बताया जा रहा है कि अपनी भव्यता और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध छोटे इमामबाड़े की रंगत संवारने का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी योजना के तहत इसके तीनों गेटों की मरम्मत के लिए 6.17 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया है। मरम्मत कार्य को ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में माहिर संस्था इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट (आईसीआई) लखनऊ के जरिए पूरा कराया जाएगा।
छोटा इमामबाड़ा : गेटों की मरम्मत को एएसआई की हरी झंडी, 6.17 करोड़ मंजूर, इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट को सौंपी गई जिम्मेदारी
Jan 20, 2025 15:39
Jan 20, 2025 15:39
रख-रखाव और मरम्मत की कमी के कारण सुंदरता हो रही नष्ट
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने छोटे इमामबाड़ा के गेटों की मरम्मत के लिए अनापत्ति दे दी है। ऐतिहासिक इमारत होने के कारण यहां कोई भी काम बिना एएसआई की इजाजत के नहीं किया जा सकता है। ऐसे में अब एएसआई की हरी झंडी के बाद तीनों गेटों की मरम्मत का काम हो सकेगा। दरअसल खराब रख-रखाव और मरम्मत की कमी के कारण छोटे इमामबाड़े की सुंदरता धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है। इसके कई गुम्बद और मीनार दरक रहे हैं, जिससे पर्यटकों में मायूसी देखी जा रही है। एएसआई स्वयं स्वीकार कर चुका है कि छोटा इमामबाड़ा के पश्चिमी गेट और कुछ दीवारें बेहद जर्जर स्थिति में हैं, जो कभी भी गिर सकती हैं। हाईकोर्ट ने स्मारक की सुरक्षा और इसके संरक्षित स्वरूप को बनाए रखने के लिए एएसआई को मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिए हैं।
तीनों गेटों के संरक्षण को मिले 6.17 करोड़, इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट को जिम्मेदारी
बताया जा रहा है कि अपनी भव्यता और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध छोटे इमामबाड़े की रंगत संवारने का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी योजना के तहत इसके तीनों गेटों की मरम्मत के लिए 6.17 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया है। मरम्मत कार्य को ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में माहिर संस्था इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट (आईसीआई) लखनऊ के जरिए पूरा कराया जाएगा। इनटैक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट (आईसीआई) की स्थापना भावी पीढ़ियों के लिए विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से की गई है। संस्थान देश में संरक्षण विज्ञान के क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियों को विकसित करने के लिए लगातार अध्ययन और अनुसंधान कर रहा है। इस वजह से यह कला संग्रहकर्ताओं के लिए संरक्षण में बेजोड़ सेवाएं प्रदान करता है।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शुरू हुई प्रक्रिया
छोटा इमामबाड़ा के संरक्षण और अतिक्रमण हटाने के लिए हाल ही में हाईकोर्ट ने कड़े निर्देश दिए थे। इन्हीं निर्देशों के तहत स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत बजट जारी किया गया और कार्यदायी संस्था को वर्क ऑर्डर सौंपा गया। स्मार्ट सिटी कंपनी के महाप्रबंधक एके सिंह ने बताया कि डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के आधार पर यह कार्य स्वीकृत किया गया है। यह काम बेहद सावधानी और धैर्य के साथ किया जाएगा। पुरातत्व विभाग ने मरम्मत के लिए जरूरी अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया है। इस परियोजना को पूरा होने में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा। पुरातत्व विभाग ने भी यह सुनिश्चित किया है कि कार्य के दौरान ऐतिहासिक संरचना को कोई क्षति न पहुंचे।
छोटा इमामबाड़ा का ऐतिहासिक महत्व
छोटा इमामबाड़ा को हुसैनाबाद इमामबाड़ा भी कहा जाता है। यह अवध की शाही विरासत का प्रतीक है। इसे अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1838 में बनवाया था। यह इमामबाड़ा न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि अपने अद्भुत आर्किटेक्चर और आकर्षक झूमरों के कारण पर्यटकों के लिए खासा लोकप्रिय है। नवाबों के वक्त में इसके बड़े मध्य द्वार का उपयोग शाही जुलूस और हाथियों के लिए होता था। छोटे द्वार आम जनता के आवागमन के लिए थे। वहीं गेट के आसपास की छोटी संरचनाएं अस्थायी आगंतुकों के ठहरने के लिए बनाई गई थीं। इसकी मरम्मत और संरक्षण इस धरोहर को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने का महत्वपूर्ण कदम है।
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