योगी सरकार ने शिक्षा गुणवत्ता मापने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और एनसीईआरटी के सहयोग से 4 दिसंबर को परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 का आयोजन किया जाएगा।
छात्रों की शैक्षिक क्षमता का मूल्यांकन : योगी सरकार का बड़ा कदम, शिक्षा की गुणवत्ता मापने के लिए परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 अभियान
Nov 24, 2024 14:17
Nov 24, 2024 14:17
- शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों का होगा मूल्यांकन
- परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 का 4 दिसंबर को होगा आयोजन
प्रदेश के 9,715 चयनित विद्यालय होंगे शामिल
योगी सरकार ने शिक्षा गुणवत्ता मापने के लिए एक अहम कदम उठाया है। 4 दिसंबर 2024 को "परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण" आयोजित किया जाएगा, जो शिक्षा व्यवस्था की समझ और सुधार के लिए आधार तैयार करेगा। यह सर्वेक्षण भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी के सहयोग से किया जाएगा। इसमें उत्तर प्रदेश के 9,715 चयनित विद्यालय शामिल होंगे, जिनमें सरकारी, निजी, मदरसे और अन्य बोर्डों से मान्यता प्राप्त स्कूल शामिल हैं। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों का मूल्यांकन करना है।
सर्वेक्षण में इन छात्रों का होगा मूल्यांकऩ
यह सर्वेक्षण प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों का आकलन करेगा। इस सर्वेक्षण में कक्षा 3, 6 और 9 के छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाएगा। चयनित विद्यालयों में छात्रों के ज्ञान और समझ को परखा जाएगा। यह प्रक्रिया छात्रों की शैक्षिक स्थिति को जानने में मदद करेगी और भविष्य में सुधार के लिए दिशा तय करेगी।
मूल्यांकन का मुख्य बिंदु
सर्वेक्षण में कक्षा 3 और कक्षा 6 के लिए भाषा, गणित और हमारे आस-पास की दुनिया जैसे विषयों का मूल्यांकन किया जाएगा। वहीं, कक्षा 9 के छात्रों के लिए भाषा, गणित, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान विषय को सर्वेक्षण का मुख्य बिंदु बनाया गया है। इस तरह से विभिन्न कक्षाओं के छात्रों की विषय विशेष समझ का आकलन किया जाएगा।
सर्वेक्षण के तहत दायित्वों का निर्धारण
परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण के तहत जिम्मेदारियां तय की गई हैं, जिसमें जनपद स्तरीय समन्वयक, डायट प्राचार्य और जिला विद्यालय निरीक्षक को सर्वेक्षण की निगरानी और कार्यवाही का दायित्व सौंपा गया है। सहायक समन्वयक और मास्टर ट्रेनर को फील्ड इंवेस्टीगेटर (FI) का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी दी गई है। फील्ड इंवेस्टीगेटर को विद्यालय में पहुंचकर प्रधानाचार्य से मिलकर सर्वेक्षण की शुरुआत करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि अचीवमेंट टेस्ट पैकेट सही तरीके से सीलबंद हों। इसके अलावा, उन्हें सैंपलिंग और कन्ट्रोल शीट भरने का काम भी करना होगा ताकि सर्वेक्षण सही ढंग से और बिना किसी गड़बड़ी के पूरा हो सके।
सर्वेक्षण के लिए प्रशिक्षण व्यवस्था
सर्वेक्षण के लिए विशेष प्रशिक्षण हापुड़, मुजफ्फरनगर, सुल्तानपुर, मुरादाबाद और एटा के डायट में दिया जाएगा। एससीईआरटी लखनऊ के संयुक्त निदेशक पावन सचान ने बताया कि गाजियाबाद, शामली, अमेठी, सम्भल और कासगंज जैसे जिलों में डायट नहीं हैं, इसलिए इन जिलों के सर्वेक्षण संबंधित कार्यों को वहां के प्राचार्य और जिला शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित किया जाएगा।
शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में कदम
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इस सर्वेक्षण से उत्तर प्रदेश के कक्षा 3, 6 और 9 के छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि छात्रों की शैक्षिक क्षमता कैसी है और किस क्षेत्र में सुधार की जरूरत है। यह सर्वेक्षण पारदर्शिता और गोपनीयता के साथ किया जाएगा, ताकि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सही कदम उठाए जा सकें।
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