एसजीपीजीआई में इलाज कराने वाली 90 प्रतिशत महिलाएं आर्थिक तनाव में थीं। वहीं, बहुत ज्यादा तनाव का सामना करने वाली महिलाओं का प्रतिशत टीएमसी में 17 प्रतिशत, पीजीआई में 35 प्रतिशत और सीएमसी में 33 प्रतिशत पाया गया।
स्तन कैंसर : दर्द के साथ इलाज का आर्थिक तनाव कर रहा परेशान, एसजीपीजीआई के सर्वे में अहम खुलासा
Dec 23, 2024 11:06
Dec 23, 2024 11:06
महज 10 प्रतिशत महिलाएं इलाज खर्च को लेकर नहीं चिंतित
संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) लखनऊ, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर और टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी), कोलकाता में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, इलाज करा रही महिलाओं में से केवल 10 प्रतिशत ने ही कहा कि वे खर्च को लेकर चिंतित नहीं हैं।
अध्ययन में शामिल मरीजों का विवरण
अध्ययन में सीएमसी की 20, एसजीपीजीआई की 20 और टीएमसी की 61 मरीजों को शामिल किया गया। इनमें से डाटा विश्लेषण के लिए पीजीआई की 20, टीएमसी की 40, और सीएमसी की 15 महिलाओं का उपयोग किया गया। इन मरीजों की औसत उम्र 52 साल और औसत वार्षिक पारिवारिक आय 6 लाख रुपये थी। इनमें 59 प्रतिशत महिलाएं शहरी क्षेत्रों से और 41 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से थीं। दिलचस्प बात यह रही कि 90 प्रतिशत महिलाएं प्राइमरी से अधिक शिक्षित थीं और 91 प्रतिशत गृहिणी थीं।
वित्तीय तनाव को लेकर पूछे गए सवाल
तीनों संस्थानों में महिलाओं से उनके वित्तीय तनाव को लेकर सवाल पूछे गए। अध्ययन में पाया गया कि सीएमसी में 22 प्रतिशत, टीएमसी में 21 प्रतिशत और एसपीजीआई में केवल 10 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें वित्तीय तनाव नहीं है। लेकिन, एसजीपीजीआई में इलाज कराने वाली 90 प्रतिशत महिलाएं आर्थिक तनाव में थीं। वहीं, बहुत ज्यादा तनाव का सामना करने वाली महिलाओं का प्रतिशत टीएमसी में 17 प्रतिशत, पीजीआई में 35 प्रतिशत और सीएमसी में 33 प्रतिशत पाया गया।
उम्मीद से अधिक खर्च का दबाव
रिपोर्ट में सामने आया कि कैंसर का इलाज अनुमान से अधिक खर्चीला साबित हो रहा है। एसजीपीजीआई में 35 प्रतिशत, टीएमसी में 28 प्रतिशत और सीएमसी में 50 प्रतिशत महिलाओं ने अनुमान से अधिक खर्च होने की बात कही। वहीं, अनुमान के अनुसार खर्च होने का जवाब एसजीपीजीआई में सिर्फ 5 प्रतिशत और टीएमसी में 10 प्रतिशत महिलाओं ने दिया। सीएमसी में ऐसा कोई भी जवाब नहीं मिला।
आर्थिक संकट और इलाज अधूरा छोड़ने की समस्या
कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि इलाज के भारी खर्च के कारण कई मरीज अपना इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं। हालांकि, कई सरकारी योजनाओं के तहत मरीजों को सहायता प्रदान की जाती है। केजीएमयू के प्रो. सुधीर सिंह के अनुसार, इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक ध्यान दे।
महिलाओं पर आर्थिक बोझ : इलाज के लिए परिवार पर निर्भर
अध्ययन से यह भी पता चला कि ज्यादातर महिलाएं गृहिणी होने के कारण आय का कोई नियमित स्रोत नहीं रखतीं। यह स्थिति उन्हें अपने इलाज के लिए परिवार पर निर्भर बनाती है। आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से निपटने के लिए समाज और सरकार को मिलकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
स्तन कैंसर : एक गहराई से समझने की कोशिश
स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम और गंभीर बीमारियों में से एक है। हालांकि इस बीमारी का इलाज संभव है। लेकिन, समय पर पहचान और उचित उपचार ही इसका समाधान है। यहां ब्रेस्ट कैंसर के हर पहलू को विस्तार से समझाया गया है। स्तन कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें स्तन की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह कैंसर स्तन के विभिन्न हिस्सों जैसे दूध नलिकाओं (डक्ट्स), लोब्यूल्स (दूध बनाने वाली ग्रंथियां), या स्तन के अन्य ऊतकों में विकसित हो सकता है।
स्तन कैंसर के प्रकार
