टीबी के कारण गलने लगी गर्दन की हड्डियां : बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सकों ने कूल्हे से काटकर गर्दन पर लगाया

बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सकों ने कूल्हे से काटकर गर्दन पर लगाया
UPT | Balrampur Hospital

Oct 12, 2024 12:42

आयशा के परिजनों ने पहले किसी निजी अस्पताल में इलाज करवाने की योजना बनाई थी। वहां के डॉक्टरों ने दवाइयों और ऑपरेशन पर करीब तीन लाख रुपये का खर्च बताया, जो परिवार की आर्थिक स्थिति के हिसाब से काफी अधिक था।

Oct 12, 2024 12:42

Lucknow News : लखनऊ के सआदतगंज क्षेत्र के कश्मीरी मोहल्ला निवासी 38 वर्षीय आयशा फातिमा को टीबी के कारण गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। पिछले एक साल से टीबी से पीड़ित होने के कारण उनकी गर्दन की हड्डियां धीरे-धीरे गलने लगीं, जिससे उनके दोनों हाथ-पैर में लकवा मार गया। परिवार प्राइवेट हॉस्पिटल में लाखों का महंगा खर्च उठाने में असमर्थ था। इसलिए बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सकों को दखाया। डॉक्टरों ने पाया कि उनकी रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ने से समस्या और बढ़ गई थी, जिसके कारण ऑपरेशन बेहद जरूरी हो गया।

कूल्हे की हड्डी का उपयोग कर सफल ऑपरेशन
इसके बाद बलरामपुर अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. विनोद तिवारी और उनकी टीम ने 7 अक्टूबर को आयशा का ऑपरेशन किया। इस प्रक्रिया के दौरान, उन्होंने आयशा के कूल्हे की हड्डी को गर्दन की हड्डी में प्रत्यारोपित किया और उसे टाइटेनियम प्लेट्स की मदद से मजबूती दी, ताकि हड्डी को बाहर निकलने से रोका जा सके। ऑपरेशन के बाद, उनकी स्थिति में सुधार देखने को मिला और धीरे-धीरे उनके हाथों और पैरों में मूवमेंट आना शुरू हो गया।



ऑपरेशन में कई डॉक्टरों का महत्वपूर्ण योगदान
इस ऑपरेशन में डॉ. विनोद तिवारी के साथ डॉ. एएस चंदेल, डॉ. सुमित, सिस्टर निर्मला मिश्रा, उर्मिला सिंह, सीमा शुक्ला और स्टाफ सदस्य गिरीश, राजू, ऋषि का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण ने बताया कि यह पहली बार है जब इस तरह का जटिल ऑपरेशन अस्पताल में किया गया है, और यह ऑपरेशन पूरी तरह नि:शुल्क किया गया।

आर्थिक तंगी के कारण प्राइवेट अस्पताल में इलाज करने में असमर्थ ​था परिवार
आयशा के परिजनों ने पहले किसी निजी अस्पताल में इलाज करवाने की योजना बनाई थी। वहां के डॉक्टरों ने दवाइयों और ऑपरेशन पर करीब तीन लाख रुपये का खर्च बताया, जो परिवार की आर्थिक स्थिति के हिसाब से काफी अधिक था। लेकिन, बलरामपुर अस्पताल में यह ऑपरेशन मुफ्त में किया गया, जिससे आयशा के परिजनों को राहत मिली।
 

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