केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) में ठेका लेकर काम करने वाली निजी फर्मों के बिलों के भुगतान के लिए चल रहे एक बड़े रिश्वतखोरी के रैकेट का पर्दाफाश किया है।
आरडीएसओ में रिश्वतखोरी का खुलासा : सीबीआई ने लखनऊ और नोएडा में कई ठिकानों पर की छापेमारी
Sep 25, 2024 23:43
Sep 25, 2024 23:43
छापेमारी की कार्रवाई
सीबीआई की चार टीमों ने बुधवार को लखनऊ के पांच और नोएडा के दो ठिकानों पर छापे मारे। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए और साक्ष्य भी इकट्ठा किए। लखनऊ में आरडीएसओ कॉलोनी स्थित अब्दुल लतीफ और करीम सिद्धीकी के मकानों पर छापे मारे गए, जबकि कृष्णानगर में इंडस्ट्रियल कंप्यूटर वर्क्स के मालिक के ठिकाने पर भी कार्रवाई की गई। नोएडा में एडीजे इंजीनियरिंग के मालिक मनीष कुमार पाण्डेय के सेक्टर-2 स्थित मकान और पुरी इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड के ठिकानों पर भी छापे मारे गए।
आरडीएसओ में रिश्वतखोरी का खुलासा
सीबीआई को मिली जानकारी के अनुसार, आरडीएसओ में टेंडर दिलाने और फर्मों के लाखों रुपये के भुगतान के लिए रिश्वत ली जा रही थी। इस मामले में लेखा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी लखनऊ की इंडस्ट्रियल कंप्यूटर वर्क्स और नोएडा की पुरी इलेक्ट्रानिक्स कंपनी के साथ मिलकर इस गोरखधंधे को अंजाम दे रहे थे। इसके आधार पर सीबीआई ने कार्रवाई शुरू की।
निजी खातों में रिश्वत की कराई रकम जमा
मामले की गहराई में जाने पर यह पता चला कि आरडीएसओ के वित्त और लेखा प्रभाग के अधिकारियों ने निजी फर्मों से लम्बित भुगतान के लिए रिश्वत ले रहे थे। सीबीआई ने एफआईआर में यह उल्लेख किया है कि इन फर्मों के संचालकों ने अपने निजी खातों में रिश्वत की रकम जमा कराई। ये रकम समय-समय पर भिन्न-भिन्न रही, कभी पांच लाख रुपये, कभी 50 हजार और कभी 25 हजार रुपये।
कई दस्तावेज किए बरामद
जैसे ही सीबीआई की टीम ने आरोपितों के लखनऊ और नोएडा में ठिकानों पर छापे मारे, आरोपी इस कार्रवाई की भनक लगाते ही फरार हो गए। हालांकि, सीबीआई के अधिकारियों ने इन छापों के दौरान कई दस्तावेज बरामद किए हैं जो इस रैकेट के खिलाफ मजबूत साक्ष्य प्रदान करते हैं। सीबीआई के डिप्टी एसपी रानू चौधरी इस मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।