वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य हो जाएगा।
 

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