लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह फैजाबाद लोकसभा सीट पर सभी की नजरें थी और यहां यहां भाजपा को मिली हार के कारण समाजवादी पार्टी अब तक उस पर हमलावर बनी हुई है। उसी तरह अब अयोध्या की मिल्कपुर सीट भी हाईप्रोफाइल बन चुकी है। ये सीट भाजपा और सपा दोनों के लिए नाक का सवाल बन गई है।
UP By Election 2024 : सपा ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट से अजीत प्रसाद पर लगाया दांव, आनंद सेन भी करेंगे प्रचार
Aug 25, 2024 15:05
Aug 25, 2024 15:05
मिल्कीपुर विधानसभा सीट बनी हाईप्रोफाइल
लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह फैजाबाद लोकसभा सीट पर सभी की नजरें थी और यहां भाजपा को मिली हार के कारण समाजवादी पार्टी अब तक उस पर हमलावर बनी हुई है। उसी तरह अब अयोध्या की मिल्कपुर सीट भी हाईप्रोफाइल बन चुकी है। भाजपा के लल्लू सिंह को हराने वाले अवधेश प्रसाद यहां से अपने बेटे को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं। इसकी पहले से ही अटकलें लगाई जा रही थीं। भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ जहां पहले ही अयोध्या का दो दिवसीय दौरा कर चुके हैं और अन्य नेता यहां जुटे हुए हैं। वहीं समाजवादी पार्टी भी इस सीट पर एक बार फिर कब्जा करने के लिए पूरी कोशिश में जुटी है।
सपा और भाजपा के लिए नाक का सवाल बनी मिल्कीपुर विधानसभा सीट
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही मिल्कीपुर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी अवधेश प्रसाद को सौंप चुके हैं। अब उनके बेटे अजीत प्रसाद का नाम फाइनल किया गया है। अजीत प्रसाद जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन, इस बार सपा का दावा है कि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार उपचुनाव में भी उसे जीत मिलेगी। मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर पहले से सपा का कब्जा रहा है। अब ये सीट भाजपा और सपा दोनों के लिए नाक का सवाल बन गई है।
अयोध्या में मिली हार का जख्म उपचुनाव में भरने की कोशिश में भाजपा
सीएम योगी आदित्यनाथ की कोशिश है कि यहां से भाजपा प्रत्याशी की जीत के जरिए अयोध्या में मिल हार का जख्म भरा जा सके तो सपा एक बार फिर भाजपा पर दबाव बनाने के लिए पूरी कोशिश में जुट गई है। उसके नेता और खासतौर पर अवधेश प्रसाद इस कोशिश में हैं कि अयोध्या में एक बार फिर जीत हासिल करके भाजपा पर पूरे देश में दबाव बनाया जा सके। दरअसल अवधेश प्रसाद की अयोध्या से जीत पूरे देश में चर्चा का विषय रही। इसके बाद अवधेश प्रसाद राष्ट्रीय परिदृश्य पर आ गए हैं। उनकी अखिलेश यादव के साथ अक्सर तस्वीरें सामने आती रहती हैं। लोकसभा में भी वह अखिलेश यादव के साथ नजर आते हैं। उनकी जीत का जिक्र विपक्ष के इंडिया गठबंधन के दल अक्सर संसद में सत्र के दौरान करते नजर आए।
अखिलेश यादव गुटबाजी दूर करने को आए आगे
ऐसे में सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट देकर एक बार फिर बड़ा दांव खेला है। खास बात है कि अखिलेश यादव ने पूरी कोशिश है कि इसे लेकर पार्टी में गुटबाजी हावी नहीं हो। इसलिए मिल्कीपुर विधानसभा सीट से सभी दावेदारों को एक मंच पर बुलाकर उन्होंने सम्मानित भी किया। सपा अध्यक्ष ने सभी लोगों को एक साथ रहकर चुनाव लड़ने की हिदायत दी। इसके बाद आनंद सेन यादव भी खुलकर प्रचार में शामिल होंगे। अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि पार्टी नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव या टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी का खामियाजा प्रत्याशी को उठाना पड़े। इसलिए उपचुनाव की तारीख की घोषणा से पहले ही वह इसे लेकर सजग हैं।
बसपा से रामगोपाल कोरी मैदान में
इससे पहले बसपा इस सीट पर रामगोपाल कोरी को उम्मीदवार बना चुकी है। रामगोपाल कोरी वर्ष 2017 में भी बसपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। वह तीसरे नंबर पर रहे थे। इस पर पार्टी ने एक बार फिर उन्हें मौका दिया है। बसपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कोरी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। आरक्षित सीट होने की वजह से मिल्कीपुर में सामान्य कटेगरी के नेता को टिकट नहीं दिया जा सकता है। रामगोपाल कोरी पहले भी मैदान में रह चुके हैं। उन्हें लेकर संगठन ने प्रचार भी किया था। वर्ष 2017 में उन्हें 46,000 मत मिले थे। तब भाजपा के टिकट पर गोरखनाथ बाबा ने मिल्कीपुर से जीत दर्ज की थी। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में गोरखनाथ को हराकर सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद विजयी हुए थे। बसपा नेताओं का मानना है कि मतदाताओं के बीच पहले से परिचित नेता को उतारने से पार्टी को लाभ मिलेगा। वहीं भाजपा की ओर से अभी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है।
इन सीटों पर होंगे उपचुनाव
प्रदेश में विधानसभा की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें अलीगढ़ जिले की खैर, अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मीरजापुर की मझवां, मुरादाबाद की कुंदरकी और मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट शामिल है। इनमें से पांच सीटें करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी और कुंदरकी सपा के पास थीं। जबकि, खैर, गाजियाबाद व फूलपुर भाजपा के पास, मझवा सीट निषाद पार्टी और मीरापुर से राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी।
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