मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह : अब तक चार लाख से अधिक गरीब बेटियों के हाथ हुए पीले, इस वर्ष 25 हजार जोड़ों की हुई शादी

अब तक चार लाख से अधिक गरीब बेटियों के हाथ हुए पीले, इस वर्ष 25 हजार जोड़ों की हुई शादी
UPT | मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना।

Dec 10, 2024 00:51

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का उद्देश्य उन परिवारों की मदद करना है, जिनके पास अपनी बेटियों की शादी के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते। आर्थिक तंगी के कारण, ऐसे परिवार सामाजिक मानदंडों के अनुसार अपनी बेटियों के विवाह का खर्चा नहीं उठा पाते।

Dec 10, 2024 00:51

Lucknow News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2017 में शुरू की गई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना उत्तर प्रदेश के गरीब और वंचित वर्गों के लिए एक अहम सामाजिक सुरक्षा योजना साबित हो रही है। यह योजना न केवल आर्थिक मदद का एक प्रभावी तरीका है, बल्कि यह गरीब परिवारों की बेटियों को सम्मानजनक विवाह का अवसर प्रदान करती है, जिससे उन्हें जीवन की नई शुरुआत मिलती है। इस योजना के तहत प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों की बेटियों की शादी कम खर्चे में और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न कराई जाती है।

25 हजार से अधिक जोड़ों का हुआ विवाह 
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का उद्देश्य उन परिवारों की मदद करना है, जिनके पास अपनी बेटियों की शादी के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते। आर्थिक तंगी के कारण, ऐसे परिवार सामाजिक मानदंडों के अनुसार अपनी बेटियों के विवाह का खर्चा नहीं उठा पाते। इस योजना के तहत प्रदेश के ऐसे परिवारों को मदद मिलती है, जो सालाना दो लाख रुपये तक की आय सीमा में आते हैं। वर्ष 2024-25 के दौरान अब तक 25 हजार से अधिक जोड़ों का विवाह योजना के तहत संपन्न हुआ है। इससे यह स्पष्ट है कि योजना ने लाखों गरीब परिवारों को राहत दी है और उन्हें उनके सामाजिक और पारिवारिक जीवन को बेहतर बनाने का एक अवसर प्रदान किया है।



35 हजार रुपये वधू के खाते में जमा 
इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जोड़े पर 51 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं। इस राशि में से 35 हजार रुपये वधू के खाते में सीधे जमा कर दिए जाते हैं। इसके अलावा 10 हजार रुपये कपड़े, गहने, और अन्य जरूरी विवाह संबंधी सामान की खरीदारी के लिए खर्च किए जाते हैं, और शेष 6 हजार रुपये विवाह समारोह के पंडाल और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च होते हैं। सरकारी सहायता से बेटियों की शादी न केवल आर्थिक रूप से सरल होती है, बल्कि यह सामाजिक रूप से भी सशक्त करती है।

सामाजिक समरसता और समावेशिता
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता इसकी समावेशिता है। यह योजना सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के लिए खुली है। चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम, सिख, ईसाई या कोई अन्य धर्म, इस योजना के तहत सभी समुदायों के लोग एक समान रूप से लाभान्वित हो सकते हैं। विवाह समारोह पूरी तरह से संबंधित समुदाय के रीति-रिवाजों के अनुसार आयोजित किए जाते हैं, जिससे समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और समरसता को बढ़ावा मिलता है। यह योजना प्रदेश में सामाजिक एकता को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लाभार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2020-21 में जहां इस योजना से 22,780 जोड़े लाभान्वित हुए थे, वहीं 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 1,04,940 हो गई। 2024-25 के दौरान भी अब तक 25,000 से अधिक विवाह हो चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार ने इस योजना के लिए 600 करोड़ रुपये का बजट रखा है, जिसमें से आधे से अधिक धन पहले ही संबंधित जिलों में भेजा जा चुका है।

इन जिलों में हुए सर्वाधिक विवाह
वर्तमान वर्ष में, गोरखपुर, रामपुर और बिजनौर जैसे जिलों में सबसे अधिक जोड़े इस योजना से जुड़े हैं। गोरखपुर में 1,678, रामपुर में 1,653, और बिजनौर में 1,974 जोड़ों का विवाह मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत संपन्न हुआ है। इन जिलों में कार्यक्रमों की सफलता यह दर्शाती है कि योजना के प्रति जनता का विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

नवविवाहितों के लिए जागरूकता कार्यक्रम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने योजना के तहत नवविवाहित जोड़ों के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से, नवविवाहित जोड़ों को उनके अधिकारों और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है। इससे नवविवाहितों को समाज में अपनी जिम्मेदारियों और अधिकारों का सही समझ प्राप्त होता है और उन्हें सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ मिल सकता है।

'सबका साथ, सबका विकास' का आदर्श उदाहरण
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना सबका साथ, सबका विकास के विजन का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है। समय-समय पर इस योजना में आवश्यक सुधार और बदलाव किए गए हैं, ताकि यह और अधिक प्रभावी हो सके। पहले प्रत्येक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 10 जोड़ों का विवाह कराया जाता था, लेकिन अब इसे घटाकर 5 जोड़ों तक सीमित किया गया है। यह बदलाव विवाह समारोहों के बेहतर प्रबंधन और लाभार्थियों की व्यक्तिगत जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

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