डक्टल कार्सिनोमा इन साइटू (DCIS) : यह कैंसर दूध नलिकाओं में शुरू होता है और शुरुआती अवस्था में होता है।
इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (IDC) : यह कैंसर नलिकाओं से बाहर निकलकर अन्य स्तन ऊतकों और अंगों में फैल सकता है।
इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा (ILC) : यह कैंसर लोब्यूल्स से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकता है।
ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर : यह आक्रामक प्रकार का कैंसर है जो तेजी से फैलता है और इलाज मुश्किल हो सकता है।
इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर : यह दुर्लभ और आक्रामक प्रकार का कैंसर है जिसमें स्तन सूज जाते हैं और लाल हो जाते हैं।
स्तन कैंसर के लक्षण
स्तन में गांठ या कठोरता महसूस होना।
स्तन के आकार या आकार में बदलाव।
निप्पल से असामान्य डिस्चार्ज, जैसे रक्त या द्रव।
निप्पल का अंदर की ओर धंसना।
स्तन की त्वचा पर लालिमा, खुजली, या दाने।
कांख (बगल) या कॉलरबोन के पास सूजन।
स्तन कैंसर के कारण और जोखिम कारक
आनुवांशिकता : BRCA1 और BRCA2 जीन म्यूटेशन वाले लोगों में इसका खतरा बढ़ जाता है।
उम्र : 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में इसका जोखिम अधिक होता है।
हार्मोनल फैक्टर : लंबे समय तक हार्मोनल थेरेपी लेने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
जीवनशैली : अस्वास्थ्यकर खान-पान, शराब का सेवन, और शारीरिक निष्क्रियता।
पारिवारिक इतिहास : जिनके परिवार में स्तन कैंसर के मामले रहे हैं, उनमें खतरा बढ़ता है।
स्तन कैंसर की पहचान और जांच
मेमोग्राफी : स्तन की एक्स-रे जांच, जिससे शुरुआती कैंसर का पता चलता है।
अल्ट्रासाउंड : गांठ का पता लगाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग।
बायोप्सी : संदिग्ध ऊतक का परीक्षण।
MRI स्कैन : शरीर के अंदरूनी हिस्सों की विस्तृत तस्वीर।
जीन परीक्षण : BRCA1 और BRCA2 म्यूटेशन की पहचान।
स्तन कैंसर का उपचार
सर्जरी :
लेम्पेक्टॉमी (गांठ हटाना)।
मास्टेक्टॉमी (स्तन हटाना)।
रेडिएशन थेरेपी : कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विकिरण।
कीमोथेरेपी : दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को खत्म करना।
हार्मोन थेरेपी : कैंसर के विकास को रोकने के लिए हार्मोन ब्लॉकर।
इम्यूनोथेरेपी : शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत बनाना।
स्तन कैंसर से बचाव के उपाय
नियमित रूप से स्तन का सेल्फ-एग्जामिनेशन करें।
संतुलित आहार लें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
शराब और तंबाकू से दूर रहें।
परिवार में कैंसर का इतिहास हो तो नियमित जांच कराएं।
मेमोग्राफी के लिए डॉक्टर से समय पर सलाह लें।
स्तन कैंसर के इलाज में आने वाली चुनौतियां
आर्थिक बोझ : इलाज का खर्च कई मरीजों के लिए बड़ा मुद्दा है।
जागरूकता की कमी : ग्रामीण इलाकों में कैंसर के बारे में कम जानकारी।
देर से निदान : प्रारंभिक लक्षणों को नजरअंदाज करना।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव : कैंसर का पता चलने पर मानसिक तनाव।
सरकारी योजनाएं और सहायता
आयुष्मान भारत योजना : कैंसर मरीजों के लिए मुफ्त इलाज।
राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम : कैंसर जागरूकता और उपचार के लिए सरकारी पहल।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना : कैंसर के इलाज के लिए वित्तीय सहायता।
स्तन कैंसर से लड़ने की प्रेरणा
स्तन कैंसर से पीड़ित कई महिलाएं अपनी इच्छाशक्ति और सही उपचार से इसे हराने में सफल रही हैं। उनका अनुभव दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। स्तन कैंसर का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए समय पर निदान और उपचार बेहद जरूरी है। अपनी और अपने प्रियजनों की देखभाल के लिए जागरूक रहें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
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