ट्रांसपोर्ट नगर इमारत हादसे की जांच में बड़ा खुलासा : आवेदन से एक साल पहले भूखंड का आवंटन, हुईं थी ये अनियमितता

आवेदन से एक साल पहले  भूखंड का आवंटन, हुईं थी ये अनियमितता
UPT | ट्रांसपोर्ट नगर इमारत हादसे की जांच में बड़ा खुलासा। 

Oct 12, 2024 14:31

ट्रांसपोर्ट नगर में तीन मंजिला इमारत ढहने की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। शासन की उच्च स्तरीय समिति की जांच में पाया गया कि जिस भूखंड पर यह इमारत बनी थी, उसका आवंटन पूरी तरह से नियमों के खिलाफ किया गया था।

Oct 12, 2024 14:31

Lucknow News : ट्रांसपोर्ट नगर में तीन मंजिला इमारत ढहने की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। शासन की उच्च स्तरीय समिति की जांच में पाया गया कि जिस भूखंड पर यह इमारत बनी थी, उसका आवंटन पूरी तरह से नियमों के विपरीत किया गया था। आवेदन पत्र में आवेदक के हस्ताक्षर भी नहीं हैं। इसके अलावा एलडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इस भूखंड पर अवैध निर्माण भी किया गया था।

सात लोगों की गई थी जान
7 सितंबर को इस व्यावसायिक इमारत के अचानक ढहने से सात लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के कारण पता लगाने के लिए शासन ने एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया था। यह समिति आठ सितंबर को सचिव गृह संजीव गुप्ता की अध्यक्षता में बनाई गई थी। समिति ने तत्काल मौके पर जाकर इमारत के ढहने के कारणों की जांच की। इसके साथ ही एलडीए से इस इमारत से संबंधित सभी दस्तावेज और रिपोर्ट की मांगी। 



समिति के आदेश पर किया जाएगा अमल
इसके बाद एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने 10 सितंबर को प्रारंभिक जांच के लिए अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। इस समिति की रिपोर्ट पर शासन की उच्च स्तरीय जांच समिति ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने उन अधिकारियों और कर्मचारियों की रिपोर्ट मांगी, जिन्होंने न केवल भूखंड का गलत तरीके से आवंटन किया। बल्कि अवैध निर्माण की अनुमति भी दी और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार का कहना है कि हादसे को लेकर शासन की जांच समिति ने जो जानकारी मांगी है, वह उपलब्ध कराई जाएगी। समिति के आदेशों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

उच्च स्तरीय जांच समिति की ओर से उठाए गए सवाल :- 

आवेदन पत्र पर आवेदक के हस्ताक्षर नहीं
जांच में पाया गया कि जिस भूखंड पर यह इमारत बनी थी, उसका आवंटन 9 सितंबर 2003 को किया गया था। जबकि इसके लिए आवेदन 4 नवंबर 2004 को किया गया था। यानी भूखंड का आवंटन एक साल पहले ही कर दिया गया, जबकि आवेदन बाद में आया। इस आवंटन प्रक्रिया में आवेदन पत्र पर आवेदक के हस्ताक्षर भी नहीं पाए गए। यह बड़ा सवाल खड़ा करता है कि किस तरह से इतनी बड़ी अनियमितता को अंजाम दिया गया। यह धांधली कैसे हुई और इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है?

अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
जांच समिति ने एलडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। एलडीए के अवर अभियंता, सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता ने 9 सितंबर 2022 को जांच के बाद बताया कि इस भूखंड संख्या C-54 और C-55 को मिलाकर एक तीन मंजिला भवन बनाया गया है। इसके बावजूद किसी ने इस अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इससे साफ होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से यह निर्माण कार्य हुआ और बिना किसी रोक-टोक के चलता रहा। इसके लिए कौन अधिकारी या कर्मचारी जिम्मेदार हैं।

सुरक्षा मानकों की अनदेखी
बिल्डिंग के निर्माण के दौरान सुरक्षा मानकों की भी अनदेखी की गई। जांच में पता चला कि इस व्यावसायिक इमारत के भूतल पर मोबिल ऑयल जैसे ज्वलनशील पदार्थों का गोदाम था, जो बेहद खतरनाक था। इसके बावजूद अग्निशमन विभाग से किसी प्रकार की एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं ली गई थी। इसके अलावा प्रथम तल पर दवाओं और मेडिकल उपकरणों का गोदाम था। इस प्रकार के व्यावसायिक उपयोग के लिए जरूरी विभागीय एनओसी और निर्देशों का पालन भी नहीं किया गया।

ट्रक की टक्कर से बिल्डिंग ढहने का दावे सवालों के घेरे में
जांच के दौरान समिति ने यह भी पाया कि बिल्डिंग के ढहने के पीछे पिलर में ट्रक की टक्कर का दावा किया गया था। हालांकि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है कि वास्तव में ऐसा हुआ हो। इसे एक आकस्मिक दुर्घटना के रूप में पेश करना सवालों के घेरे में आता है।

बिना पूर्णता प्रमाण पत्र लिए किराए पर दी इमारत
व्यावसायिक इमारतों के निर्माण के बाद एक पूर्णता प्रमाण पत्र लेना भवन मालिक के जरूरी होता है, लेकिन इस मामले में भी अनियमितता सामने आई है। बिल्डिंग के निर्माण के बाद आवंटी ने बिना किसी पूर्णता प्रमाण पत्र के ही इसे किराए पर दे दिया।  इसके लिए एलडीए के कौन-कौन अधिकारी या कर्मचारी जिम्मेदार हैं?

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