भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बीआर शंकरानंद ने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए तप का होना जरूरी। है। तप के लिए उस काम के प्रति भक्ति भी होनी चाहिए।
जाति-पात की दीवारें तोड़ भारत को बनाएं विश्व गुरु : बीआर शंकरानंद बोले- तप और भक्ति से होगा राष्ट्र निर्माण
Oct 25, 2024 19:46
Oct 25, 2024 19:46
- बीबीएयू के कुलपति ने कहा-बौद्धिक क्षमता को कम कर रहा एआई
- संयुक्त महामंत्री बोले-शोध केवल समाज की दृष्टि से भी अहम
युवा देश का भविष्य
बीआर शंकरानंद ने कहा कि हमें जात-पात और ऊंच-नीच से ऊपर उठना होगा। उन्होंने सभी को एकजुट होकर निरंतर प्रयास करते हुए भारत को वैचारिक और बौद्धिक दृष्टि से उत्कृष्ट बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। कहा, तभी हम भारत को वैश्विक स्तर पर गुरु के रूप में स्थापित कर पाएंगे। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के संस्मरणों का जिक्र किया। युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। यह कहते हुए कि वे देश का भविष्य हैं। युवाओं को अपने सभी कामों में यह सोचने की सलाह दी कि उनका काम समाज को किस दिशा में ले जाएगा। कितने लंबे समय तक समाज को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि हमें लगातार प्रयास करते हुए सतत विकास की रचनात्मक और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
शोध का केंद्र बिन्दु भारत होना चाहिए
भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री सुनील शर्मा ने 'विजन फॉर विकसित भारत' शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता' के संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा कि शोध केवल अध्ययन की ही नहीं बल्कि समाज की दृष्टि से भी बहुत अहम है। प्रत्येक शोध में यह विजन निहित होना चाहिए कि शोधार्थी के रूप में हम देश के विकास में क्या योगदान कर रहे हैं। साथ ही हमारे शोध का केंद्र बिन्दु भारत होना चाहिए। बीबीएयू के कुलपति प्रो एनएमपी वर्मा ने हमें उन्मुख शिक्षा की आवश्यकता है। क्योंकि यह बदलती रहती है। हमें अपने मस्तिष्क को सक्रिय और सृजनात्मक बनाने और एआई पर कम निर्भर रहने की जरूरत है। एआई हमारी बौद्धिक क्षमताओं को कम कर रहा है। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं और प्रतिभागियों को बधाई दी।
शोध कार्यों का मूल्यांकन जरूरी
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो एके वर्मा ने कहा कि यह नवाचारों का समय है। हमें अपने शोध कार्यों का मूल्यांकन और कड़ी मेहनत करनी होगी। चिंतन करना होगा कि शोध और नवाचार की दिशा क्या हो। हमारे शोध इस राष्ट्र को क्या दे रहे हैं। यह राष्ट्रीय विकास और राष्ट्रीय मूल्यों की रक्षा में कैसे मदद करेंगे। यह याद रखना चाहिए कि जीवन एक प्रतिध्वनि है। हम वही पाते हैं जो हम करते हैं। हम आज जो हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि हमने कल क्या किया तथा हम कल क्या बनेंगे। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज क्या कर रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रतियोगिता के परिणामों को घोषित किया गया। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर चयनित प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इन प्रतिभागियों को 15 से 17 नवंबर तक गुरु गोबिंद सिंह त्रिशताब्दी विश्वविद्यालय, गुड़गांव हरियाणा में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में अपना शोध पत्र प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा।
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